आत्महत्या की प्रवृत्ति रोकने हेतु बच्चों को अभिरूचि के अनुरूप शिक्षा से जोड़े : चिकित्सा मंत्री

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 07 अक्टूबर 2019, 4:32 PM (IST)

जयपुर। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए नशे की प्रवृत्तियों से दूर रहने के साथ ही निराशा और कुंठाओं से बचने की आवश्यकता प्रतिपादित की है। उन्होंने कहा कि बच्चों में आत्महत्या की प्रवृत्ति की प्रभावी रोकथाम के लिए उन पर पढ़ाई का अनावश्यक बोझ डालने के बजाय उनकी क्षमता व अभिरूचि के अनुरूप शिक्षा से जोडा जाए।

डॉ. शर्मा सोमवार को यहां मनोरोग चिकित्सालय में विश्व मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य प्रोत्साहन एवं आत्महत्या रोकथाम विषय पर आयोजित प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। विश्व मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह प्रतिवर्ष 4 से 10 अक्टूबर तक मनाया जाता है। उन्होंने इस सप्ताह के दौरान जन शिक्षा के विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करने के निर्देश दिए।

चिकित्सा मंत्री ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह की इस वर्ष की थीम आत्महत्याओं के प्रयास को रोकने के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि आज के समय में संयुक्त परिवार टूट रहे हैं तथा बच्चों की समस्याओं को सुलझाने के लिए अभिभावक समय नहीं दे पाते। ऎसे में बच्चे जो कुछ इंटरनेट पर परोसा जा रहा है उसी का अनुसरण करते हैं। माता-पिता बच्चे की क्षमताओं का मूल्यांकन किए बिना उससे भारी उम्मीदें करते हैं और बच्चा बोझ को सहन नहीं कर पाता जिससे वह निराशा का शिकार हो जाता है। उन्होंने कहा कि कोटा सहित अन्य क्षेत्रों में कोचिंग कर रहे बच्चों में आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकने के लिए चिकित्सा विभाग द्वारा कोचिंग संस्थानों व सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर प्रयास किया जा रहा है।

चिकित्सा मंत्री ने मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करने, रूचि के अनुरूप योग व खेलों में भाग लेने, सकारात्मक विचारधारा आदि पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सामान्य व्यक्तियों में मादक पदाथोर्ं का सेवन, आपसी संबंधों में तनाव, आर्थिक या सामाजिक दृष्टि से हानि, असफलता आदि के कारण मानसिक विकार उत्पन्न हो सकते हैं।

डॉ. शर्मा ने गांधी जी के 150वें जन्म वर्ष के अवसर पर मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में युवा पीढ़ी से उनके सिद्धान्तों व जीवन दर्शन को अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सत्य, अहिंसा, सहिष्णुता, भाईचारा, सहनशीलता आदि के माध्यम से जीवन के अनेक तनावों से मुक्त रहा जा सकता है।

इस अवसर पर स्थानीय विधायक रफीक खान ने भी अपने विचार व्यक्त किए। एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सुधीर भंडारी ने हेपीनेस इंडेक्स की चर्चा करते हुए कहा कि इसके पॉजीटिव थॉट आवश्यक है। उन्होंने बताया कि एसएमएस मेडिकल कॉलेज से संबद्ध मनोरोग चिकित्सालय को केन्द्र द्वारा सेन्टर फॉर एक्सीलेन्स घोषित किया जा चुका है।

मनोरोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. आर. के. सोलंकी ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के दौरान आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों की विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर मनोरोग चिकित्सालय के अधीक्षक संजय जैन, एकेडमिक इंचार्ज पी. आई. बी. गुप्ता एवं अतिरिक्त निदेशक चिकित्सा शिक्षा राजनारायण सहित कई चिकित्सकगण भी उपस्थित थे।

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