आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। इसी दिन से सर्दियों का आरम्भ माना जाता है। बता दें कि इस साल शरद पूर्णिमा रविवार के दिन 13 अक्टूबर को पड़ रही है। कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन धन-वैभव की देवी मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था, इसलिए शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा अर्चना करनी चाहिए। इससे खुश होकर मां लक्ष्मी अपने भक्तों को धन-समृद्धि और वैभव से भर देती हैं। उन्हें अपने जीवनकाल में कभी भी धन की कमी नहीं रहती है।
शास्त्रों के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात में मां लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवार होती हैं और पृथ्वीलोक का भ्रमण करती हैं। इस दौरान मां लक्ष्मी यह देखती है कि कौनसा भक्त रात्रि में जागकर उनकी पूजा अर्जना कर रहा है। मां लक्ष्मी उस जातक पर अपनी कृपा बरसाती हैं।
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जानिए शरद पूर्णिमा को क्यों कहा जाता है कोजागरी पूर्णिमा
शरद
पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ है कि
कौन जाग रहा है। जो रात में जागकर मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं, उनको ही
माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके घर में कभी भी धन की कमी
नहीं रहती है।
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शरद पूर्णिमा व्रत विधि
(1) पूर्णिमा के
दिन सुबह इष्ट देव का पूजन करना चाहिए। महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के
दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए।
(2) शरद
पूर्णिमा के दिन स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद मां लक्ष्मी के व्रत का
संकल्प करें। इसके बाद पूजा स्थान पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर को
स्थापित करें। फिर उनकी विधि विधान से पूजा करें। माता लक्ष्मी को अक्षत,
दूर्वा, लाल सूत, सुपारी, चन्दन, पुष्प माला, नारियल, फल, मिठाई आदि
अर्पित करें।
(3) मंदिर में खीर आदि दान करने का विधि-विधान है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चांद की चांदनी से अमृत बरसता है।
(4)
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रुप से किया जाता है। इस दिन
जागरण करने वालों की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। रात को चन्द्रमा को
अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए।
(5) ब्राह्मणों को खीर का भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए।
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