गाय ममता का सार्वभौमिक प्रतीक: जय राम ठाकुर

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 03 दिसम्बर 2019, 5:48 PM (IST)

शिमला। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने मंगलवार को यहां ‘गौ माता का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में कहा कि गौ माता मानव के स्वास्थ्य के साथ-साथ प्राकृतिक खेती के लिए भी अत्यन्त लाभदायक है। प्रदेश सरकार गौवंश की देसी नस्लों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।
इस कार्यक्रम का आयोजन आरोग्य भारती हिमाचल प्रदेश और कल्याणी पहाड़ी गऊ विज्ञान केन्द्र, राम कमल चैरिटेबल और रिलिजियस ट्रस्ट शिमला द्वारा पोर्टमोर विद्यालय में किया जा रहा है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अपने कार्यकाल के आरम्भ में ही हिमाचल में गौ संरक्षण बोर्ड के गठन और प्रति शराब की बोतल पर एक रुपए का टैक्स लगाने का निर्णय लिया, जिससे प्रदेश में गौ अभ्यारण्य और गौ सदनों का निर्माण एवं रख-रखाव किया जा रहा है। इससे बेसहारा पशुओं को आश्रय प्राप्त होगा। उन्होंने लोगों से पशुओं को बेसहारा न छोड़ने का आग्रह भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अधिक दूध उत्पादन के लिए विज्ञानी और पशुपालक गौवंश की विदेशी और आयातित नस्लों का चुनाव कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब लोगों ने देसी गौ नस्लों के महत्व को पहचाना है, जिसमें स्वास्थ्य लाभों के अतिरिक्त इन नस्लों का भारतीय भौगोलिक परिस्थितियों के अनुकूल होना है।
जय राम ठाकुर ने इस अवसर पर गैर सरकारी संगठनों तथा धार्मिक संस्थाओं से गौ की देसी नस्लों के संरक्षण के लिए आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शीघ्र ही सिरमौर ज़िला के कोटला में गौ अभ्यारण्य स्थापित करने जा रही है। प्रदेश के अन्य भागों में भी बेसहारा पशुओं को आश्रय प्रदान करने के लिए इस प्रकार के अभ्यारण्य स्थापित किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गाय ममता का सार्वभौमिक प्रतीक है और भारतीय मान्यताओं के अनुसार गाय के शरीर में 33 करोड़ देवी-देवता वास करते हैं और गौ सेवा से मोक्ष प्राप्त होता है।
शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने इस अवसर पर कहा कि गाय को न केवल पवित्र पशु माना जाता है, अपितु वह ग्रामीण अर्थ व्यवस्था की रीढ़ भी है। उन्होंने कहा कि गाय का प्रत्येक पदार्थ मानव तथा प्रकृति के लिए उपयोगी होता है।
ग्रामीण विकास, पंचायती राज और पशु पालन मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने कहा कि केंद्र सरकार ने प्रदेश में वर्गीकृत वीर्य (सेक्स साॅर्टेड सीमेन) परियोजना को मंजूरी प्रदान की है ताकि देसी प्रजाति के पशुओं को बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने कहा कि पहाड़ी प्रजाति की गाय को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने ‘गौरी’ परियोजना तैयार की है जिसे केंद्र सरकार से शीघ्र ही स्वीकृति मिल जाएगी।
राष्ट्रीय संगठन आरोग्य भारती के सचिव डाॅ. अशोक ने कहा कि गाय केवल हमें दूध प्रदान नहीं करती, बल्कि यह हमारे पर्यावरण को संतुलित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पंचगव्य रासायनिक रूप से शुद्ध होता है और साथ ही आहार में इसके प्रयोग से जीवनकाल बढ़ता है, व्यक्तित्व तथा बौद्धिक क्षमता का भी विकास होता है। आयुर्वेदिक के अनुसार इससे तीन तरह के रोगों का नाश होता है और यह खून संबंधी अशुद्धियों को नष्ट करता है।
आरोग्य भारती के राष्ट्रीय सचिव डाॅ. राकेश पंडित ने कहा देसी गाय के दूध में प्रचूर मात्रा में ए-2 प्रोटीन, ओमेगा-3, विटामिन, मिनरल, सेरीब्रोसाइडस, स्ट्रोनटियम पाए जाते हैं। गाय के दूध में मुख्यतः कैल्शियम पाया जाता है, जो मानव की हड्डियों के विकास के लिए आवश्यक है और गाय का दूध अमलता को भी कम करता है। साथ ही यह मानव के रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
कल्याणी पहाड़ी गौ विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष रोहताश ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया।गौ सेवा आयोग के उपाध्यक्ष अशोक शर्मा, शिमला जिला के भाजपा अध्यक्ष रवि मेहत्ता और युव राज बोध इस अवसर पर उपस्थित थे।

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