नई दिल्ली। बाजारवाद की संस्कृति का विरोध करना ही स्वदेशी है, यह बात आयुर्वेद के विद्वान एव चिंतक आचार्य बालकृष्ण ने शुक्रवार को स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सभा के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि के रूप में कही। आचार्य बालकृष्ण हरिद्वार में स्वदेशी जागरण मंच की राष्ट्रीय सभा के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति विश्व कल्याणकारी है, पश्चिम के लोगों ने भारत को एक बाजार माना है और बाजार के रूप में भारतीय सभ्यता संस्कृति का शोषण किया है बल्कि भारत के कुटीर उद्योग धंधों को तहस-नहस करने में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान है।
आचार्य ने कहा कि स्वदेशी के कार्यकर्ता भारतीय संस्कृति के उपासक हैं,भारत का विकास इंडिया से नहीं बल्कि भारत से ही होगा। आचार्य बालकृष्ण ने आयुर्वेद, योग,भारतीय संस्कृति भारत के इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत की संस्कृति 5000 साल पुरानी है और जिस पर समय-समय पर आक्रमण होते रहे, घात -प्रतिघात चलते रहे लेकिन भारतीय संस्कृति को समाप्त नहीं कर पाए।
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देश में आज स्वदेशी को लेकर एक सकारात्मक माहौल बना है और लोगों को
लगने लगा है कि यदि हमें हमारी सभ्यता और संस्कृति को जीवित रखना है, यदि
हमें योग व आयुर्वेद को जीवित रखना है तो स्वदेशी को अपनाना होगा तभी हम
इस 5000 साल पुरानी संस्कृति को कालांतर तक जीवित रह पाएंगे।
आचार्य
ने उन तमाम घटनाओं का भी जिक्र किया, जिन घटनाओं में देश के समक्ष
चुनोतियों के रूप में उभर कर आई थी। अमूल के एमडी उपेंद्र सोडी ने अमूल
की वर्षों की यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किस प्रकार अमूल ने विकास
के पैमाने तय किए हैं।आज लोग किस प्रकार अमूल दूध पीकर अपनी ना सिर्फ सेहत
सुधार रहे हैं बल्कि भावी पीढ़ी को भी मजबूत बना रहे हैं।
इस मौके
पर गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति रामकिशोर शर्मा ने भी अपने
विचार व्यक्त किए। आरंभ में स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक अरुण
कुमार ओझा ने वर्ष 2018 - 19 के कार्यक्रमों का पूरा विवरण रखा। जयपुर
प्रांत से 38 कार्यकर्ता शामिल हो रहे हैं।