विदेश मंत्री ने बताया, 1962 के युद्ध और 1972 के शिमला समझौते ने कैसे बढ़ाया हमारा सिरदर्द

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 14 नवम्बर 2019, 9:10 PM (IST)

नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि चीन के साथ 1962 के युद्ध के बाद भारत के स्टैंड को बड़ा नुकसान हुआ, जबकि उस समय भारत दुनिया में मजबूत स्थिति में दिख रहा था। जयशंकर ने यहां चौथे रामनाथ गोयंका मेमोरियल लेक्चर के दौरान यह बात कही। जयशंकर ने पाकिस्तान के साथ 1972 में हुए शिमला समझौते का भी उल्लेख करते हुए कहा कि इसके चलते पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में समस्याएं पैदा करनी शुरू कर दी थीं।

जिस तरह से दुनिया में बदलाव हो रहा है वैसे हालात में भारत के सामने जो चुनौतियां हैं वो पहले से अलग है। भारत के लिए चीन और अमेरिका दोनों अहम हैं। फ्रांस के साथ हमारे रिश्ते उच्चतम स्तर पर है, तो रूस के साथ हमारी नजदीकी बढ़ी है।

इसमें दो राय नहीं कि पाकिस्तान का एजेंडा आतंकवाद पर केंद्रित रहा है और मौजूदा तारीख में उसे लगता है कि वो सिर्फ और सिर्फ आतंकवाद से खुद की प्रासंगिकता दुनिया के सामने साबित कर सकता है। मुंबई हमलों के वक्त पाकिस्तान ने जो प्रतिक्रिया दी थी वो बालाकोट से अलग है।

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जयशंकर ने कहा कि 2014 के बाद चीन ने आर्थिक मोर्चे पर प्रगति की और उसके बाद अमेरिका ने भी धीरे धीरे अफगानिस्तान से हटना शुरू किया। आज विश्व कई ध्रुवों में बंटा हुआ है और ऐसे में भारत की भूमिका अहम हो जाती है। सबका साथ सबका विकास के साथ हमने सबका विश्वास भी जोड़ा है। हम कुछ चुनिंदा देशों पर ही निर्भर नहीं रह सकते हैं। हमें सबके साथ मिलकर आगे बढऩा होगा। भारत को बुलंदी पर पहुंचाने के लिए घरेलू मोर्चे पर समृद्धि के साथ सीमाओं पर शांति की जरूरत है। जयशंकर ने हाल ही मोदी सरकार के आरसीईपी एग्रीमेंट से बाहर आने को लेकर कहा कि किसी बुरे समझौते से अच्छा था, कोई भी एग्रीमेंट न करना।