Shocking news : ये वकील साहब पिछले 45 सालों से खा रहा है कांच, देखकर हो जाएंगे हैरान

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 14 सितम्बर 2019, 2:09 PM (IST)

भोपाल। शौक पूरा करने के लिए व्यक्ति कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो जाता है, मध्य प्रदेश में इसकी बानगी देखने को मिली। मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले में रहने वाले एक वकील को बेहद अजीबो-गरीब किस्म का शौक (Hobby) है, जिसके बारे में हम और आप कल्पना भी नहीं कर सकते।

दरअसल, मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के डिंडोरी (Dindori) जिले में रहने वाले दयाराम साहू (Dayaram Sahu) पेशे से एक वकील (Lawyer) हैं, लेकिन इनका शौक बेहद खतरनाक है। दयाराम साहू पिछले 40-45 सालों से कांच (ग्लास) (Glass) खा रहे हैं।

हालांकि उन्हें बचपन से ही कांच खाने का शौक था, जो अब भी बरकरार है। दयाराम साहू का कहना है कि कांच खाना उनकी आदत में शुमार है और उन्हें इसका नशा है।

ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

हैरान करने वाली बात तो ये है कि खुद कांच को भोजन बनाने वाले इस व्यक्ति ने दूसरों को सलाह दी है कि वे ऐसी चीजें ना करें क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। इस व्यक्ति की पहचान दयाराम साहू के तौर पर हुई है।

उसने कहा है कि मैं 40-45 सालों से कांच खा रहा हूं और यह मेरे लिए लत बन चुका है। इस आदत की वजह से मेरी दांतों को काफी नुकसान पहुंचा है। मैं किसी को भी कांच खाने की सलाह नहीं दूंगा क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

ये भी पढ़ें - सेल्फ़ी का ऎसा पागलपन देख दंग रह जाएंगे...

दयाराम ने बताया कि वह अब कांच खाना धीरे-धीरे कम कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, दयाराम को बचपन से ही कांच खाने का खतरनाक शौक है।

पहले ये शौकिया तौर पर कांच खाते थे लेकिन धीरे-धीरे ये उनका जुनून बन गया और आदत में शुमार हो गया। सोशल मीडिया पर दयाराम का कांच खाने का वीडियो वायरल हो रहा है।

ये भी पढ़ें - बूझो तो जाने,ये चेहरा बच्ची का या बूढी का...

आपको ये बात जानकर और भी हैरानी होगी कि इनके परिवार में इनकी पत्नी बजाए उन्हें रोकने के खुद ही कांच ढूंढक़र उसे लाकर देती है। दयाराम के मुताबिक पहले वह एक दिन में एक किलो तक कांच चबा जाते थे लेकिन दांत कमजोर होने के कारण अब उन्होंने ये आदत कम कर दी है और अब उन्होंने इस आदत को पूरी तरह खत्म करने का फैसला किया है।

ये भी पढ़ें - कोमा से बाहर आते ही बोलने लगा दूसरे देश की भाषा