नई दिल्ली। भारत में स्थित विश्व के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचीन ग्लेशियर को अब पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख में सोमवार को यह जानकारी दी। रक्षा मंत्री, सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के साथ श्योक नदी के उपर बने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पुल का उद्घाटन करने के लिए लद्दाख में थे, जो चीन के साथ लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) दौलत बेग ओल्डी सेक्टर तक कनेक्टिविटी को आसान बना देगा।
राजनाथ ने एक ट्वीट कर कहा, "लद्दाख के पास पर्यटन की अपार क्षमता है। लद्दाख में बेहतर कनेक्टिविटी से निश्चित ही पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा। सियाचिन क्षेत्र को अब पर्यटन और पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। सियाचीन बेस कैंप से कुमार पोस्ट तक पूरा क्षेत्र पर्यटन उद्देश्यों के लिए खोल दिया गया है।"
यह घोषणा ऐसे समय की गई है, जब कुछ दिन पहले ही लद्दाख को 31 अक्टूबर से एक अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाने का फैसला किया गया था।
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कर्नल चेवांग रिंचेन सेतु का उद्घाटन
सेना अध्यक्ष जनरल
विपिन रावत के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लद्दाख के दौरे पर पहुंचे थे
और यहां सोमवार उन्होंने कर्नल चेवांग रिंचेन सेतु का उद्घाटन किया। इस पुल
का नाम कर्नल चेवांग रिंचेन के नाम पर रखा गया है जिन्हें दो बार महावीर
चक्र से सम्मानित किया गया है। यह पुल श्योक नदी पर बना है।
रक्षा
मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट में पुल के बारे में जानकारी देते हुए बताया
कि इस पुल को रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया है। यह न केवल क्षेत्र में सभी
मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगा, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों में
रणनीतिक लिहाज से भी अहम होगा जो सैन्य जरूरतों के लिए इस्तेमाल किया जा
सकेगा।
रणनीतिक लिहाज से अहम काराकोरम और चांग चेनमो पर्वतमाला के
बीच सैंडविच इलाके में स्थित यह पुल 430 मीटर लंबा है और लगभग 15,000 फीट
की ऊंचाई पर है। इसका निर्माण माइक्रो पाइलिंग तकनीक का इस्तेमाल करके किया
गया है। निर्माण को रिकॉर्ड 15 महीने में पूरा किया गया है।
कर्नल
चेवांग रिंचेन- 11 नवंबर, 1931 को लद्दाख क्षेत्र के नुब्रा घाटी के सुमेर
में जन्मे कर्नल चेवांग रिंचेन को लेह और पार्टापुर सेक्टर में साहस के
असाधारण कामों के लिए 'लद्दाख के शेर' के नाम से जाना जाता है। वह उन
चुनिंदा छह सशस्त्र बलों के जवानों में से एक हैं जिन्हें दो बार महावीर
चक्र से सम्मानित किया जा चुका है, जो दूसरा सबसे बड़ा भारतीय वीरता
पुरस्कार हैं।