मुख्यमंत्री योगी के गृहजनपद की गौशाला में पैदा होगी बिजली

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 26 नवम्बर 2019, 4:41 PM (IST)

गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृहजनपद गोरखपुर की गौशाला में बिजली पैदा करने की तैयारी चल रही है। गोरखपुर के महेवा स्थित कान्हा उपवन में पशुओं की उचित देखभाल के साथ वहां पर आने वाले बिजली के खर्च को कम करने की ²ष्टि से यह कदम उठाया जा रहा है। बायोगैस प्लांट लगाने के लिए शासन ने स्वीकृति देने के साथ ही बजट भी जारी कर दिया है। नगर निगम प्रशासन ने कुछ महीने पहले इसका प्रस्ताव भेजा था। बायोगैस प्लांट का निर्माण हाल में भाजपा पार्षद के अवैध कब्जे से मुक्त कराई गई जमीन पर किया जाएगा।

सहायक नगर आयुक्त संजय कुमार शुक्ला ने आईएएनएस को बताया कि गौशाला की कार्यदायी संस्था सीएनडीएस है, जो यहां पर बायो गैस से बिजली बनाने की तैयारी कर रही है।

सीएनडीएस के प्रोजेक्ट मैनेजर ए.के. सिंह ने आईएएनएस को बताया, "कान्हा उपवन में बिजली खर्च घटाने और यहां की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए आधुनिक बायोगैस प्लान्ट लगाया जा रहा है। इसके लिए बिडिंग शुरू की गई है। अभी इसमें लखनऊ, दिल्ली, पुणे की कंपनियों ने भाग लिया है। टेंडर के बाद इसे बनाया जाएगा।"

उन्होंने बताया कि "आईआईटी के प्रोफेसरों ने इसका नया डाईग्राम बनाया है। इसके बाद अब काम शुरू हो रहा है। यह प्लान्ट छोटा रहेगा। इससे उपवन के बिजली खर्च को घटाया जाएगा। प्लान्ट बनाने में 26 लाख का इस्टीमेट तैयार किया गया है। लेकिन टेंडर के बाद इसकी मूल लागत का पता चलेगा। क्योंकि प्लान्ट का ढांचा अलग तरीके बनाया जा रहा है। इसमें सिविल वर्क ड्रेन स्टोरेज के अलावा अन्य कई चीजें बनाई जानी है।"

उन्होंने कहा, "कान्हा उपवन में इकट्ठा गोबर का उपयोग कर बायोगैस प्लांट से पांच किलोवाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। इस बिजली का उपयोग कान्हा उपवन में किया जा सकेगा। अनुमानित 110 जनवरों के गोबर से एक किलोवाट तक बिजली बन सकती है। अब इसे देखा जाएगा। अभी यहां पर करीब 800 गौवंश हैं।"

प्रोजेक्ट मैनेजर ने बताया कि "सात एकड़ में फैली इस गौशाला को अत्याधुनिक बनाने का काम भी हो रहा है। एक सेड में 400 से अधिक पशु हैं। इसमें भूसा गोदाम है। एक छोटा अस्पताल है, जिसमें पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी और डॉक्टरों के बैठने की व्यवस्था है। इसके अलावा यहां ट्यूबेल है। चार कमरे यहां पर रखरखाव के लिए बनाए जाने हैं। दुधारू पशु के लिए मिल्क कलेक्शन सेंटर भी बनाया जाना है।" (आईएएनएस)

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