हरियाणा में सिकुड़ती जा रही इनेलो, आगे बढ़ रही जजपा

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 10 दिसम्बर 2019, 7:45 PM (IST)

निशा शर्मा
चंडीगढ़।
हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) सिकुड़ रहा है, जबकि जननायक जनता पार्टी (जजपा) लगातार आगे बढ़ रही है। विधानसभा चुनावों के दौरान हरियाणा में इनेलो का प्रदर्शन जहां बहुत ही निराशाजनक रहा है, वहीं जजपा ने अपने पहले ही चुनाव में मास्टर स्ट्रोक लगाते हुए सत्ता में भागीदारी कर ली है। इनेलो की कोशिश पार्टी को फिर से खड़ा करने की है, लेकिन जजपा ने साथ लगते राज्य दिल्ली में भी पैर पसारने शुरू कर दिए हैं।
खराब है अभी समय-
इनेलो नेताओं के लिए भी यह समय खराब माना जा रहा है। हरियाणा में लाडवा क्षेत्र के पूर्व विधायक शेर सिंह बड़शामी गिरफ्तार हो चुके हैं, जबकि सीबीआई उन्हें गिरफ्तार करने की तैयारी में है। पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के साथ ही बड़शामी को भी शिक्षक भर्ती घोटाले में दस साल की सजा सुनाई गई थी। राज्य पुलिस ने उन्हें जमीन धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत रद्द कर सीबीआई को गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किए थे।
इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के टिकट पर विधायक रहे बड़शामी पर 96 कनाल 10 मरले जमीन की बिक्री के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करने के आरोप हैं। इन्हीं फर्जी दस्तावेजों के आधार पर इकरारनामा तैयार किया गया और फिर लाखों रुपए ऐंठ लिए गए। इस मामले में बड़शामी ने अदालत में सरेंडर कर दिया था। इसके बाद उन्हें पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया। पुलिस हिरासत के दौरान बड़शामी अपने मुंह पर कपड़ा बांधे रहे। जब उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
कुरुक्षेत्र जिले के खुर्दबन गांव के कर्मवीर ने रादौर पुलिस थाने में जमीन धोखाधड़ी मामले की शिकायत दी थी। कोर्ट के आदेश पर बड़शामी के अलावा ईश्वर सिंह और कर्म सिंह के खिलाफ भी धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया था। रादौर थाना प्रभारी सब इंस्पेक्टर गुरदेव सिंह सिद्धू ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर तीन लोगों के विरूद्ध जालसाजी का मामला दर्ज किया था। मामले में नामजद पूर्व विधायक शेर सिंह बडशामी ने सरेंडर किया था। रिमांड के दौरान उनसे पुलिस दस्तावेजों के बारे में जानकारी हासिल करेंगी। उन्होंने बताया कि इस मामले में 45 लाख रुपए की हेराफेरी की गई है। अभी 40 हजार रुपए की रिकवरी कर ली गई है, जबकि 44 लाख 66 हजार रुपए व दस्तावेजों की रिकवरी करनी बाकी है।
बड़शामी को मेडिकल ग्राउंड पर दिल्ली हाईकोर्ट से सशर्त अंतरिम जमानत मिली थी। दिल्ली के जीबी पंत व एलएनजेपी अस्पतालों के चिकित्सकों ने बड़शामी की मेडिकल रिपोर्ट में उन्हें ब्रेन हेमरेज का खतरा बताते हुए उनकी सर्जरी को जरूरी करार दिया था। उन्हें दिल्ली व कुरुक्षेत्र से बाहर नहीं जाने की हिदायत दी गई थी। हरियाणा में विधानसभा चुनावों के दौरान किसी ने शिकायत की थी कि वे अपनी पुत्रवधु के लिए चुनाव प्रचार कर रहे थे। उनके विरोधियों का आरोप था कि मेडिकल आधार पर जेल से छूट मिलने का गलत फायदा उठाते हुए उन्होंने चुनावों में प्रचार किया था।
इसके बाद अदालत ने उनकी जमानत रद्द कर गिरफ्तारी के लिए वारन जारी किए थे। बड़शामी की गिरफ्तारी के लिए सीबीआई की छह सदस्यीय टीम रादौर पुलिस स्टेशन पहुंची थी, लेकिन जमीन धोखाधड़ी मामले में पूछताछ और दस्तावेजों की बरामदगी के लिए हरियाणा पुलिस को दो दिन का रिमांड बढ़ा दिए जाने पर सीबीआई टीम को खाली हाथ ही दिल्ली लौटना पड़ा।

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परेशानियों का दौर-
उधर, हरियाणा में चौटाला परिवार सत्ता से बाहर होने के बाद से ही परेशानियां झेल रहा है। जेबीटी भर्ती घोटाले में दस-दस साल की सजा काट रहे पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय सिंह को अब आय से ज्यादा सम्पत्ति के मामले का सामना करना पड़ रहा है। सत्ता हासिल करने के लिए पिछले 15 साल से जूझ रही चौटाला की पार्टी इनेलो भी इस दौरान दोफाड़ हो चुकी है।
यहां यह बताना जरूरी है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शमशेर सिंह सुरजेवाला की शिकायत पर चौटाला और उनके दोनों बेटों अजय सिंह और अभय सिंह पर आय से ज्यादा सम्पत्ति का मामला दर्ज किया गया था। पूर्व मंत्री शमशेर सिंह सुरजेवाला कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला के पिता हैं। अपनी शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया था कि चौटाला ने वर्ष 1999 से 2005 तक आय से ज्यादा सम्पत्ति अर्जित की।
सीबीआई ने इस मामले की जांच की और 26 मार्च, 2010 को दायर आरोप पत्र में कहा था कि 6. 09 करोड़ की सम्पत्तियों के स्रोत अज्ञात हैं। सीबीआई ने चौटाला और उनके दोनों बेटों के पास भी आय से ज्यादा सम्पत्ति होने की बात कही थी। इसी मामले में अब प्रवर्त्तन निदेशालय (ईडी) ने सिरसा जिले में स्थित चौटाला का तेजाखेड़ा फार्म हाउस और पंचकूला जिले में सेक्टर-4 स्थित कोठी सील कर दी है। ईडी ने तेजाखेड़ा में 24 एकड़ 6 कनाल 15 मरले जमीन और उस पर बने फार्म हाउस के आधे हिस्से को, जिस पर नया भवन बनाया गया था, सील कर दिया है।
ईडी की इस कार्रवाई के दौरान चौटाला परिवार का कोई सदस्य मौजूद नहीं था। कार्रवाई के दौरान फार्म हाउस को सीआरपीएफ और पुलिस के जवानों ने अपने सुरक्षा घेरे में लिया हुआ था। फार्महाउस और पंचकूला स्थित कोठी के बाहर ईडी की तरफ से गई कार्रवाई से संबंधित नोटिस बोर्ड भी लगा दिया गया है। इससे पहले मई में ईडी ने चौटाला के बेटों अजय और अभय से उनकी सम्पत्ति का ब्यौरा भी मांगा था। गौरतलब है कि 3,206 जेबीटी शिक्षकों के भर्ती घोटाले के मामले में चौटाला और उनके बड़े बेटे अजय सिंह दिल्ली की तिहाड़ जेल में दस-दस साल की सजा काट रहे हैं. आय से अधिक सम्पत्ति का यह मामला अभी विचाराधीन है। लगातार परेशानियों से दो-चार हो रहे पार्टी के नेता कैसे इनेलो को फिर से मजबूती दे पाएंगे, यह अभी भविष्य के गर्भ में है।

आगे बढ़ती जजपा-
इस दौरान जजपा ने हरियाणा की राजनीति में अपनी जगह बना ली है। जजपा ने अपने गठन का एक साल पूरा कर लिया है। विधानसभा चुनावों में दस सीटें जीत कर पार्टी के मुखिया दुष्यंत चौटाला ने जता दिया है कि पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की राजनीति के असली उत्तराधिकारी वही हैं। दुष्यंत ने आने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों पर भी फोकस करना शुरू कर दिया है। दिल्ली के साथ लगते विधानसभा क्षेत्रों, जहां किसानों की तादाद ज्यादा है, जजपा चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारेगी। भाजपा के साथ मिल कर चुनाव लड़ा जाएगा या फिर जजपा अपने बलबूते पर अकेले लड़ेगी, यह अभी साफ होना है।
भाजपा के साथ मिल कर गठबंधन सरकार बनाने में जजपा को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है। उप मुख्यमंत्री के तौर पर दुष्यंत को दस भारी-भरकम महकमे मिले हैं। खुद के अलावा अनूप धानक को राज्य मंत्री बनवा लिया है। मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान जजपा का एक और विधायक मंत्री बन जाएगा। पिछले 15 साल से देवीलाल परिवार सत्ता से बाहर है, ऐसे में दुष्यंत ने सत्ता में साझेदारी करके समझदारी का परिचय दिया है। वे इसके जरिए हरियाणा में अपनी पार्टी की जड़ें और मजबूत कर सकेंगे। कार्यकर्ताओं को संगठित कर सकेंगे। अपनी सोच के मुताबिक विकास कार्यों को ठीक से अंजाम दे सकेंगे। अगर जजपा के चुनावी वादों को सिरे चढ़ा पाए तो मैदान में उनकी पकड़ और मजबूत होगी।

नहीं हैं समझौते की गुंजाइश
मौजूदा हालात में इनेलो और जजपा में किसी तरह के समझौते की कोई गुंजाइश नहीं है। दोनों ही पार्टियों की राजनीतिक रहें अलग हैं। ऐसे में जब संगठन के तौर पर इनेलो सिकुड़ रहा है, वहीं जजपा विस्तार ले रही है। जजपा ने अपना एक साल पूरा होने पर बीस दिसंबर से 20 जनवरी तक सदस्यता अभियान चलाने का फैसला कर लिया है, वहीं इनेलो को अपने सुप्रीमो चौटाला की सजा माफ़ी पर आने वाले फैसले का इन्तजार है।