राज्यपाल वी.पी. सिंह बदनौर ने की द फ्लूट एंड द स्वोर्ड मीरा और जैमल की कहानी की किताब जारी

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 14 दिसम्बर 2019, 8:23 PM (IST)

चंडीगढ़। पंजाब के राज्यपाल वी.पी. सिंह बदनौर द्वारा शनिवार को मेजर जनरल रणधीर सिन द्वारा लिखी किताब ‘द फ्लूट एंड द स्वोर्ड’ मीरा और जैमल की कहानी और मीरा के जीवन के उतार-चढ़ाव संबंधी पुस्तक जारी की गई। इस पुस्तक में मीरा और जैमल की कहानी और 16वीं शताब्दी के राजपूताना इतिहास संबंधी दिखाया गया है। यह किताब मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल के मौके पर करवाए गए एक विशेष सेशन के दौरान जारी की गई। इस सेशन के दौरान ऐतिहासिक तथ्यों और काल्पनिक कहानियों को इकट्ठा दिखाने के लिए लेखक को आने वाली चुनौतियांं और विभिन्न पहलुओं संबंधी विचार-विमर्श किया गया।

इस मौके पर संबोधन करते हुए लेखक मेजर जनरल रणधीर सिन (सेवामुक्त) ने बताया कि उन्होंने मीरा के योगदान, बलिदान की भावना और मीरा की भूमिका को संत की बजाय एक औरत के तौर पर पेश करने की कोशिश की है। पुस्तक एक ऐतिहासिक कल्पना है जिसमें मीरा के बहुत से भजन भी शामिल किए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आज के समाज में देश के प्रति वफ़ादारी और बलिदान की भावना ख़त्म हो रही है जबकि पहले के समय में आदमी अन्यत वफ़ादार थे और अपनी कौम के लिए किसी भी बलिदान के लिए हमेशा तैयार रहते थे। औरतें अपने पति, बच्चों और पोतों को देश के प्रति प्यार और उनके वापस न आने केे बारे में भी जानते हुए उनको जंग के मैदान में भेजती थीं।

पुस्तक चाहे काल्पनिक है, परन्तु एक प्रामाणिक समय को बयान करती है। मीरा एक होनहार बच्ची थी और बचपन से ही अपनी बौद्धिक प्रतिभा और धार्मिकता के लिए जानी जाती थी। भगवान कृष्ण के प्रति उसकी श्रद्धा तीव्र थी और उसका विवाह महाराणा सांगा के पुत्र भोजराज के साथ होने के बावजूद भी उसकी श्रद्धा भगवान कृष्ण के प्रति प्रबल रही। पुस्तक उसके द्वारिका पहुंचने और अपने प्रभु के नाम में लीन होने तक मीरा के जीवनकाल को बयान करती है।

पुस्तक में लेखक ने दिखाया है कि दूसरे तरफ़ जैमल किस तरह लगातार युद्ध में बना रहा और शक्तिशाली ताकतों के विरुद्ध अपनी सल्तनत को बचाने के लिए युद्ध करता रहा। यह किताब इतिहास के प्रसिद्ध किरदारों समेत करुणामयी शूरवीरता की जानकारी पेश करती है।
पुस्तक पर विचार-विमर्श के दौरान माहिर जस्टिस कमलजीत सिंह गरेवाल ने कहा कि लेखक ने जैमल और मीरा संबंधी तथ्यों और कल्पनाओं के मिश्रण को पुस्तक में संजोने का महान कार्य किया है। उन्होंने कहा कि लेखक ने मीरा के औरत रूपी चेहरे को उभारा है जबकि लोग मीरा को हमेशा संत के तौर पर जानते थे। मीरा के कीमती योगदान संबंधी बात करते हुए जस्टिस कमलजीत ने कहा कि दसवें सिख गुरू गोबिन्द सिंह जी ने भी मीरा संबंधी कविता लिखी है।


प्रसिद्ध इतिहासकार रीमा हुज्जा ने पुस्तक रिलीज़ सेशन की मेज़बानी की और लेखक की विलक्षण पहलकदमी संबंधी अपने विचार भी पेश किए। इस मौके पर पंजाब विधान सभा के स्पीकर श्री राणा के.पी. सिंह भी मौजूद थे।

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