राजस्थान का पहला बांध बीसलपुर, जो होगा हाईटैक, यहां पढ़ें

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 25 नवम्बर 2019, 7:41 PM (IST)

सत्येंद्र शुक्ला
बीसलपुर बांध (टोंक)
। बीसलपुर बांध अब इस वित्तीय वर्ष से हाईटैक होने जा रहा है। इस बांध पर स्काडा यानी सुपर वाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एग्वीजिशन सिस्टम यानी ऑटोमेशन का कार्य 31 दिसंबर 2019 तक पूरा हो जायेगा। प्रदेश में बीसलपुर पहला बांध है, जहां पर स्काडा सिस्टम लगाया जा रहा है। बीसलपुर बांध के सभी 18 गेटो पर सीसीटीवी कैमरा होगा। साथ ही बांध पर बने कंट्रोल रूम में 110 इंच की एक टीवी स्क्रीन होगी। इसके साथ ही जयपुर के सिंचाई भवन में भी कंट्रोल सिस्टम होगा।
जल संसाधन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर संजय अग्रवाल ने बताया कि करीब साढ़े तीन करोड़ की लागत से यह SCADA System लगाया जा रहा है। इस सिस्टम से लगने से बांधों के गेटों का ऑटोमैशन हो जायेगा। अभी बांध के गेट खोलने या बंद करने का काम इलेक्ट्रेकिली और मैकेनिकल तरीके से होता है। लेकिन अब इस सिस्टम के लगने के बाद सभी गेट ऑटोमैशन के दायरे में होंगे और कंट्रोल रूम से कंट्रोल किये जा सकेंगे। साथ ही कैमरे लगने से बांध के गेटों पर पानी के स्तर का पता चल सकेगा।
इसके बाद इस तरह का सिस्टम बांसवाड़ा के माही डैम, पाली के जवाई डैम और बूंदी के गुढ़ा डैम में लगाने की योजना है।
जल संसाधन विभाग इसके अतिरिक्त बीसलपुर डैम में आने वाली तीन नदियों के लिए वाटर लेवल रिकॉर्डर फ्लो मैनेजमेंट सिस्टम भी लगा रहा है। यह वाटर लेवल रिकॉर्डर सिस्टम बनास नदी के साथ-साथ अन्य नदियों के पुल के नीचे लगाये जायेंगे। इस सिस्टम के लगने से बारिश के पानी के आवक की पहले से जानकारी मिल जायेगी। जिससे बीसलपुर बांध के गेट खोलने या बंद रखे रखने पर कार्य पहले से हो सकेगा। अभी पूरे प्रदेश में 28 लोकेशन चिह्नित की गई है, जहां पर यह वाटर लेवल रिकॉर्डर सिस्टम लगाया जा रहा है। 16 करोड़ की लागत से यह सिस्टम लगाया जा रहा है, जिससे प्रदेश के 80 डैम कवर होंगे, जहां पर बांध की भराव क्षमता का ऑनलाइन अपडेट मिल सकेगा। इस सिस्टम के जरिये बाढ़ आने की पूर्वानुमान हो सकेगा।







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जल संसाधन विभाग के मुताबिक अभी अचानक बारिश आने से नदियों के पानी के जल स्तर का पता चल पाता है, और डूब क्षेत्र को चेतावनी भी नहीं मिल पाती है। लेकिन अब यह सिस्टम लगने से पहले से पता चल सकेगा कि इस नदी में जल स्तर बढ़ गया है और बांध के गेट खोलने की नौबत आ सकती है। साथ ही डूब क्षेत्र में आने वाले गांव या कस्बे को पहले से सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा सकेगा। बाढ़ को लेकर मॉनटरिंग में यह सिस्टम बेहद कारगर साबित होगा।