जिम्मेदार चाहे तो उदयपुर में भी हो सकते हैं दो निगम और दो मेयर!

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 13 जनवरी 2020, 3:38 PM (IST)

सैयद हबीब
उदयपुर।
जयपुर, जोधपुर और कोटा की तरह अब उदयपुर में भी दो निगम और दो मेयर बनाने की जरूरत है। शहर का एक बड़ा हिस्सा पंचायती राज में शामिल हैं जो यूआईटी का पेराफेरी क्षेत्र में आता है, यहां सरपंच और वार्ड पंचों के चुनाव हो रहे हैं, यहां विकास के काम यूआईटी व नगर निगम को करवाने हैं। ऐसे में इन शहरी गांवों में सरपंच और वार्ड पंचों का कोई औचित्य नहीं है।


शहर के आस-पास कई पंचायतों की आबादी 15 से 20 हजार के बीच है। इन पंचायतों को खत्म कर निगम के वार्ड बनाए जाए तो उदयपुर में भी वार्डों की संख्या 150 से अधिक पहुंच जाएगी। वैसे जयपुर में ही दो निगम बनने थे, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की वजह से जोधपुर व शांति धारीवाल की वजह से कोटा में भी सरकार ने दो निगम और दो मेयर बनाने का निर्णय किया।


भाजपा और कांग्रेस में सरकार में नंबर दो माने जाने वाले नेता चाहे तो यहां भी दो निगम का गठन करने का निर्णय हो सकता है। स्थानीय नेताओं की कमजोरी की वजह से ही उदयपुर को परिषद से निगम बनने में लंबा समय लग गया। इसके लिए उदयपुर का हैरिटेज, झीलें, स्मार्ट सिटी, पर्यटन ऐसे मुद्दे हैं, जिसकी वजह से दो निगम का होना बेहद जरूरी है। स्थानीय नेता और अधिकारी चाहें तो जल्दी ही प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा जा सकता है। इसमें देरी नहीं होना चाहिए। शहर की हालत देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किस तरह जनता का पैसा बर्बाद किया जा रहा है। एक और बोर्ड होने से विकास के कामों में प्रतिस्पद्र्धा बढ़ेगी तो गुणवत्ता सुधरेगी।

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