नई दिल्ली। भारत की स्टार महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु ने पिछले महीने ही विश्व चैम्पियनशिप का खिताब अपने नाम कर इतिहास रचा। वे ऐसा करने वाली भारत की पहली बैडमिटन खिलाड़ी बनीं। राष्ट्रीय टीम के कोच पुलेला गोपीचंद का मानना है कि जूनियर सर्किट पर भारत के पास जो प्रतिभा है उसे अगर सही तरीके से संवारा जाए तो इस तरह की कई ऐतिहासिक जीतें देश के सर माथे आ सकती हैं।
इस साल के शुरुआत में भारत को बैडमिंटन में ज्यादा सफलता नहीं मिली लेकिन बीते महीने सिंधु ने विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण और पुरुष खिलाड़ी बी. साई. प्रणीत ने कांस्य पदक जीत भारत को ऐतिहासिक सफलता दिलाई। साई प्रणीत की सफलता हालांकि सिंधु के गले में डले सोने की चमक में दब गई लेकिन गोपीचंद का मानना है कि पुरुष वर्ग में मिली यह सफलता भारत के लिए काफी सकारात्मक संदेश है।
गोपीचंद ने आईएएनएस से कहा, प्रणीत का प्रदर्शन विशेष था। सिंधु के शानदार प्रदर्शन ने हालांकि उसे छुपा दिया, लेकिन कई वर्षों बाद विश्व चैम्पियनशिप के पुरुष वर्ग में पदक जीतना विशेष है। मुझे लगता है कि उन्होंने राह का रोड़ा हटा दिया है और उम्मीद है कि यह आने वाले कल में होने वाली अच्छी चीजों के संदेश हों। सिंधु और प्रणीत ने जैसा प्रदर्शन किया न सिर्फ वो खास है बल्कि जिस तरह से उन्होंने जीत हासिल की वो भी शानदार है।
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सिंधु पिछले कई वर्षों से कई टूर्नामेंट्स के फाइनल में हार रही थीं। रियो
ओलम्पिक-2016 में उन्हें स्पेन की कैरोलिना मारिन ने मात दी। विश्व
चैम्पियनशिप में भी वे पिछले साल फाइनल में हार गई थीं। गोपीचंद का मानना
है कि बेशक सिंधु कई फाइनल हारी हों लेकिन वे महज 24 साल की उम्र में
ओलम्पिक पदक विजेता, विश्व चैम्पियन और सीजन के अंत में होने वाले
बीडब्ल्यूएफ वल्र्ड टूर फाइनल्स में जीत हासिल कर चुकी हैं।
ऑल इंग्लैंड
चैम्पियनशिप के विजेता गोपीचंद ने कहा, मैं जानता था कि सिंधु बहुत जल्दी
ही कुछ अच्छा करेगी। जो लोग मुझे जानते हैं वे यह भी जानते हैं कि मैंने
2010-11 में ही कह दिया था कि सिंधु में शीर्ष में पहुंचने का माद्दा है।
मुझे लगता है कि उन्होंने अभी तक काफी कुछ हासिल कर लिया है और जिस तरह से
उन्होंने प्रदर्शन किया वो लाजवाब है। उन्होंने कहा, अच्छी बात यह है कि वह
सिर्फ 24 साल की हैं और उनके पास अभी कई साल बाकी हैं। उम्मीद है कि अपने
करियर के आखिर में उनके नाम कई चैम्पियनशिप खिताब होंगे।
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गोपीचंद की
अपनी खुद की अकादमी भी है जिससे निकले कई खिलाड़ी इस समय अंतर्राष्ट्रीय
स्तर पर खेल रहे हैं। उनमें सिंधु, प्रणीत, सायना नेहवाल, किदाम्बी
श्रीकांत, एच.एस. प्रणॉय के अलावा कई बड़े नाम हैं। अकादमी में खिलाडिय़ों
की बढ़ती संख्या के कारण गोपीचंद मौजूदा युवा खिलाडिय़ों की पौध पर अच्छे से
ध्यान नहीं दे पा रहे हैं।
उन्होंने कहा, जब हम जूनियर सर्किट में
खिलाडिय़ों की संख्या और प्रतिभा देखते हैं तो अच्छा लगता है। हमें उन्हें
सही तरीके से तराशना पड़ेगा। यह ऐसी चीज है जो भारतीय बैडमिंटन के लिए बेहद
अच्छी है क्योंकि पुरुष और महिला दोनों वर्गो से अच्छे खिलाड़ी आ रहे हैं
जिनके पास शीर्ष स्तर के खिलाड़ी बनने की क्षमता है।
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शायद यही कारण है
कि गोपीचंद देश में अच्छे प्रशिक्षकों की कमी और कोचिंग सिस्टम में खामी की
बात को कहने से पीछे नहीं हटते हैं। उन्होंने कहा, यह बेहद जरूरी है कि हम
अपने कोचिंग स्टाफ को मजबूत करें। एक तरीका यह है कि हमारे शीर्ष खिलाड़ी
कोचिंग में वापस आएं। इसका यह मतलब नहीं है कि सभी आ जाएं, लेकिन अगर हम 10
प्रतिशत को कोच बनाने में सफल रहे तो हम अच्छा काम करेंगे।
कोचिंग आसान
पेशा नहीं है, लेकिन जो खिलाड़ी उच्च स्तर पर खेले हैं, जिनके पास खेल की
समझ है और कोचिंग की जानकारी है, उन्हें सिस्टम में लाना चाहिए। गोपीचंद ने
कहा कि कोच बनने के लिए जरूरी नहीं है कि आप शीर्ष स्तर के ही खिलाड़ी
हो। उन्होंने कहा, हर कोई इस कहानी का हिस्सा हो सकता है। वो किसी भी स्तर
पर कोचिंग कर सकते हैं चाहे वो जमीनी स्तर पर हो या मध्य के स्तर पर या
शीर्ष स्तर पर।
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