सिख अभ्यर्थी परीक्षाओं में धार्मिक प्रतीक धारण कर बैठ सकेंगे

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 04 दिसम्बर 2019, 6:56 PM (IST)

जयपुर। सिखों के प्रथम गुरू गुरूनानक देवजी के 550वें प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में बुधवार को मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित शबद कीर्तन के कार्यक्रम में गुरूवाणी का अमृत बरसा। श्रद्धामय माहौल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित पूरी संगत भाव विभोर हो उठी। इस अवसर पर सजाए गए विशेष दीवान साहिब के समक्ष मुख्यमंत्री सहित राज्य मंत्रिपरिषद के सदस्यों, विधायकों, अधिकारियों, कर्मचारियों और प्रदेशभर से आए लोगों ने मत्था टेका।


गहलोत ने सपरिवार दीवान साहिब के आगे शीश नवाया एवं प्रदेश की खुशहाली और अमन-चैन के लिए अरदास की। सुबह सुखमणी साहिब के पाठ के साथ कार्यक्रम की शुरूआत हुई। उसके बाद कीर्तन दरबार प्रारम्भ हुआ, जिसमें भाई अमरजीत सिंह पाटियाला वालों तथा दरबार साहेब अमृतसर से गुरूदेव सिंह जी के रागी जत्थों ने शबद गायन कर संगत को निहाल किया। इस दौरान पूरे समय बोले सो निहाल, सतश्री अकाल के जयकारे गूंजते रहे।


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राजस्थान आनंद मैरिज रजिस्ट्रेशन नियम-2019 का अनुमोदन

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रदेश में सिख समाज में रीति-रिवाज से हुई शादियों के रजिस्ट्रेशन के उद्देश्य से राजस्थान आनंद मैरिज रजिस्ट्रेशन नियम-2019 के प्रारूप का अनुमोदन किए जाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सिख समुदाय के प्रबुद्ध लोगों से चर्चा एवं सहमति के बाद राजस्थान आनंद मैरिज रजिस्ट्रेशन नियम-2019 का प्रारूप तैयार किया गया है। साथ ही इसका अनुमोदन भी कर दिया गया है।


गहलोत ने राज्य में विभिन्न प्रतियोगी तथा शैक्षणिक परीक्षाओं में बैठने वाले सिख धर्म के अभ्यर्थियों को कड़ा, कृपाण एवं पगड़ी आदि धार्मिक प्रतीक धारण कर परीक्षा में शामिल होने की अनुमति देने की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरूनानक देवजी ने अंधविश्वासों एवं आडम्बरों का विरोध किया और आपसी मतभेद मिटाकर सभी धर्मों के लोगों को एकजुट रहने का संदेश दिया। सर्वधर्म समभाव की 550 वर्ष पहले की उनकी शिक्षा आज के दौर में ज्यादा प्रासंगिक हो गई है। गुरूनानक देव जी ने सभी जनों के बीच सौहार्द की कामना की जो उनकी मुख्य शिक्षाओं में से एक है। पंजाबी में इसे ’सरबत दा भला’ कहा गया है। उनकी शिक्षाओं का पालन करते हुए हम सब देश-प्रदेश और समाज में भाईचारा कायम करने के प्रयास करें।



मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरूनानक देव महिला सशक्तीकरण के समर्थक थे। उनका कहना था कि हम सभी को जन्म देने वाली महिला होती है, इसलिए हमें महिलाओं का सम्मान करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब समय आ गया है कि महिलाओं को घूंघट से आजादी मिले। देश एवं प्रदेश की महिलाएं और पुरूष आगे आकर घूंघट हटाने का अभियान चलाएं। आधुनिक समाज में घूंघट और बुर्का अप्रासंगिक हो चुका है। जिस परिवार में महिलाएं घूंघट में रहती हैं, उस परिवार का विकास नहीं हो पाता।
शबद कीर्तन के दौरान रागी गुरूदेवसिंह ने कहा कि सिख समाज सदैव अरदास में सभी के भले की कामना करता है। उन्होंने कहा कि गुरूनानक देव का 550वां प्रकाश पर्व बहुत बड़ा अवसर है। इस पावन अवसर पर हम सभी गुरूवाणी के माध्यम से सर्व कल्याण की भावना के साथ आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरूनानक देवजी के संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करने का जो फैसला किया है, इससे समाज में अपार हर्ष है। आज उन्हीं के प्रयास से सिख समाज के साथ-साथ सभी धर्मों के लोगों को एक साथ एकत्र होने का अवसर मिला है। साम्प्रदायिक सौहार्द की यह अनोखी मिसाल उन्होंने पेश की है।