अयोध्या। अयोध्या भूमि विवाद मामले में मुख्य वादियों में से एक निर्मोही अखाड़े ने अगले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने का फैसला किया है। इस दौरान अखाड़ा राम मंदिर ट्रस्ट में महत्वपूर्ण पद को लेकर दावा करेगा और रामानंदी वैष्णव संप्रदाय के लिए भगवान राम की पूजा को लेकर महत्वपूर्ण भूमिका की मांग करेगा।
यह निर्णय अयोध्या में अखाड़े के प्रमुख साधुओं की हुई बैठक में लिया गया है।
अखाड़ा का संबंध रामानंदी वैष्णव संप्रदाय से है और कई दशकों से अखाड़ा रामजन्मस्थान में पूजा के अधिकार की मांग कर रहा है।
निर्मोही अखाड़ा के वकील और प्रवक्ता रंजीत लाल वर्मा ने कहा कि रामजन्मभूमि मंदिर में निर्मोही अखाड़े की ऐतिहासिक उपस्थिति है और राम लला को पूजने का अधिकार हमेशा निर्मोही अखाड़े के पास रहा है।
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वर्मा ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा प्रधानमंत्री से मुलाकात करेगा और
बाद में इसकी कार्यकारिणी इकाई फिर से अयोध्या में यह चर्चा करने के लिए
बैठक करेगी कि उन्हें फैसले के निर्देशानुसार उपयुक्त स्थान दिया गया है या
नहीं।
पुनर्विचार याचिका पर, वर्मा ने बताया कि हमने इसपर निर्णय
नहीं लिया है। अखाड़ा ने सबसे पहले प्रधानमंत्री से मुलाकात करने का निर्णय
लिया है, क्योंकि फैसले के पृष्ठ संख्या 925 में वर्णन किया गया है कि
हमें निश्चित ही सही स्थान दिया जाना चाहिए और हम ट्रस्ट के प्रबंधन में
महत्वपूर्ण स्थान- संभवत: अध्यक्ष या सचिव पद की अपनी मांग उनके समक्ष
रखेंगे और देखेंगे कि हमें ट्रस्ट में किस तरह की भूमिका मिलती है।"
वर्मा
ने बताया कि हमें रामजन्मभूमि में संप्रभुता अधिकार प्राप्त है, हालांकि
अदालत ने इससे इनकार कर दिया, लेकिन पूरी बहस के दौरान, अदालत ने माना है
कि हमारे अधिकार को चुनौती नहीं दी जा सकती है।
अदालत ने विवादित
स्थल पर हमारी ऐतिहासिक उपस्थिति स्वीकार कर ली है और हमने रामजन्मभूमि
मुद्दे में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, क्योंकि जन्मस्थान को
रामानंदी वैष्णव संप्रदाय द्वारा पूजा जाता है। इसलिए हमें हमारे अधिकार के
अनुसार ट्रस्ट में महत्वपूर्ण जगह मिलनी चाहिए।
(आईएएनएस)