महाराष्ट्र सरकार गठन पर देवड़ा और निरूपम की राय जुदा-जुदा, चव्हाण बोले...

www.khaskhabar.com | Published : रविवार, 10 नवम्बर 2019, 8:27 PM (IST)

मुंबई। महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर कांग्रेस के भीतर ही दो वरिष्ठ नेताओं की अलग-अलग राय है। मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा जहां राज्यपाल की तरफ से दूसरे सबसे बड़े गठबंधन राकांपा-कांग्रेस को सरकार बनाने के निमंत्रण की उम्मीद कर रहे हैं, वहीं संजय निरूपम का कहना है कि यह असंभव है।

दोनों नेताओं की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब एक दिन पहले शनिवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सबसे बड़ी पार्टी भाजपा को सरकार बनाने का निमंत्रण दिया था और पार्टी के विधायक दल के नेता देवेंद्र फडणवीस से सरकार बनाने की इच्छा और क्षमता के बारे में बताने को कहा था।

देवड़ा ने ट्विटर पर कहा कि महाराष्ट्र के राज्यपाल को शिवसेना-भाजपा द्वारा सरकार गठन करने से इनकार करने के बाद दूसरे सबसे बड़े गठबंधन राकांपा-कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना चाहिए। देवड़ा के बयान से उलट निरूपम ने ट्वीट किया, मौजूदा राजनीतिक गणित के हिसाब से, कांग्रेस-राकांपा के लिए किसी भी प्रकार से सरकार बनाना असंभव है। उसके लिए, हमें शिवसेना की आवश्यकता होगी। हमें किसी भी हालात में शिवसेना के साथ सत्ता साझा करने के बारे में नहीं सोचना चाहिए। यह पार्टी के लिए काफी खतरनाक निर्णय होगा।


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कांग्रेस और राकांपा दोनों भाजपा द्वारा विधायकों की खरीद-फरोख्त की संभावना से चिंतित हैं। कांग्रेस ने अपने विधायकों को राजस्थान में जयपुर के एक रिसॉर्ट में ठहराया है, वहीं राकांपा ने 12 नवंबर को बैठक बुलाई है। सूत्रों का कहना है कि रविवार को महाराष्ट्र के कांग्रेस प्रभारी मल्लिकार्जुन खडग़े समेत कई अन्य नेताओं की उपस्थिति में कई कांग्रेस विधायकों ने कहा कि पार्टी को शिवसेना को समर्थन देने पर विचार करना चाहिए। खडग़े को कांग्रेस नेतृत्व ने विधायकों की इस बाबत मंशा जानने के लिए जयपुर भेजा था।

इस बीच, महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रमुख रहे अशोक चव्हाण का कहना है कि पार्टी के नवनिर्वाचित विधायक राज्य में अपने भविष्य के राजनीतिक रुख को लेकर पार्टी आलाकमान से सलाह-मशविरा करेंगे। चव्हाण ने कहा कि फिलहाल हम जयपुर में हैं। हम इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे और भविष्य के राजनीतिक रुख के लिए सलाह लेंगे। कांग्रेस राज्य में राष्ट्रपति शासन नहीं चाहती है। हम स्थायी सरकार के पक्षधर हैं।