सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्थाओं पर देशवासियों को भरोसा रखना होगा

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 25 जनवरी 2020, 6:02 PM (IST)

जयपुर। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त नवीन चावला का कहना है कि देश में सारे बड़े चुनाव सुधार कार्यक्रम सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों से हुए है, संसद के जरिये नहीं हुए है। जेएलएफ 2020 में उन्होंने कहा कि संविधान के पास हर सवाल का जवाब है और इसलिए देश के लोगों को सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्थाओं पर भरोसा रखना होगा। उन्होंने कहा कि जो भी मामले कोर्ट में है, उनके बारे में हमें उम्मीद नहीं छोडनी चाहिए।
वहीं पूर्व राज्यपाल रह चुकी माग्रेट अल्वा ने इसके उलट यह कहा कि वर्तमान में न्यायपालिका की भूमिका से मैं निराश हूं। इसी पर प्रतिवाद करते हुए चावला ने कहा कि सभी संस्थााओं को एक ही नजरिए से नहीं देखना चाहिए। न्यायपालिका ने कई ऐसे फैसले दिए है जिनके जरिए बड़े चुनाव सुधार हुए जो संसद के जरिए सम्भव नहीं थे। उन्होंने कहा कि संविधान के कारण देश एक है, इसमें हर सवाल का जवाब है। हमारे संविधान निर्माताओं बहुत व्यापक दृष्टिकोण से इसका निर्माण किया और बिना किसी भेदभाव के हर किसाी को मताधिकार दिया। चुनाव आयोग ने हर बार निष्पक्ष चुनाव कराए और हमारे राजनीतिक दलों ने जनता के निर्णय को हमेशा स्वीकार किया, जो दुनिया के कई देशों में नहीं हुआ है। उन्होने कहा कि देश के किसी भी कार्ड से बड़ा कार्ड मतदाता पहचान पत्र है। मैं इसे आधार से भी ज्यादा महत्वपूर्ण मानता हूं।
पूर्व राज्यपाल मार्ग्रेट अल्वा ने कहा कि यह कहना गलत होगा कि सभी राज्यपाल राजनीतिक दलों के टूल की तरह काम करते है। उन्होने खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि मुझे यूपीए सरकार ने राज्यपाल बनाया था, लेकिन एनडीए के समय मुझे अन्य राज्यों का अतिरिक्त प्रभार मिला। मुझे गुजरात तक का प्रभार दिया गया, लेकिन यह सही है कि राज्यपाल को निष्पक्ष होना चाहिए और राजभवनों में आज भी ब्रिटिशकाल की परम्पराएं चल रही है, उन पर रोक लगनी चाहिए। संसद और राष्ट्रपति भवन को राज्यपालों की भूमिका की समीक्षा करनी चाहिए।

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