नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने के बाद सरकार अब प्रदेश के विकास को रफ्तार देना चाहती है और कतिपय विकासपरक योजनाओं को लागू करने की कोशिश में जुटी है, लेकिन आतंकी गुट लोगों को धमकाकर विकास की राह में रोड़े अटका रहे हैं। वे लोगों के रोजमर्रा के काम में बाधा डालते हैं।
अधिकारियों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने पर कोई जनाक्रोश नहीं होने से आतंकी गुट लाचार दिख रहे हैं, यही कारण है कि वे नागरिकों की हत्या करके उनमें भय पैदा कर रहे हैं ताकि घाटी में सामान्य हालात नहीं बन पाए। खुफिया एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अलगावादियों को उम्मीद थी कि लोग हिंसा पर उतर आएंगे।
उनका यह भी मानना था कि सुरक्षा बलों से टकराव में नागरिक हताहत होंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ, हालांकि घाटी में पांच अगस्त के बाद से सामान्य हड़ताल रही है। अधिकारी ने बताया कि हमने हालांकि जनजीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सारे एहतियाती कदम उठाए थे, लेकिन शांति बनाए रखने का श्रेय कश्मीर के आम लोगों को जाता है जिन्होंने अलगावादियों की बात मानने से इनकार कर दिया। आतंकियों द्वारा त्राल में बकरवाल समुदाय के दो लोगों और श्रीनगर में एक दुकानदार की हत्या किए जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ये घटनाएं आतंकियों की निराशा के उदाहरण हैं।
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आतंकी गुट हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) ने कश्मीर के सेब उत्पादकों को धमकी दी
है कि अगर वे अपने उत्पाद भारतीय बाजारों में भेजेंगे तो उनको इसका बुरा
अंजाम भुगतना होगा। आंतकियों ने पिछले महीने शोपियां में पोस्टर और पैंफलेट
के जरिए इस तरह की चेतावनी दी जिनमें हिजबुल कमांडर नवीद बाबू ऊर्फ बाबर
आजम के हस्ताक्षर थे।
पोस्टर में ट्रांसपोटरों और मंडियों के व्यापारियों व
स्थानीय दुकानदारों व अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को कारोबार नहीं करने
को कहा गया था। सभी दुकानदारों को अपने कारोबार बंद करने की चेतावनी दी गई
थी। इस प्रकार की धमकियां स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों जैसे शैक्षणिक
संस्थानों को दी गई थीं और उन्हें संस्थान नहीं खोलने को कहा गया।
इससे
पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा कि बहुतायत कश्मीरियों
ने प्रदेश को प्राप्त विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने का समर्थन किया है।
उन्होंने कहा कि कश्मीर में लगाए गए प्रतिबंध का मकसद पाकिस्तान द्वारा
परोक्ष रूप से व आतंकियों द्वारा शरारत को शह देने पर लगाम लगाना है।
जम्मू-कश्मीर
के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने हाल ही में कहा कि हालात
सामान्य हो गए हैं और अधिकांश जिलों में प्रतिबंध लगभग हटा लिए गए हैं।
पुलिस मुठभेड़ में बुधवार की सुबह लश्कर-ए-तैयबा गुट के आतंकी आसिफ मकबूल
भट के मारे जाने के बाद प्रेसवार्ता के दौरान उन्होंने कहा, हालात तकरीबन
सामान्य हो गए हैं। अगर आप पूरे प्रदेश की बात करें तो जम्मू के 10 जिलों
में पूरी तरह सामान्य हालात हैं।
सभी स्कूल, कॉलेज और दफ्तर खुल गए हैं।
लोग बिना किसी परेशानी के अपने काम कर रहे हैं। डीजीपी ने कहा कि लेह और
कारगिल जिले में भी हालात सामान्य हैं और 90 फीसदी से ज्यादा इलाकों से
प्रतिबंध हटा लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इलाके में शतप्रतिशत टेलीफोन
एक्सचेंज चालू हैं। जम्मू-कश्मीर के सूचना व जनसंपर्क विभाग के अनुसार, चार
सितंबर की रात से सभी टेलीफोन एक्सचेंज खुल गए हैं।
(IANS)