गृह मंत्री शाह ने आर्टिकल 370, राम मंदिर, NRC, नक्सलियों के मुद्दे पर दिए ये जवाब

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 18 सितम्बर 2019, 5:05 PM (IST)

नई दिल्ली। गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को एक निजी न्यूज चैनल पर मोदी सरकार की उपलब्धियों का ब्यौरा देने के साथ कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों पर निशाना साधा। शाह ने एबीपी न्यूज के साथ बातचीत में राम मंदिर के सवाल पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट किसी के चाहने से नहीं चलता, अपने तरीके से चलता है और शायद ये निर्णय पहले ही आ जाता लेकिन कपिल सिब्बल और कांग्रेस पार्टी ने कोर्ट में कहा था कि चुनाव से पहले इस पर निर्णय नहीं आना चाहिए।

अब चुनाव भी निपट गए हैं और सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई भी चल रही है, अब राम मंदिर पर निर्णय भी आ ही जाएगा। जबसे अनुच्छेद 370 संविधान का हिस्सा बना, हम तभी से ये मानते थे कि ये अस्थायी है और इसे हटना चाहिए। जब हमारी सरकार आई तो हमने इसे हटा दिया। जो लोग मानवाधिकार की बात करते हैं, उन्हें कश्मीर में मारे गए लोगों के मानवाधिकार दिखाई क्यों नहीं देते? जम्मू कश्मीर में 41 हजार लोग मारे गए, उनका क्या?

कांग्रेस से मानवाधिकार की बात क्यों नहीं पूछी जाती। युद्ध का कोई सवाल ही नहीं है, जम्मू कश्मीर भारत का हिस्सा है और भारत के संविधान के अंतर्गत अपने देश के अंदर हम जो भी बदलाव करना चाहते हैं वो भारत की संसद का अधिकार है। कश्मीर के मुद्दे पर पूरा विश्व भारत के साथ एकजुट है और सबने ये स्वीकार किया है कि भारत जो आतंकवाद का भुक्तभोगी है, भारत में जो आतंकवाद बढ़ा हैं उसमें पाकिस्तान का बड़ा रोल है।

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दुनिया में कोई भी ऐसा देश नहीं है, जहां कोई भी जाकर बस सकता है। देश के नागरिकों का रजिस्टर होना समय की जरूरत है, ना सिर्फ असम बल्कि देश भर में एनआरसी लागू होगा। एनआरसी के अलावा देश में जो भी लोग हैं उन्हें कानून प्रक्रिया के तहत बाहर किया जाएगा। अफवाहों और फेक न्यूज पर व्यापक बहस की जरूरत है, ये मामला कहीं ना कहीं प्रेस की स्वतंत्रता और फ्रीडम ऑफ स्पीच का भी बनता है।

जब बहस होगी तब सब अपनी अपनी बात रखेंगे, इसके कानूनी पहलू भी देखने होंगे। अपराधों को रोकने के लिए हमने नीति बनाई है, ट्रेनिंग भी दी गई है। कई राज्यों की पुलिस और सेंट्रल एजेंसियों ने अच्छा काम भी किया है। लेकिन जब तक कानून नहीं बनता इस पर पूरी तरह कंट्रोल करना काफी कठिन है। मोदी जी के पहले कार्यकाल में नक्सलवाद पर काफी हद तक अंकुश लगाया गया है। मुझे भरोसा है कि जब हम दोबारा चुनाव में जाएंगे तब तक देश को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त करवा लेंगे।

मैं केजरीवालजी से कहना चाहता हूं कि चुनाव के दो महीने पहले ही वो नई घोषणाएं क्यों कर रहे हैं, पांच साल तक ये काम क्यों नहीं हुए? चुनाव आने पर घोषणाएं करने का मतलब जनता अच्छे से समझती है। जनता इसका जवाब देगी। मैं नहीं मानता कि भारत की राजनीति में इमरजेंसी के बाद एजेंसियों का कोई बहुत बड़ा रोल रह चुका है।

हमारा न्याय तंत्र बहुत सुदृढ़ है, अगर आप किसी को गलत तरीके से फंसाना चाहें तो न्याय तंत्र जरूर सुनता है, ये मेरा विश्वास भी है और अनुभव भीष मैंने हमेशा कहा है कि हमें सभी भारतीय भाषाओं को मजबूत करना चाहिए। लेकिन आप दूसरी कोई भाषा सिखना चाहते हैं तो आप पहले हिंदी सीखें, ये मैंने अनुरोध किया है। वरना हम भी कभी उन देशों की तरह हो सकते हैं, जिन्हें ये पता ही नहीं है कि उनकी भाषा कौनसी है।