कलाएं संवेदनाओं को जगाने और चिंतन को सही दिशा देने का माध्यम: डॉ. बी. डी. कल्ला

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 03 जनवरी 2020, 7:38 PM (IST)

जयपुर। कलाएं मन की संवेदनाओं को उभारने, अंतर्मन की प्रवृतियों को ढालने तथा चिंतन को सही दिशा देने का कार्य करती है। कलाएं व्यक्ति के भीतर बसे सौंदर्य का रूपांतरण करते हुए संवेदनशील समाज के निर्माण में अहम भूमिका निभाती है। यह बात प्रदेश के कला, साहित्य और संस्कृति मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने जयपुर में जवाहर कला केन्द्र के शिल्पग्राम में शुक्रवार को राजस्थान ललित कला अकादमी और जेकेके के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 21वें राष्ट्रीय कला मेले का शुभारम्भ करने के बाद आयोजित समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए कहीं।

डॉ. कल्ला ने कहा कि ललित कला अकादमी का यह मेला कलाओं के अनूठे संसार का साक्षी है। यह मेला एक तरह से संस्कृति का उत्सव है, यहां प्रदर्शित कलाकृतियां इस बात का प्रतीक है कि कलाकारों ने अपने मन और सोच की गहराईयों से सौंदर्य का संसार रचा है। उन्होंने इस अवसर पर इस मेले में प्रदर्शित कलाकृतियों में से श्रेष्ठ कृतियों को कला, साहित्य और संस्कृति विभाग की ओर से खरीदने के लिए 5 लाख रुपए की राशि की घोषणा की। श्रेष्ठ कृतियों का चयन विशेषज्ञों की एक समिति द्वारा किया जाएगा।

कला, साहित्य और संस्कृति मंत्री ने कहा कि शब्दशिल्पी जहां लफ्जों के माध्यम से सृजन करते हैं, वहीं कलाकार अपनी कूंची से कागज और कैनवास पर अपने भावों की अभिव्यक्ति करते हैं। उन्होंने कहा कि कलाओं में चित्रकला को श्रेष्ठ कहा गया है। मनुष्य जैसा देखता है, उसी प्रकार अपने को ढालने का प्रयत्न करता है, यहीं उसकी अभिव्यंजना है। चित्रकार मन में चल रही हलचल और रचनात्मकता को अपने चित्रों और इंस्टालेशन में ढालकर संदेश देते हैं।

डॉ. कल्ला ने कहा कि राजस्थान के अलग-अलग क्षेत्रों की कलाओं और कलाकारों ने प्रदेश को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पहचान दिलाई है। जो सभी के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कलाओं और कलाकारों को संरक्षण देकर उनको प्रोत्साहित करने के लिए संकल्पबद्ध है। राजस्थान ललित कला अकादमी की स्थापना इसी उद्देश्य से की गई थी, इसी दिशा में कला मेले के माध्यम से देश और प्रदेश के कलाकारों को मंच प्रदान किया गया है। अकादमी की ओर से प्रति वर्ष दस-दस हजार के पुरस्कार भी प्रदान किए जाते है।

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औपचारिक उद्घाटन के बाद कला व संस्कृति मंत्री और अन्य गणमान्य अतिथियों ने कला मेले का अवलोकन किया। उन्होंने स्टॉल्स पर मौजूद कलाकरों के साथ उनकी इंस्टालेशन को रूचि के साथ देखा, कलाकारों से संवाद करते हुए उनके कार्य की सराहना कर हौसला अफजाई भी की। कला मेले के उद्घाटन सत्र में राजस्थान सरकार की मुख्य सचिव, कला एवं संस्कति विभाग, श्रेया गुहा, राजस्थान ललित कला अकादमी एवं जयपुर संभाग के आयुक्त केसी वर्मा, कला समीक्षक प्रयाग शुक्ल, बड़ी संख्या में युवा एवं वरिष्ठ कलाकार भी उपस्थित थे।

इससे पूर्व अपने अध्यक्षीय संबोधन में जेकेके महानिदेशक आइएएस किरण सोनी गुप्ता ने सभी प्रतिभागी कलाकारों को बधाई दी और कहा कि कला के क्षेत्र में राजस्थान की पुरानी पहचान है। राज्य की पारम्परिक और समसामयिक कला को किस प्रकार से आगे ले जाए, ये हमारे लिए दायित्व और चुनौती भी है। उन्होंने आगे कहा कि कला समाज का दर्पण एवं उसकी आत्मा होती है। इस कला मेले में 400 से अधिक कलाकारों द्वारा प्रदर्शित कलाकृतियां यह दर्शाती है कि हमारी कला किस दिशा में जा रही है।

कला मेला के संयोजक, डॉ. नाथूलाल वर्मा ने बताया कि 5 दिवसीय इस कला मेला का आयोजन शिल्पग्राम में राजस्थान ललित कला अकादमी की ओर से जवाहर कला केन्द्र के सहयोग से किया जा रहा है। कला मेला के इस 21वें संस्करण में प्रान्त की सृजनात्मक समसामयिक एवं पारम्परिक मूर्त, अर्मूत कलाओं को एक ही मंच पर संगठित रूप से प्रदर्शित किया जा रहा है। डॉ. वर्मा ने कला मेले के दौरान आयोजित होने वाले कार्यक्रमों का विवरण दिया। राजस्थान ललित कला अकादमी के सचिव विनय शर्मा के धन्यवाद् ज्ञापन के साथ उद्घाटन सत्र का समापन हुआ।