Chandrayaan-2 : इसरो ने जारी की ऑर्बिटर से भेजी गई तस्वीरें, विक्रम में आ सकती है जान

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 05 अक्टूबर 2019, 2:12 PM (IST)

चेन्नई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation) ने चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) ऑर्बिटर (Orbiter) पर स्थित ऑर्बिटर हाई रिजोल्यूशन कैमरा (ओएचआरसी) द्वारा ली गईं चंद्रमा की सतह की तस्वीरें जारी की हैं।

इसरो के अनुसार, ऑर्बिटर ने चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की ऊंचाई से ली गईं ये तस्वीरें चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में स्थित बोगस्लावस्की ई क्रेटर और उसके आस-पास की हैं। इसका व्यास 14 किलोमीटर और गहराई तीन किलोमीटर है। इसरो ने कहा कि तस्वीरों में चंद्रमा पर बड़े पत्थर और छोटे गड्ढे दिख रहे हैं।

चांद पर आज से दिन, सौर पैनलों से विक्रम में आ सकती है जान...

चांद की अंधेरी सतह पर बेसुध पड़े चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम को लेकर फिर उम्मीद जगी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अपने सौर पैनलों की मदद से विक्रम फिर काम शुरू कर सकता है। दरअसल, चांद पर शनिवार से दिन की शुरुआत हो रही है। ऐसे में विक्रम को लेकर कोई अच्छी खबर आने की उम्मीद बढ़ गई है। वहीं, भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने कहा है कि चांद के आसमान में चक्कर लगा रहा चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर सोडियम, कैल्शियम, एल्युमीनियम, सिलिकॉन, टाइटेनियम और लोहे जैसे महत्वपूर्ण खनिज तत्वों का पता लगाने के लिए काम कर रहा है।

इसरो के मुताबिक, ऑर्बिटर का पेलोड अपने तय मकसद के लिए बेहतर तरीके से काम कर रहा है। वहीं, विक्रम की तलाश और उससे संपर्क करने की कोशिशों में जुटी अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कहा है कि अब तक विक्रम से कोई आंकड़ा नहीं मिला है। खगोलविद् स्कॉट टायली ने ट्वीट कर विक्रम से संपर्क की प्रबल संभावना जताई है। उन्होंने कहा है कि विक्रम को खोजने में कामयाबी जरूर मिलेगी। बताया जा रहा है कि दिन होने के साथ ही विक्रम से संपर्क करने की कोशिशें तेज होंगी।

इसरो के एक वैज्ञानिक ने बताया कि हालांकि अब विक्रम से संपर्क करना बेहद मुश्किल होगा, लेकिन कोशिश करने में कोई हर्ज नहीं है। उनसे जब यह पूछा गया कि क्या चांद पर रात के समय बहुत ज्यादा ठंड में विक्रम सही सलामत रह सकता है, तो उन्होंने कहा, सिर्फ ठंड ही नहीं, बल्कि झटके से हुआ असर भी चिंता की बात है। हार्ड लैंडिंग के चलते विक्रम तेज गति से चांद की सतह पर गिरा होगा। इस झटके के चलते विक्रम के भीतर मौजूद उपकरणों को नुकसान पहुंच सकता है। चांद के चक्कर लगा रहे नासा के लुनर रिकॉनिएसेंस ऑर्बिटर ने जो तस्वीरें भेजी थीं, चांद पर रात होने के चलते उससे तस्वीरें साफ नहीं आ पाई थीं।

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