विश्व की सर्वाधिक प्राचीन स्वास्थ्य विज्ञान ‘आयुर्वेद‘ भारत की एक अनुपम धरोहर है- कलराज मिश्र

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 10 दिसम्बर 2019, 7:08 PM (IST)

जयपुर। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि विश्व की सर्वाधिक प्राचीन स्वास्थ्य विज्ञान ‘आयुर्वेद‘ भारत की एक अनुपम धरोहर है। यह मानव कल्याण को समर्पित है।
राज्यपाल मिश्र मंगलवार को जोधपुर के डाॅ. राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय के करवड़ स्थित आईआईटी परिसर सभागार में आयोजित तृतीय दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।
राज्यपाल मिश्र ने कहा कि आयुर्वेद एक सम्पूर्ण जीवन विज्ञान है, जो जीवन के सभी पक्षों और गतिविधियों को छूता है। आयुर्वेद में पुरूषार्थ चतुष्ट्य (धर्म, अर्थ, कर्म, मोक्ष) को सार्थक ढंग से प्राप्त करने का वर्णन उपलब्ध है। आयुर्वेद में वर्णित दिनचर्या, रात्रिचर्या व ऋतुचर्या का आदर्श व्यवहार व्यक्ति के स्वास्थ्य संरक्षण में मुख्य भूमिका अदा करता है। आयुर्वेद हमें सद्वत सिखाता है, जो सदाचरण के द्वारा व्यक्ति को मानसिक बौद्धिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद ऐसा स्वास्थ्य विज्ञान है जो सबसे पहले स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य संरक्षण पर जोर देता है, ताकि कोई व्यक्ति बीमार ही न पड़े। उन्होंने कहा कि मानव कल्याण की भावना से ही हजारों वर्ष पूर्व भारत के चिकित्सा वैज्ञानिक ऋषि महर्षियों ने विश्व की महानतम समृद्ध भाषा संस्कृत में आयुर्वेद की लिपिबद्ध रचना की, जो विभिन्न काल-खंडों की चुनौतियों का सामना करते हुए वैज्ञानिक कसौटियों पर खरी सिद्ध हुई है।
राज्यपाल एवं कुलाधिपति मिश्र ने कहा कि आयुर्वेद की कई औषधियां रसोईघर में उपलब्ध होती है, जो घरेलू नुस्खों के रूप में भारत के जन जन में लोकप्रिय है। विश्व के विभिन्न देशों में आयुर्वेद की जड़ी बूटियों पर शोध हो रहा है और वें कैंसर, डायबिटीज जैसी जटिल बीमारियों में कारगार सिद्ध हुई है। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का ध्यान भारतीय चिकित्सा की आयुष पद्धतियों पर गया है। भारतीय ज्ञान चाहे वो अध्यात्म हो, योग हो या आयुर्वेद हो, विश्व में सभी जगह सम्मान प्राप्त कर रहा है। आप सभी आयुष पद्धतियों के साधकों का आह्वान करता हूं कि आज के समय की आवश्यकता को समझते हुए समर्पण के साथ से भारतीय समाज को स्वस्थ और सबल बनाने में अपना योगदान दें। इन प्रयासों से भारत विश्व शक्ति बनने के साथ साथ विश्वगुरू बनने में भी समर्थ हो सकेगा।
राज्यपाल ने कहा कि देश के द्वितीय एवं अपनी तरह के पहले आयुर्वेद विश्वविद्यालय की राज्य में स्थापना होने के बाद आयुर्वेद और आयुष पद्धतियों के विकास के अवसर बढ़े है। शिक्षण व्यवस्था में सुधार हुआ है। श्रेष्ठ आयुष चिकित्सकों का निर्माण हो रहा है। विश्वविद्यालय के माध्यम से आयुर्वेद की लोकप्रिय विधाओं जैसे पंचकर्म, क्षारकर्म, योग इत्यादि की विशिष्ट सेवाओं से सम्पूर्ण समाज लाभाविन्त हो रहा है। अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं विगम राष्ट्रीय कार्यशालाओं के आयोजन से विश्वविद्यालय देश विदेश में आयुर्वेद के एक विशिष्ट शिक्षण केन्द्र के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। इन सब के लिए यहां के विद्वान शिक्षक एवं प्रशासन बधाई के पात्र है। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय अपने योजना के अनुरूप विश्वविद्यालय को श्रेष्ठ शिक्षण और अनुसंधान के लिए एक केन्द्र के रूप में प्रतिष्ठापित करें।
उन्होंने कहा कि गत 26 नवंबर को पूरे देश में 70वां संविधान दिवस मनाया गया। मौलिक अधिकारों की तो हम बात करते हैं, लेकिन आवश्यकता है कि हम हमारें कत्र्तव्यों को जाने, समझे और उनके अनुरूप ही अपना कार्य और व्यवहार करे। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि आप लोग युवा हैं। राष्ट्र निर्माण में आपकों महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। इसलिए संविधान में प्रदत्त कर्तव्यों को आप लोग आचरण में लाकर आगे बढ़े। यदि हम सभी ने ऐसा प्रयास किया तो निश्चित तौर पर भारत देश को आगे बढ़ाने में और स्वंय के जीवन को भी प्रोन्नत करने में यह कदम बेहतरीन साबित होगा।

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राज्यपाल ने स्वर्ण पदक, उपाधि व प्रमाण पत्र प्रदान किए :-
राज्यपाल ने वर्ष 2016 एवं 2017 में उत्तीर्ण घोषित बी ए एम एस स्नातक परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त (2016) अंकिता मिश्रा को स्वर्ण पदक, द्वितीय स्थान प्राप्त उषा कुमारी व तृतीय स्थान प्राप्त अभिलाषा, वर्ष 2017 में प्रथम स्थान प्राप्त आकांक्षा शर्मा को स्वर्ण पदक, को उपाधि व प्रमाण पत्र प्रदान किए। वर्ष 2016 व 2017 में बी एच एम एस स्नातक परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त (2016) शरणजीत कौर को स्वर्ण पदक, द्वितीय स्थान प्राप्त दीपिका शर्मा व तृतीय स्थान आकांक्षा राणा व 2017 में प्रथम स्थान प्राप्त चेष्टा को स्वर्ण पदक, व तृतीय स्थान प्राप्त नवनीत कौर को उपाधि व प्रमाण पत्र प्रदान किए। वर्ष 2016-17 में बी यू एम एस स्नातक परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त (2016) सादिया खातून को स्वर्ण पदक, द्वितीय स्थान मोनू व तृतीय स्थान प्राप्त जोहरा खान व वर्ष 2017 में प्रथम स्थान प्राप्त मोहम्मद नईम को स्वर्ण पदक, द्वितीय स्थान शगुफ्ता परवीन व तृतीय स्थान प्राप्त मोहम्मद जीशान को उपाधि व प्रमाण पत्र प्रदान किए। वर्ष 2016 व 2017 में बी एन वाई एस स्नातक परीक्षा में प्रथम स्थान नितेश सैनी व तृतीय स्थान संदीप जांगिड़, वर्ष 2017 में प्रथम स्थान प्राप्त उषा बाटू को स्वर्ण पदक, द्वितीय स्थान करिश्मा पारीक व तृतीय स्थान विमला परमार को उपाधि व प्रमाण पत्र प्रदान किए। सभी प्रथम स्थान स्नातको को डाबर इंडिया लिमिटेड द्वारा प्रदत स्वर्ण पदक भी प्रदान किए।
स्नातकों को दीक्षा प्रदान की:-
राज्यपाल ने कुलपति के अनुरोध पर आयुर्वेद, होम्योपेथी, यूनानी व प्राकृतिक चिकित्सा व योग विषय संकायों में योग्य व सफल स्नातको को दीक्षा प्रदान करते हुए कहा कि आप जीवन, वाणी एवं व्यवहार में सदैव स्वयं को इस उपाधि के योग्य प्रमाणित करें ।

विश्वविद्यालय के न्यूज लेटर का विमोचन:-
राज्यपाल ने आयुर्वेद विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित न्यूज लेटर का विमोचन किया। समारोह में मुख्य अतिथि चिकित्सा, स्वास्थ्य, आयुर्वेद व सूचना एवं जनसम्पर्क मंत्री डाॅ. रघु शर्मा ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 10 मार्च 2003 को इस विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया व इस सरकार द्वारा विश्वविद्यालय की निरंतर विकास यात्रा में सक्रिय सहयोग दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज यह विश्वविद्यालय एक श्रेष्ठ स्नातकोत्तर शिक्षण संस्था के रूप में देश भर में अपनी पहचान रखता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के विद्वान शिक्षक चिकित्सकों द्वारा यहां के चिकित्सालय में सराहनीय सेवाएं दी जा रही है। यहां का पंचकर्म केन्द्र देश के श्रेष्ठ पंचकर्म केन्द्रों में से एक है व उत्तर भारत का सर्वश्रेष्ठ पंचकर्म केन्द्र है। उन्होंने कहा कि जोधपुर क्षेत्र के बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा संचालित स्वर्णप्राशन कार्यक्रम की गूंज राजस्थान के बाहर अन्य राज्यों में भी पहुंच गयी है। आयुर्वेद विश्वविद्यालय समाज में अपनी पैठ बना रहा है।
चिकित्सा मंत्री ने कहा कि राजस्थान देश का ऐसा प्रदेश है जहां आयुर्वेद के सर्वाधिक औषधालय एवं चिकित्सालय है। जहां के लोगों में आयुर्वेद के प्रति विश्वास एवं सम्मान है। यहां कि संस्कृति ने आयुर्वेद को आत्मसात किया है। आज सम्पूर्ण विश्व में इसकी मांग बढ रही है। अनेक जीर्ण व्याधियों की विचरण में पाश्चात्य चिकित्सा पद्धति असफल सिद्ध हो रही है, इसी कारण कुछ वर्षो में आयुर्वेद व अन्य वैकल्पिक भारतीय चिकित्सा पद्धतियों की ओर पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित हो रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के एक वर्ष के वर्तमान कार्यकाल में प्रदेश सरकार ने चिकित्सा के क्षेत्र में लोगों को निरोग रखने का कार्य किया है। 17 दिसम्बर को सरकार का एक वर्ष पूरा हो रहा है। निरोगी राजस्थान थीम पर कार्य शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पर्यटक धरोहर देखने आते है। इस प्राचीन आयुर्वेद पद्धति का प्रचार प्रसार का लक्ष्य निर्धारित किया है। 20 डेस्टिनेशन तय कर इनके लिए कलक्टरों को भूमि आवंटित करने को कहा है, जहां पीपीपी मोड पर आयुर्वेद केन्द्र विकसित किए जाए। मेडिसन प्लांटेशन को पुनर्जीवित किया जाएगा। जहां मेडिसन प्लांट उपलब्ध हो इस पर कार्य रहे है। उन्होंने कहा कि मेडिसन प्लांट लगाने पर किसान को उचित लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 2011 में निःशुल्क दवा की शुरूआत की। कुलपति प्रो. (डाॅ.) अभिमन्यु कुमार व आईआईटी जोधपुर के निदेशक प्रो. शान्तनुकुमार ने समारोह को संबोधित किया।
अधिष्ठाताओं ने स्नातकों के सत्र की उद्घोषणा की:-
समारोह में आयुर्वेद संकाय अधिष्ठाता प्रो. संजीव कुमार शर्मा, होम्योपेथी संकाय अधिष्ठाता योगेश्वरी गुप्ता, यूनानी संकाय अधिष्ठाता अब्दुल गफूर, प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग संकाय अधिष्ठाता प्रो. अंकेश कुमार सिंह ने मंच से उपाधि प्राप्तकर्ता स्नातको के सत्र की उद्घोषणा की।
प्रारंभ में एकडेमिक प्रोसेशन के सभागार में प्रवेश पर सम्मान में खड़े हुए व राष्ट्रगान हुआ, राज्यपाल,चिकित्सा मंत्री व कुलपति ने दीप प्रज्जवलित कर समारोह का शुभारंभ किया व छात्राओं ने कुलगीत गाया। कुलपति ने राज्यपाल व कुलाधिपति की अनुमति से तृतीय दीक्षान्त समारोह के शुभारंभ की घोषणा की। राज्यपाल ने सभी को भारतीय संविधान की प्रस्तावना (शपथ) दिलायी। कुलपति ने राज्यपाल कलराज मिश्र, चिकित्सा, स्वास्थ्य, आयुर्वेद एवं सूचना एवं जनसम्पर्क मंत्री डाॅ. रघु शर्मा व आई आई टी जोधपुर के निदेशक प्रो. शान्तनु कुमार को स्मृति चिन्ह भेंट किए। कुलसचिव अरूण पुरोहित ने आभार व्यक्त किया । समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।
समारोह में विधायक जोधपुर शहर मनीषा पंवार, प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़, कुलपति जेएनवीयू प्रो. बीएल चौधरी, कुलसचिव एनएलयू सोहनलाल शर्मा, कुलसचिव जेएनवीयू अयूब खान, जसवंत सिंह कच्छवाहा, विद्यार्थी व अभिभावक उपस्थित थे।