मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति ने शनिवार सुबह सबकुछ बदल कर रख दिया है। महाराष्ट्र में भाजपा और एनसीपी के कुछ विधायकों के समर्थन से आज सरकार बन गई है। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने देवेंद्र फडणवीस को सीएम शपथ दिला दी है। वहीं अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली है।
इसी बीच शिवसेना को इस राजनीति में खाली हाथ लौटना पड़ा। क्योंकि 24 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित किए गए थे। बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीट मिलीं थी। महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों की आवश्यता होती है। भाजपा और शिवसेना के पास फिर से सरकार बनाने लायक आंकड़े थे।
इसके बाद शिवसेना ने बीजेपी के सामने ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री पद बांटने की शर्त रख दी। भाजपा तैयार नहीं हुई और शिवसेना दूसरी पार्टियों के साथ सरकार बनाने के विकल्प तलाशने में जुट गई।
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शिवसेना के बीजेपी पर प्रहार तेज होते गए। सामना में
संपादकीय में शिवसेना ने 30 साल सहयोगी रही बीजेपी पर जमकर हमला बोला गया।
फिर कांग्रेस, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बीच सरकार गठन पर
बातचीत के कई दौर की बैठकें चलीं। कभी शरद पवार सोनिया गांधी से मिले और
कभी उद्धव से। लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुलकर किसी पार्टी ने सरकार गठन
पर बयान नहीं दिया। इसके बाद गठबंधन का फॉर्मूला, मंत्रियों की संख्या और
कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर चर्चा होती रही।
इस बीच शुक्रवार को वर्ली
में नेहरू सेंटर में राज्य में सरकार बनाने की कवायद तेज हो गई। एनसीपी,
शिवसेना और कांग्रेस के बीच बैठक हुई, जिसमें मुख्यमंत्री पद के लिए
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नाम की सहमति बन गई। एनसीपी प्रमुख शरद पवार
ने खुद इसकी घोषणा कर दी। लेकिन शनिवार सुबह देवेंद्र फडणवीस ने फिर एक
बार राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली। वहीं एनसीपी नेता अजित पवार
डिप्टी सीएम बन गए।
लेकिन अचानक बदली राजनीति में महाराष्ट्र
में शिवसेना खाली हाथ रह गई। ऐसे में न तो शिवसेना को मुख्यमंत्री पद मिला,
न 50-50 फॉर्मूला काम आया और भाजपा से अलग होकर वह जीरो पर आउट होकर
पवेलियन लौट गई।