Sharad Purnima 2019 : जब शरद पूर्णिमा पर श्रीकृष्ण को इस रूप में देखने के लिए गाेपी बन पहुंचे महादेव

www.khaskhabar.com | Published : रविवार, 13 अक्टूबर 2019, 5:04 PM (IST)

हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2019) का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। महारास की रात्रि शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पड़ती है। शास्त्रों में इस पूर्णिमा को बेहद खास महत्व प्रदान किया गया है।

इसी दिन से सर्दियों का आरम्भ माना जाता है। कहते हैं कि शरद पूर्णिमा का व्रत रखने से हर प्रकार की मनोकामना की पूर्ति हो जाती है। ज्योतिषियों की मानें तो इस साल 30 साल बाद शरद पूर्णिमा पर बेहद दुर्लभ योग बन रहा है।

शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पर बृहस्पति की दृष्टि पड़ने से गजकेसरी नाम का शुभ योग बन रहा है। जिसकी वजह से इस शरद पूर्णिमा का महत्व और अधिक बढ़ गया है।

ज्योतिषियों के मुताबिक, इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ उदित होकर अमृत की वर्षा करते हैं।

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात में जगत कल्याण के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने महारासलीला शरद पूर्णिमा के दिन ही की थी। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के संग रास रचाया था। जिसे महारास के नाम से जाना जाता है। इस कारण कई स्थानों पर इसे रास पूर्णिमा के नाम से भी पुकारा जाता है। साथ ही इस महारास में भगवान कृष्ण ने कामदेव की सुदंरता का घमंड भी तोड़ा था।

जब अमृत बरसाने वाली शरद पूर्णिमा को भगवान श्रीकृष्ण ने वृन्दावन में रासलीला का आयोजन किया, तो उसमें पुरुषों का प्रवेश वर्जित रखा गया था। उस महारास में एकमात्र पुरुष भगवान श्रीकृष्ण थे। महादेव के मन में रासलीला देखने की इच्छा इतनी प्रबल थी कि उसमें शामिल होने के लिए वे गोपिका का रूप धारण कर वृन्दावन पहुंच गए और श्रीकृष्ण की रासलीला का आनंद लिया। शरद पूर्णिमा की महिमा का वर्णन प्राचीन धर्मग्रंथों में विभिन्न रूपों में किया गया है।

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