क्या चौटाला को मिल सकेगी सजा माफ़ी ?

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 03 दिसम्बर 2019, 7:29 PM (IST)

निशा शर्मा
चंडीगढ़।
इन दिनों हरियाणा की राजनीति में एक ही बात की ही चर्चा है कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला को सजा में माफ़ी मिल पाएगी? क्या चौटाला जेल से बाहर आ पाएंगे? जेबीटी भर्ती घोटाले में चौटाला को दस साल की सजा हुई थी। वे करीब 7 साल से जेल में सजा काट रहे है। चौटाला की सजा माफी की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है।
इस मामले में उच्च न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इसी से इस बात को लेकर चर्चाएं जारी हैं कि फैसला कब तक आएगा? क्या चौटाला जेल से बाहर आ पाएंगे? क्या फैसला कहीं उनके खिलाफ तो नहीं चला जाएगा? जितने लोग, उतनी बातें हैं, लेकिन इतना जरूर है कि राज्य की राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों, चौटाला के समर्थकों और यहां तक कि उनके विरोधियों को भी फैसले का इन्तजार है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार ने उनकी समयपूर्व रिहाई का विरोध किया है। दिल्ली सरकार का कहना था कि चौटाला को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम (पीसी एक्ट) के तहत दोषी ठहराया गया है। इस अधिनियम में दोषी ठहराए गए व्यक्ति को किसी तरह की कोई राहत नहीं दी जा सकती।
न्यायाधीश मनमोहन और न्यायाधीश संगीता ढींगरा सहगल की खंडपीठ के समक्ष चौटाला ने अपने वकील अमित साहनी के माध्यम से याचिका दायर की थी। इनेलो नेता चौटाला ने कहा था कि केंद्र सरकार के विशेष राहत के प्रावधान के तहत उन्हें रिहाई मिलनी चाहिए।
केंद्र के विशेष राहत के प्रावधान के तहत यह व्यवस्था की गई है कि अगर किसी कैदी ने आधी सजा पूरी कर ली है, उम्र 60 साल से अधिक हो और 75 फीसदी शारीरिक दिव्यांगता हो, उसे सजा से माफ़ी मिल सकती है। इसी आधार पर चौटाला की तरफ से उनके वकील ने याचिका दायर की थी।
चौटाला 3206 जेबीटी शिक्षकों की भर्ती संबंधी घोटाले में करीब 7 साल की सजा जेल में काट चुके हैं। उनका मानना है कि बढ़ती उम्र के मद्देनजर, केंद्र सरकार की ओर से तय नए नियमों के मापदंड को वे पूरा करते हैं। चौटाला ने अपनी याचिका में बढ़ती उम्र और दिव्यांगता को आधार बनाया था। उनके वकील ने यह भी कहा था कि वर्ष 2013 में जब चौटाला को सजा सुनाई गई थी तो इस पीसी एक्ट में अधिकतम सजा 7 वर्ष थी।
इस मामले में साजिश रचने की धारा (120बी) को पीसी एक्ट के साथ देखा जाए तो भी अधिकतम सजा 7 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए थी। चौटाला के बेटे अजय चौटाला, आईएएस अधिकारी संजीव कुमार और 53 अन्य लोगों को इस मामले में दोषी ठहराया गया था। इनमें 16 महिला अधिकारी भी शामिल थीं। जेबीटी शिक्षकों की भर्ती के इस
घोटाले को तत्कालीन प्राथमिक शिक्षा निदेशक संजीव कुमार ने उजागर किया था। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में इसके खिलाफ याचिका दायर की थी।
हालांकि, बाद में इस मामले में संजीव कुमार को भी शामिल पाया गया। सीबीआई की जांच के अनुसार, संजीव भी इस घोटाले में भागीदार थे। इस प्रकरण में शामिल अन्य लोगों से विवाद होने के कारण ही वे चौटाला के खिलाफ हो गए थे। इस भर्ती के समय चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री थे।
जेबीटी भर्ती घोटाले में चौटाला के जेल चले जाने की वजह से इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) को राजनितिक तौर पर काफी नुकसान उठाना पड़ा है। उनकी गैरमौजूदगी की वजह से इनेलो दो फाड़ हो गई। चाचा अभय सिंह और भतीजे दुष्यंत की राहें अलग हो गईं। इनेलो से अलग हो कर जननायक जनता पार्टी (जजपा) बन गई। अभय सिंह को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद खोना पड़ा। जींद उप चुनाव में इनेलो उम्मीदवार उमेद सिंह की जमानत जब्त हो गई।
जींद उप चुनाव में इनेलो के खराब प्रदर्शन को देखते हुए बसपा ने चुनावी गठबंधन तोड़ लिया। इसे बाद एक-एक कर के इनेलो के विधायकों ने पार्टी छोड़ कर भागना शुरु कर दिया। इनेलो से जुड़ा युवा वर्ग दुष्यंत चौटाला की तरफ चला गया। लोगों ने मान लिया कि आने वाले समय में इनेलो का ग्राफ उठना मुश्किल होगा।
विधानसभा चुनावों में यह साफ़ भी हो गया। राज्य की कुल 90 सीटों में से इनेलो को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली। केवल अभय सिंह अपनी ऐलनाबाद सीट को बरकरार रख पाए। बहुत-सी सीटों पर इनेलो उम्मीदवार जमानत भी नहीं बचा पाए। दूसरी तरफ जजपा दस सीटें जीतने में सफल रही। भाजपा को समर्थन का ऐलान कर जजपा गठबंधन सरकार में शामिल हो गई।
राज्य के विधानसभा चुनावों से यह साफ़ हो गया कि लोगों ने इनेलो के विकल्प के तौर पर जजपा को अपना लिया है। दुष्यंत ने अपने पत्ते बहुत होशियारी से खेले और समर्थन के बदले उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। समझौते के तहत दो मंत्री पद भी मिल गए। देवीलाल और चौटाला के साथ वर्षों से संघर्ष में शामिल रहे लोगों को लगा कि 15 साल बाद सरकार में उनकी साझेदारी हो गई है।
ऐसे में अब इनेलो कार्यकर्ताओं को चौटाला के जेल से बाहर आने का इन्तजार है। उन्हें लगता है कि अगर सजा माफ़ होने पर चौटाला बाहर आते हैं तो पार्टी को फिर से खड़ा कर सकते हैं। चौटाला जुझारू हैं, यह किसी से छुपा नहीं है। विपरीत परिस्थितियों में भी वे कभी हार नहीं मानते। हालात को अपने हक में मोड़ने में उन्हें महारत हासिल है। उनकी गिनती हरियाणा के सबसे मोबाइल नेताओं में होती रही है। दो-तीन दिनों के भीतर वे कई-कई बार हरियाणा को नापते रहे हैं।
अगर चौटाला जेल से बाहर आते हैं तो वे घर बैठने वाले नहीं हैं। पार्टी की राज्य इकाई में फेरबदल कर सकते हैं। राज्य के सभी जिलों का दौरा कर इनेलो को फिर से खड़ा करने की कोशिशों में जुट जाएंगे। इसमें कोई शक नहीं है। उम्र को मात देते हुए चौटाला विरोधियों को निशाने पर लेंगे और अपने पुराने साथियों को फिर से पार्टी से जोड़ने के लिए बुला लेंगे, लेकिन यह सब तभी संभव हो पाएगा, जब चौटाला दिल्ली की तिहाड़ जेल से बाहर आ पाएंगे।

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