प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ सहित कई जिलों में यूपी हिंसा के खिलाफ जनहित याचिकाओं पर आज इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई की गई। चीफ जस्टिस गोविंद माथुर की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने पूरे मामले की राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को जांच करने का आदेश दे दिया अब अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी।
आपको बताते जाए कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा की घटनाएं सामने आई थीं। इसे देखते हुए मुंबई के अधिवक्ता अजय कुमार ने ईमेल के माध्यम से हाईकोर्ट को पत्र भेजा था, हाईकोर्ट ने पत्र का स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया था।
इसके बाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर दिया था। इस नोटिस को अतिरिक्त मुख्य स्थायी अधिवक्ता ए के गोयल ने स्वीकार कर लिया।
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सीएए के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शन मामले की चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और
जस्टिस विवेक वर्मा की खंडपीठ में सुनवाई हुई। इसी मामले में हाईकोर्ट ने
वरिष्ठ अधिवक्ता फरमान नक़वी और अधिवक्ता रमेश कुमार यादव को न्याय मित्र
नियुक्त कर दिया है।
जनहित याचिका में उत्तर प्रदेश में अलग-अलग
जगहों पर पुलिस बर्बरता का जिक्र किया गया है. इसमें यह भी कहा गया कि इन
घटनाओं से प्रदेश देश की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धूमिल हो गई है।