Jharkhand Assembly Election : दल-बदल की चल रही ऐसी आंधी कि बड़े-बड़े मुद्दे हुए ‘हवा’

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 02 नवम्बर 2019, 5:05 PM (IST)

रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के साथ ही सभी राजनीतिक दलों ने अपनी दावेदारी वाली सीटों पर मजबूत उम्मीदवार उतारने के लिए जोड़-तोड़ प्रारंभ कर दिए हैं। हालांकि पिछले चुनाव से इस चुनाव में राजनीतिक परिदृश्य बदला हुआ है। करीब सभी राजनीतिक पार्टियों के कई नेता टिकट नहीं मिलने और हार के डर से अलग संभावना को देखते हुए ही अपना दल और पंथ बदल रहे हैं।

आयातित नेताओं के लिए निजाम बदलने के साथ ही उनके संकल्प भी बदल जा रहे हैं। वैसे, दल बदलने के साथ ही इन आयातित नेताओं की पूछ भी बढ़ रही है। इन आयातित नेताओं के कारण झारखंड में इस चुनाव में पिछले चुनाव की तुलना में स्थितियां बदलने की पूरी संभावना बताई जा रही है।

झारखंड के लातेहार विधानसभा क्षेत्र के विधायक प्रकाश राम वर्ष 2014 के चुनाव में झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) की ओर से चुनाव मैदान में थे, परंतु इस बार चुनाव से ठीक पहले उन्होंने झारखंड में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कमल थाम लिया है।

लातेहार के समीप डालटनगंज में भी पिछले चुनाव में झाविमो के टिकट से चुनावी मैदान में उतरे आलोक चौरसिया ने कांग्रेस के केएन त्रिपाठी को हराया था, परंतु बाद में सरकार बनने के कुछ माह बाद ही छह विधायकों के साथ उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी।

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लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र में भी स्थिति कुछ ऐसी ही बनती दिख रही है। वर्तमान विधायक और कांग्रेस नेता सुखदेव भगत ने भी अब भाजपा का गुणगान करते हुए कमल को अपना लिया है। उल्लेखनीय है कि 2014 में इस सीट पर ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) के कमल किशोर भगत ने कब्जा जमाया था, परंतु कुछ साल के बाद भगत को एक मामले में सजा हो गई थी और उनकी सदस्यता चली गई थी।

इसके बाद हुए उपचुनाव में सुखदेव भगत विधायक बन गए। रांची की तमाड़ सीट पर भी इस चुनाव में राजनीति परिदृश्य बदला नजर आएगा। पिछले चुनाव में आजसू के टिकट से विजयी विकास मुंडा अब झामुमो के हो गए हैं। इस सीट पर मुंडा झामुमो की ओर से दावेदारी कर रहे हैं। चतरा की सिमरिया विधानसभा सीट पर भी स्थिति बदली होगी। झाविमो से विधायक बने गणेश गंझू भी भाजपा में चले गए हैं। पिछले चुनाव में गंझू ने भाजपा प्रत्याशी को हराया था।

इस चुनाव में चंदनकियारी सीट काफी चर्चा में है। वर्ष 2014 के चुनाव में झाविमो के अमर बाउरी ने आजसू के उमाकांत रजक को हराया था। अमर बाउरी अब भाजपा में हैं। इस स्थिति में भाजपा की सहयोगी पार्टी आजसू ने चंदनकियारी पर दावा ठोंक दिया है। ऐसे में टिकट को लेकर यहां पेंच फंसा है। बरही विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक मनोज यादव भी चुनाव के कुछ समय पहले भाजपा में शामिल हो गए हैं।

इसके अलावा हटिया, बहरागोडा, सारठ, बरक, भवनाथपुर ऐसी कई सीटें हैं, जहां दल बदल के कारण स्थितियां बदली हैं। स्थितियों के बदलने से दलों के सामने टिकट को लेकर भी संशय की स्थिति बनी हुई है। बहरहाल, इस चुनाव में दल-बदल की ऐसी आंधी चली है कि राष्ट्रवाद, विकास, भ्रष्टाचार, महंगाई जैसे राजनीतिक मुद्दे एक बार फिर विलुप्त होने के कगार पर हैं। ऐसे में इन दलबदलू नेताओं के सहारे कौन दल विजय पताका फहराएगा, यह तो चुनाव परिणाम बाद ही पता चलेगा। परंतु नेताओं की महत्वाकांक्षा के कारण इस चुनाव में कई समीकरण टूटेंगे, यह तय माना जा रहा है।