वाशिंगटन। पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप में कई सालों से सख्त कैद की सजा काट रहे शिक्षक जुनैद हफीज का नाम अमेरिका के धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने अपने वैश्विक पीड़ितों के डेटाबेस में शामिल किया है। इस कदम से आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि जुनैद किस भयावह संकट में हैं और जेल में उनकी जान को किस हद तक खतरा है। यह आयोग पूरी दुनिया में धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के मामलों की समीक्षा करता है और राष्ट्रपति, विदेश मंत्री तथा अमेरिकी संसद के लिए नीतिगत सुझाव देता है। यह दुनियाभर के उन लोगों की एक सूची भी बनाता है जिनका धार्मिक आधार पर उत्पीड़न हुआ हो या हो रहा हो।
अपनी अपडेट की गई लिस्ट में यूएससीआईआरएफ ने पाकिस्तान के शहर मुल्तान के शिक्षक जुनैद हफीज का नाम शामिल किया है। जुनैद का केस बीते 6 सालों से चल रहा है और यूएससीआईआरएफ का कहना है कि वह जेल में तन्हाई में रखे गए हैं।
यूएससीआईआरएफ ने कहा है कि जुनैद के इतने लंबे मामले में अब आठवें जज की नियुक्ति हो चुकी है और अभियोजन कथित ईशनिंदा का एक भी सबूत नहीं पेश कर सका है। इस दौरान जुनैद भयावह मानसिक व शारीरिक पीड़ा से गुजर रहे हैं। उन्हें, उनके परिवार व वकीलों को जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं। साल 2014 में उनके वकील की हत्या कर दी गई थी।
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आयोग ने इससे पहले जारी अपनी एक नीतिगत रिपोर्ट में ईशनिंदा के आरोप में मौत की सजा पाने वाली इसाई महिला को रिहा करने पर पाकिस्तान की तारीफ करते हुए कहा था कि आज भी पाकिस्तान में करीब 80 ऐसे लोग हैं जो ईशनिंदा के आरोप में जेल में हैं। पाकिस्तान दुनिया के मात्र ऐसे 3 देशों में शामिल है जहां इस तरह के आरोप के साबित होने पर मौत की सजा का प्रावधान है, हालांकि इस कानून के तहत वहां की सरकार ने अभी तक किसी को मृत्युदंड नहीं दिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कथित ईशनिंदा के नाम पर जुल्म का शिकार लोगों की सुरक्षा के लिए पाकिस्तानी अधिकारियों ने बहुत कम प्रयास किए हैं।
(आईएएनएस)