जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि संवेदनशील, पारदर्शी एवं जवाबदेह शासन की दिशा में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। जो अधिकारी लापरवाही करेगा, उस पर सख्त कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा बेहतर पब्लिक सर्विस डिलीवरी सरकार का मुख्य एजेण्डा है। इसकी धरातल पर माॅनीटरिंग के लिए अब हर माह जिला कलेक्टर्स के साथ वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग होगी। साथ ही जिला कलेक्टर्स और जिला स्तरीय अधिकारियों के वार्षिक मूल्यांकन का एक आधार पब्लिक सर्विस डिलीवरी होगा। उसमें यह टिप्पणी भी अंकित की जाएगी कि उन्होंने आमजन को राहत देने के लिए कितनी संवेदनशीलता के साथ कार्य किया।
गहलोत गुरुवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग से जिला कलेक्टरों के साथ राजस्थान सम्पर्क पोर्टल एवं मुख्यमंत्री आवास पर जनसुनवाई के प्रकरणों, पालनहार योजना, मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना, सामाजिक पेंशन योजना, खाद्य सुरक्षा, ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट के साथ ही आमजन से जुडे़ अन्य विषयों पर समीक्षा कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने सख्त संदेश देते हुए कहा कि कलेक्टर जिलों में सरकार का चेहरा हैं, जिला कलेक्टर संवेदनशीलता और सुशासन की मंशा के अनुरूप काम करें तथा जिले के प्रशासनिक तंत्र की कार्यशैली भी उसके अनुरूप होनी चाहिए। सरकार का यह प्रयास है कि जिला स्तर पर ही हल होने वाली समस्याओं के लिए आमजन को राजधानी तक नहीं पहुंचना पडे़। अगर ऐसे प्रकरण सामने आएंगे तो जिम्मेदार अधिकारी पर सरकार कड़ा रूख अपनाएगी।
गहलोत ने निर्देश दिए कि जिला कलेक्टर अपने अधीनस्थ अधिकारियों के कामकाज की रिपोर्ट मुख्य सचिव को भेजेंगे। कार्मिक सचिव, प्रशासनिक सुधार विभाग के सचिव तथा मुख्य सचिव के साथ चर्चा कर मुख्यमंत्री के स्तर पर रिपोर्ट पर आवश्यक कार्यवाही की जाएगी। बांसवाड़ा के प्रभारी सचिव अखिल अरोरा तथा पाली के प्रभारी सचिव प्रीतम बी यशवंत के जिलों के दौरे पर नहीं जाने को मुख्यमंत्री ने गंभीरता से लिया और निर्देश दिए कि मुख्य सचिव उनसे स्पष्टीकरण लें।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि आमजन से जुडे़ विभागों की बेहतर सर्विस डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय से भी माॅनीटरिंग की जाएगी। मुख्यमंत्री कार्यालय जनसुनवाई सहित विभिन्न माध्यमों से मिलने वाली पब्लिक सर्विस डिलीवरी की शिकायतों की माॅनीटरिंग करेगा।
गहलोत ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन में वार्षिक सत्यापन के लिए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की बाध्यता को हटाया जाए। उन्होंने कहा कि इसमें ऐसे लोग लाभान्वित होते हैं, जो वृद्धावस्था, दिव्यांगता, बीमारी एवं अन्य कारणों के चलते व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने में असमर्थ रहते हैं। ऐसे लोगों को राहत देने के लिए अभियान चलाकर पटवारी और ग्राम सेवकों की मदद से लंबित सत्यापन का कार्य 31 दिसम्बर तक पूरा करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ई-मित्र पर आमजन से जुड़ी सेवाओं का अलग-अलग शुल्क होने के कारण अधिक पैसा वसूलने की शिकायतें सामने आती हैं। उन्होंने निर्देश दिए कि विभिन्न सेवाओं के लिए समान दर निर्धारित की जाए। इससे उनकी मनमानी पर अंकुश लगेगा और ई-गवर्नेंस को बढ़ावा मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार निरोगी राजस्थान की अवधारणा पर काम कर रही है। उन्होंने कुछ जिलों में दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता के बावजूद रोगियों को दवाएं नहीं मिलने की शिकायत को गंभीरता से लिया और कलेक्टरों को निर्देश दिए कि वे दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करें। उन्होंने इसकी आॅनलाइन माॅनिटरिंग के भी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने निशुल्क जांच योजना के भी प्रभावी क्रियान्वयन के निर्देश दिए।
गहलोत ने निर्देश दिए कि जिलों में प्रभारी मंत्री की जनसुनवाई में जिला कलेक्टर एवं अन्य जिला स्तरीय अधिकारी आवश्यक रूप से मौजूद रहें। जिला प्रभारी सचिव तथा कलेक्टर प्रभारी मंत्री के साथ नियमित रूप से समन्वय रखें और उन्हें जिले के बारे में जरूरी फीडबैक देते रहें, ताकि सरकार के स्तर पर उचित निर्णय लिए जा सकें।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला स्तर पर सतर्कता समितियों की नियमित बैठकें
सुनिश्चित हों और इन्हें अधिक प्रभावी बनाया जाए। जिला कलेक्टर की
अध्यक्षता में प्रत्येक माह के तीसरे गुरूवार को इन समितियों की बैठक में
पुलिस अधीक्षक भी आवश्यक रूप से मौजूद रहें और फरियादियों की संवेदनशीलता
के साथ सुनवाई सुनिश्चित करें। उपखण्ड स्तर पर भी इसकी नियमित बैठकें हों।
साथ ही प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में गठित 20 सूत्री कार्यक्रम
क्रियान्वयन समितियों की भी नियमित बैठकें हों। उन्होंने कहा कि जिला
कलेक्टर रात्रि चैपाल एवं रात्रि विश्राम को प्राथमिकता दें। इससे समस्याओं
का वास्तविक फीडबैक मिल सकेगा।
गहलोत ने कहा कि राजस्व न्यायालयों में
करीब 4 लाख 75 हजार प्रकरण लंबित होना गंभीर है। उन्होंने कहा कि राजस्व
सचिव एवं जिला कलेक्टर इनकी समीक्षा कर समय पर निस्तारण सुनिश्चित करें।
उन्होंने कहा कि 10 वर्ष से ज्यादा पुराने मामलों का 3 माह में, 5 वर्ष से
अधिक पुराने मामलों का 6 माह में तथा 3 वर्ष से ज्यादा पुराने मामलों का 12
माह में निस्तारण सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि आमजन
के लंबित कार्यों का एक ही स्थान पर त्वरित निराकरण के लिए प्रशासन गांवों
के संग तथ प्रशासन शहरों के संग अभियान जल्द ही चलाया जाएगा। इसके लिए
जिला प्रशासन अभी से तैयारी शुरू करें।
बैठक में बताया कि आर्थिक
रूप से कमजोर वर्ग के आरक्षण में अचल सम्पत्ति संबंधी प्रावधान हटाए जाने
के बाद राज्य में 1 लाख 33 हजार से अधिक ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट जारी किए जा
चुके हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के युवाओं को राज्य की सेवाओं एवं
शिक्षण संस्थाओं में ईडब्ल्यूएस आरक्षण का अधिक से अधिक लाभ मिले, इस मंशा
से हमारी सरकार ने इस आरक्षण की जटिलाएं हटाई थीं। खुशी की बात है कि
लोगों को इसका लाभ मिलने लगा है।
मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने मुख्यमंत्री
की जनसुनवाई तथा राजस्थान सम्पर्क पोर्टल के माध्यम से प्राप्त होने वाले
प्रकरणों पर गंभीरता से अमल सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि निचले स्तर पर
हल होने वाली समस्याओं का निराकरण स्थानीय स्तर पर ही हो, इसके लिए जिला
कलेक्टर अपने अधीनस्थ अधिकारियों के कामकाज की नियमित समीक्षा करें।
अतिरिक्त
मुख्य सचिव वित्त निरंजन आर्य ने कहा कि जिलों में वित्तीय अनुशासन बनाए
रखना, जिला कलेक्टरों की जिम्मेदारी है। अगर वे इस दिशा में प्रयास करेंगे
तो अनावश्यक व्यय को रोका जा सकेगा और यह पैसा जनहित से जुडे़ कार्यों में
उपयोग हो सकेगा। इस अवसर पर प्रमुख शासन सचिव प्रशासनिक सुधार विभाग आर
वेंकटेश्वरन, आयोजना विभाग के प्रमुख सचिव अभय कुमार सहित अन्य अधिकारी
उपस्थित थे।