लखनऊ। स्वामी चिन्मयानंद से जुड़े शाहजहांपुर दुष्कर्म मामले में पीडि़ता के परिवार के सदस्यों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में 15 पृष्ठों का एक हलफनामा दाखिल कर विशेष जांच दल (एसआईटी) पर शारीरिक तौर पर प्रताडि़त करने का आरोप लगाया है। पीडि़त परिवार ने जांच टीम पर अविश्वास भी जताया है।
दुष्कर्म पीडि़ता के भाई द्वारा दायर हलफनामे में आरोप लगाया गया है कि एसआईटी उन्हें शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रताडि़त कर रही है, साथ ही उनके परिवार के सभी सदस्यों को झूठे मामलों में फंसाने की धमकी भी दी जा रही है। शाहजहांपुर में 1 नवंबर को एसआईटी कार्यालय में मां, पिता और भाई के कथित तौर पर शारीरिक शोषण करने के बाद यह परिवार भयवश भूमिगत हो गया था।
छिपे हुए परिवार से मिलने के बाद ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वीमेंस एसोसिएशन (एआईडीडब्ल्यूए) की प्रदेश अध्यक्ष मधु गर्ग ने कहा कि परिवार बेहद डरा हुआ है और सीआरपीएफ सुरक्षा की मांग कर रहा है, क्योंकि उन्हें अब पुलिस पर जरा भी भरोसा नहीं है।
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उत्तर प्रदेश महिला संगठनों का एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल जल्द ही राज्यपाल
आनंदीबेन पटेल से मुलाकात कर पीडि़त परिवार की मांगों को उनके सामने रखेगा।
साथ ही वे एफआईआर और चार्जशीट में धारा 376 को भी जोडऩे की मांग करेंगे।
इन मांगों में चिन्मयानंद को शिक्षण संस्थानों के मैनेजमेंट से हटाना भी
शामिल है।
पीडि़त परिवार ने गर्ग को बताया कि 1 नवंबर को उन्हें
शाहजहांपुर पुलिस लाइंस स्थित एसआईटी कैंप ऑफिस में बुलाया गया था। वहां उन
पर यह स्वीकार करने का दबाव बनाया जा रहा था कि चिन्मयानंद से जबरन वसूली
करने में पूरा परिवार शामिल था। जब उन्होंने यह मानने से मना कर दिया तो
उनके साथ गाली-गलौज की गई और जेल में बंद करने की धमकी दी गई।
वहीं 2
नवंबर को दुष्कर्म पीडि़ता की मां ने सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश
रंजन गोगोई और इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को एक आवेदन सौंपा था,
जिसमें एसआईटी के प्रमुख निरीक्षक नवीन अरोड़ा और अन्य सदस्यों के हाथों
उन्हें प्रताडि़त किए जाने का विवरण दिया गया था।
(IANS)