जयपुर। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनिया ने अजमेर के सम्राट
पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय एवं पुष्कर राजकीय महाविद्यालय के
छात्रसंघ कार्यालय का उद्घाटन किया और अजमेर में नागरिकता संशोधन कानून के
समर्थन में जन-जागरण अभियान के तहत सभाएं की। घर, दूकान और चौराहों पर
नागरिकता कानून के बारे में लोगों को समझाया और संबंधित पत्रक भी वितरित
किए।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनियां ने प्रियंका वाड्रा
(गांधी) की जयपुर यात्रा पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यहां आकर वे कांग्रेसी
नेता के बेटे के निकाह में शामिल होकर चली गई। अच्छा होता कि वे उन पीड़ित
माताओं से मिलती, जिनकी कोख गहलोत सरकार की लापरवाही और अकर्मण्यता की वजह
से उजड़ गई, उनके परिजनों से मिलती, उनकी आंखों के आंसू पौंछती जो अभी भी
सूखे नहीं है और उन्हें ढांढस देती, लेकिन वह केवल जयपुर आकर वापस दिल्ली
चली गई।
गौरतलब है कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के निर्देशानुसार भाजपा के
जनप्रतिनिधियों ने पहले दौरे पर ही त्वरित सहायता करते हुए 50 लाख की घोषणा
की। उन्हें पीड़ित माताओं और टिड्डी के नुकसान से प्रभावित किसानों के
प्रति कोई सहानुभूति नहीं है। जबकि देश के गृहमंत्री जब जोधपुर दौरे पर आए
तो मुख्यमन्त्री गहलोत ने उन पर अनर्गल बयानबाजी की। डाॅ. पूनिया ने
कहा कि कांग्रेस भ्रम फैलाने के अलावा दूसरा कोई काम इसलिए नहीं करती कि
इन्हें सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप में ही जनता का हित समझ में आता है।
जब
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जोधपुर में रैली में आए थे, तब उन्हें भाजपा
प्रदेशाध्यक्ष के नाते राजस्थान के हालात और टिड्डी दलों के हमले सम्बन्धी
पूरी जानकारी दी थी। गृहमंत्री अमित शाह ने तुरंत संज्ञान लेते हुए
राजस्थान के केंद्रीय सरकार के तीनों मंत्री को इस पर कार्य करने के लिए
कहा। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण जब जयपुर दौरे पर आई तो उन्हें
इस पूरे विषय की जानकारी दी थी और भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष
जयप्रकाश नड्डा से इस संबंध में फोन के माध्यम से बात की थी। दिल्ली जाकर
इस संबंध में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रकाश जावड़ेकर,
नित्यानंद राय, गजेंद्र सिंह शेखावत, कैलाश चैधरी, अर्जुन राम मेघवाल से
मुलाकात की। इस प्रकार के प्रयासों से किसानों की मदद किस तरह की जाए इसकी
चर्चा शुरू हुई। इन्हीं प्रयासों के परिणाम स्वरूप केंद्र सरकार ने ब्रिटेन
से 10 टिड्डी समाप्त करने वाली मशीनें और मंगवाई हैं। किसानों की मदद के
लिए केंद्र सरकार कृतसंकल्प है। जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री पीड़ित किसानों
के बीच केवल घूम कर, उनकी जेब टटोल के आ जाते हैं। राजस्थान की कांग्रेस
सरकार किसानों के हित की बात तो करती है, लेकिन केवल झूठे वादे करके उनका
वोट लेना चाहती है।
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डाॅ. पूनिया ने नागरिकता संशोधन कानून के तहत
सभाओं में कहा कि यह कानून किसी की नागरिकता छीनने का नहीं, वरन उन पीड़ित
शरणार्थियों को नागरिकता देने का है, जो कई वर्षों से भारत में रह रहे हैं
और वापस अपने देशों में इसलिए नहीं जा सकते, क्योंकि इतनी यातना सहने की
क्षमता उनमें नहीं बची है। यह कानून पहले भी ऐसे ही था, बस इसमें मामूली
सुधार किया गया है, किंतु कांग्रेस और विपक्षी दल अपने सियासी मंसूबों को
पूरा करने के लिए जनता में भ्रम फैला रहे हैं। उनकी बातों में न आते हुए
हमें उन पीड़ित भाई-बहनों के सहयोग के लिए इस कानून का समर्थन करना चाहिए।
नागरिकता संशोधन कानून भारत के नवनिर्माण में सशक्त कदम है।
छात्रसंघ
कार्यालय के उद्घाटन में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा नए नेतृत्व से
डरी हुई प्रदेश सरकार छात्रसंघ कार्यालयों के मेरे द्वारा उद्घाटन करने में
अड़चन डाल रही है। जब मैं छात्रसंघ कार्यालय उद्घाटन में कोटा गया वहां भी
इसी तरह की अड़चनें पैदा की थी, कल टोंक-सवाई माधोपुर में गया, तब भी ऐसा ही
बर्ताव सरकार का रहा।
डाॅ. पूनिया ने कहा कि प्रदेश सरकार काॅलेज
कैंपस को राजनीतिक अखाड़ा नहीं बनाए। जो छात्र लोकतांत्रिक तरीके से जीत कर
आए हैं, उन्हें अपने अधिकारों से वंचित करना सही नहीं है। प्रदेश की गहलोत
सरकार लोकतंत्र का गला घोट रही है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और
इस लोकतंत्र की जड़ें बहुत गहरी हैं। छात्रशक्ति ने आजादी से पहले देश में
अपना अध्ययन छोड़कर अनेक स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। आजादी के बाद भी
देश में 1975 में आपातकाल लगा। उस आपातकाल के खिलाफ जो लड़ाई लड़ी, वह अखिल
भारतीय विद्यार्थी परिषद के विद्यार्थी थे, जिन्होंने गुजरात के नवनिर्माण
आंदोलन से शुरुआत की और वे जयप्रकाश नारायण के समग्र क्रांति आंदोलन से
जुड़े।
डाॅ. पूनिया ने कहा कि इस प्रदेश में जो आज माहौल है, वह युवा
छात्रशक्ति को भटकाने वाला है। काॅलेज के प्रशासन पर एक विचित्र किस्म का
दबाव है। कल जब टोंक में छात्रसंघ कार्यालय का उद्घाटन किया, तो पूरे
महाविद्यालय का प्रशासन काॅलेज छोड़कर भाग गया। वहां के विद्यार्थियों ने
कार्यक्रम सम्पन्न किया। सवाईमाधोपुर में भारी तनाव था। लोकतंत्र का समर्थन
करने वाली सरकार को महाविद्यालय में विपरीत विचारधारा वाले संगठनों के
विद्यार्थियों के जीतने पर इस तरह के विरोध का माहौल पैदा नहीं करना चाहिए।
डाॅ. पूनिया ने कहा कि भारत के खिलाफ नारा लगाने वाली छात्र शक्ति
को इस देश में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इस तरीके के लोग भारत के
लोकतंत्र को कमजोर करते हैं। राजनीतिक विचारों से चलती है और प्रशासन
सरोकार से चलता है। उस सरोकार को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में शांति का
माहौल रहे। जिस तरीके से विद्यार्थी अपनी रीति और नीति से काम करते हैं,
उनको जब गलत तरीके से राजनीतिक संरक्षण मिलता है, उनको इस्तेमाल किया जाता
है, तो वह नैतिकता के तौर पर गलत है। अभी जो प्रदेश में छात्रशक्ति के साथ
हो रहा है, इस मामले में सरकार की दखल का काम ही नहीं था, लेकिन सरकार तय
करती है कि कौन महाविद्यालय के छात्रसंघ कार्यालय के उद्घाटन में जाएगा और
कौन नहीं जाएगा। हमारी सरकार में ऐसा दृश्य कभी नहीं देखा, जो इस बार
राजस्थान में देखने को मिल रहा है।