पटना। राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने अपना पद छोड़ने के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं को नया दौर शुरू हो गया है। पद छोड़ने की जानकारी फेसबुक देते हुए लिखा कि थकान का अनुभव कर रहा हूं। शरीर से ज्यादा मन का थकान है, संस्मरण लिखना चाह रहा था, वह भी नहीं लिख पा रहा हूं। इसलिए जो कर रहा हूं, उससे छुट्टी लेना चाहता हूं।
लोकसभा चुनाव के बाद से तेजस्वी लंबे समय तक राजनीतिक गतिविधयों से दूर रहने पर शिवानंद तिवारी ने कई बार अपनी नाराजगी जाहिर की। राजद नेताओं के अनुसार शिवानंद तिवारी चाहते थे कि चुनाव परिणाम से घबराने के बजाए राजद को लोगों के बीच जाना चाहिए। राजद नेताओं की गतिविधियों में सुधार नहीं होने के कारण ही शिवानंद ने फिलहाल राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से छुट्टी ली है। संभव है कि आने वाले समय में वे इससे भी बड़ा कदम उठाएं।
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आपको बताते जाए कि शिवानंद तिवारी राज्य के वरिष्ठ समाजवादी नेता हैं।
बक्सर के शाहपुर से 1996 में वे पहली बार विधायक बने। लालू-राबड़ी सरकार
में 2000-2005 के बीच उत्पाद मंत्री रहे। बाद में जदयू में शामिल हुए और
2008 में राज्यसभा सांसद बने। जदयू से मतभेद होने के कारण राजनीति से
सन्यास ले लिया। लेकिन लालू प्रसाद के अनुरोध पर वे फिर राजद में शामिल हो
गए।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक शिवानंद तिवारी ने राष्ट्रीय
अध्यक्ष लालू प्रसाद को पत्र लिखकर उपाध्यक्ष पद छोड़ने की पेशकश की है।
हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि राजद के प्रदेश मुख्यालय ने नहीं की है।
पार्टी के शीर्ष नेताओं ने उनके पत्र पर चुप्पी साध ली है।
शिवानंद
तिवारी ने बताया कि मैंने पद छोड़ा है, लेकिन पार्टी नहीं छोड़ी है। पद
छोड़ने के कारण बताते हुए बताया कि मेरा मन थक गया है, इसलिए मैं आराम करना
चाहता हूं। इससे आगे बोलने से उन्होंने इन्कार कर दिया है। सूत्रों ने
बताया कि उनका पद से इस्तीफा पार्टी की अंतर्कलह का परिणाम है।