चंडीगढ़/लुधियाना। भारत में टिड्डी दल की प्लेग वर्ष 1962-63 तक ही देखी गई है जबकि आखिरी बार इसके पूर्ण सवारम 1993 और छोटे सवारम 2010 में देखने में आए हैं। टिड्डी दल चेतावनी संगठन (एलडब्ल्यूओ) भारत में राजस्थान और गुजरात के निर्धारित रेगिस्तान क्षेत्र में इसका नियमित सर्वेक्षण करता है ताकि टिड्डी दल की मौजूदगी की निगरानी की जा सके। अगर टिड्डियों की संख्या 10,000 बालिग़ टिड्डियां प्रति हेक्टेयर या 5 से 6 टिड्डियां प्रति झाड़ी (इक्नॉमिक थ्रैशहोल्ड स्तर) हो तो इसको नियंत्रित करने की ज़रूरत होती है।
राजस्थान और गुजरात राज्य से बीते कुछ दिनों से टिड्डी दल के हमले और रोकथाम की खबरें आ रही हैं। पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया में टिड्डी दल के पंजाब में ’ राजस्थान और पाकिस्तान बार्डर के साथ लगते जिलों में दाखि़ल होने का अंदेशा जताया जा रहा है। सर्दियों के मौसम में टिड्डी दल के हॉपरों का यह एक नया व्यवहार है और यह मौसम तब्दीलियों की घटनाओं के साथ जुड़ा हो सकता है। पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी और कृषि विभाग, पंजाब पूरी सतर्कता के साथ पंजाब के सरहदी इलाकों का टिड्डी दल के लिए सर्वेक्षण कर रहा है। अभी तक पंजाब में किसी भी जगह पर टिड्डी दल का नुक्सान देखने में नहीं आया है।
ताज़ा सर्वेक्षणों में फाजिल्का जि़ले के गुंमजाल, डंगरखेड़ा, पंजावा, पन्नीवाला माहला, अचडक़ी, भंगरखेड़ा, रूपनगर, बारेका, बकैणवाला, हरिपुरा, खुईआं सरवर और श्री मुक्तसर साहिब जिले के राणीवाला, मिड्डा, असपाल, विर्क खेड़ा, भागसर आदि गांवों में टिड्डी दल के कुछ हॉपर या छोटे समूह (5-20 टिड्डे) पाए गए हैं। यह कम संख्या के टिड्डे फसलों आदि को आम टिड्डियाें की तरह ही नुक्सान पहुंचा सकते हैं। इस समय किसान भाईयों को सचेत रहने की ज़रूरत है न कि सोशल मीडिया पर चल रही कुछ खबरों से घबरा कर छिडक़ाव करने की। टिड्डी दल के बालिग़ कीड़ो की पहचान इसके पीले रंग के शरीर पर काले रंग के निशानों और जबड़े पक्के जामुनी से काले रंग के होते हैं।
डॉ. प्रदीप कुमार छुनेजा, प्रमुख, कीट विज्ञान विभाग, पीएयू, लुधियाना ने किसान भाईयों की जानकारी के लिए बताया है कि मौजूदा टिड्डी दल के कुछ टिड्डियाें या इसके छोटे समूह से घबराने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि यह फसलों आदि का आर्थिक नुक्सान करने की क्षमता नहीं रखते। उन्होंने बताया कि राजस्थान की तरफ से किसी बड़े समूह के आने का ख़तरा नहीं है क्योंकि स्थिति पर काबू पा लिया गया है। सरहद के उस पार से किसी नए टिड्डी दल के समूह के आगमन पर टिड्डी दल चेतावनी संगठन, कृषि विभाग, पंजाब और पीएयू के वैज्ञानिकों ने लगातार निगरानी रखी हुई है। किसान भाईयों को भी सलाह दी जाती है कि इस कीड़े के हमले सम्बन्धी चौकस रहें और यदि टिड्डी दल के समूह का हमला खेतों में दिखाई दे तो इसकी जानकारी जल्द से जल्द पीएयू या पंजाब सरकार के कृषि विभाग के माहिरों को दें ताकि इस कीड़े की सभ्य रोकथाम करके फसलों और अन्य वनस्पती को बचाया जा सके।
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