घर बैठा दिए हैं मुख्यमंत्री की कार्यशैली पर सवाल उठाने वाले विधायक

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 07 अक्टूबर 2019, 6:48 PM (IST)

निशा शर्मा
चड़ीगढ़। ढाई साल पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ अभियान चलाने वाले सात विधायकों को भाजपा ने इस बार घर बैठा दिया है। विरोधियों के टिकट कटवा कर खट्टर ने साबित कर दिया है कि हरियाणा में पार्टी के भीतर उन्हें किसी तरह की कोई चुनौती नहीं है. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह यह पहले ही साफ़ कर चुके हैं कि पार्टी के फिर से सत्ता में आने की सूरत में राज्य की बागडोर फिर से खट्टर के ही हाथों में होगी।

जिन विधायकों ने खट्टर की कार्यशैली को लेकर विरोध का झंडा उठाया था, इस बार उनकी टिकट काट दी गई हैं। हालांकि, असंतुष्टों ने खुद को विरोधी कहलाने के बजाए 'सुधारक' बताते हुए कहा था कि पार्टी के हित में आलाकमान का ध्यान आकृष्ट करने को मुख्यमंत्री की खिलाफत नहीं माना जाना चाहिए। बावजूद इसके उन सभी विधायकों को पार्टी ने टिकट देने से इनकार कर दिया।

रेवाड़ी के विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास, गुरुग्राम के विधायक उमेश अग्रवाल, मुलाना की विधायक संतोष चौहान सारवान, अटेली की विधायक संतोष यादव, पटौदी की विधायक बिमला चौधरी और कोसली के विधायक विक्रम यादव उस सूची में शामिल हैं, जिनके टिकट काट दिए गए हैं. इस अभियान में पर्दे के पीछे उद्योग मंत्री विपुल गोयल की भूमिका भी संदेहास्पद मानी गई और उन्हें भी फरीदाबाद से टिकट नहीं दिया गया. करनाल के भाजपा सांसद संजय भाटिया, जिन्हें मुख्यमंत्री खट्टर का नजदीक माना जाता है, उन्होंने पानीपत की विधायक रोहिता रेवड़ी का टिकट कटवा कर प्रमोद विज को मैदान में उतरने का मौका दिया है।

'सुधारक ग्रुप' का गठन कर नाराज विधायकों ने खट्टर के विरुद्ध अपना अभियान शुरु किया था। तब मामला इतना बढ़ गया था कि भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को न केवल इन विधायकों को साथ लेकर मुख्यमंत्री के साथ बैठक करनी पड़ी थी, बल्कि पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने भी खट्टर को तलब कर लिया था। नाराज विधायकों का आरोप था कि मुख्यमंत्री उनकी अनदेखी करते हैं. इस दौरान विधायक उमेश अग्रवाल की तरफ से विधानसभा में भी ऐसे मुद्दे उठाये गए थे, जिससे मुख्यमंत्री को सदन में असहज स्थिति का सामना करना पड़ा था।

हालात शांत होने तक तब खट्टर ने बड़े धैर्य का परिचय दिया था. उन्होंने कहा था, कोई ख़ास बात नहीं है। घर का मामला है, आपसी बातचीत से सुलझा लिया जाएगा।' लेकिन अब विधानसभा चुनावों में उन्होंने उन में से किसी भी विधायकों को टिकट नहीं लेने दी है, जो समय-समय पर उनकी कार्यशैली पर सवाल खड़े करते रहे हैं। यह पार्टी के लिए नए चुना कर आने वाले विधायकों के लिए भी एक चेतावनी है।

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