नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के साथ अपना पांच साल का करार खत्म करने वाले बल्लेबाजी कोच संजय बांगड़ ने कहा है कि वे तुरंत ही देश के बाहर से मिलने वाले प्रस्तावों को कबूल नहीं करेंगे और इस ब्रेक को वे अपने आपको तरोताजा करने तथा आंकलन करने में लगाएंगे। बांगड़ ने पांच साल तक भारत के बल्लेबाजी कोच के तौर पर काम किया है। उन्हें हाल ही में इस पद से हटा दिया गया है और विक्रम राठौड़ को टीम के नए बल्लेबाजी कोच की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
क्रिकबज ने बांगड़ के हवाले से लिखा है कि मैं पांच साल से सफर कर रहा हूं। मुझे नहीं लगता कि मैं भारत के बाहर के प्रस्ताव तुरंत ले सकता हूं। भारतीय टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री के कोचिंग स्टाफ में सिर्फ एक तब्दीली हुई है और उसमें बांगड़ को बाहर जाना पड़ा है।
पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी को हालांकि इस बात का मलाल नहीं है, बल्कि वे अपने कार्यकाल पर गर्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि निराश होना एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है जो कुछ दिनों तक रहती है। लेकिन मुझे लगता है कि बीसीसीआई, डंकन फ्लेचर, अनिल कुंबले और रवि शास्त्री ने मुझे भारत की सेवा करने के लिए पांच साल दिए।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने कहा, 2014 के बाद से टीम ने जो प्रगति की है और खुशी के साथ टेस्ट
में नंबर-1 बनी, वह भी तीन साल तक लगातार। हमने इस दौरान 52 टेस्ट खेले और
30 में जीत हासिल की, जिसमें से 13 जीत विदेशों में हासिल की गई थी। हम
वनडे में भी बाकी देशों में जीते। सिर्फ एक चीज जो नहीं हो पाई वह है विश्व
कप।
बांगड़ को हटाने की पीछे की वजह नंबर-4 के लिए ठोस विकल्प न ढूंढऩा
बताई गई थी। उन्होंने कहा, पूरा टीम प्रबंधन और चयनकर्ता नंबर-4 को लेकर
लिए गए फैसलों में हिस्सेदार थे। चुनाव मौजूदा फॉर्म, फिटनेस पर होना था।
बांगड़ के समय में ही विराट कोहली अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़े बल्लेबाज
बनकर उभरे। रोहित शर्मा और शिखर धवन के रूप में भारत को मजबूत सलामी जोड़ी
मिली और टेस्ट में चेतेश्वर पुजारा भी टीम की मजबूत कड़ी बने।
ये भी पढ़ें - ‘लेकिन ईमानदारी से कहूं तो मैंने इसके बारे में सोचा नहीं है’
हालांकि
इसी दौरान लोकेश राहुल, मुरली विजय और अजिंक्य रहाणे के प्रदर्शन में
निरंतरता की कमी चिंता का विषय रही। बांगड़ ने कहा कि रहाणे बीते 18 महीनों
में कई बार 50 को 100 में नहीं बदल पाए। उन्होंने जोहानसबर्ग, नॉटिंघम और
एडिलेड में मिली जीतों में सहयोग दिया।
मैं उनके लिए खुश हूं कि वे
वेस्टइंडीज में अंतत: तीन अंकों में पहुंचने में सफल हो सके। उन्होंने कहा,
जहां तक मुरली विजय की बात है, जब एक खिलाड़ी सिर्फ एक प्रारूप खेलता है
तो उसके सामने अचानक से लय हासिल करने की चुनौती होती है वो भी अगर आप
विदेशों में सलामी बल्लेबाजी करते हो तो और मुश्किल होता है।
ये भी पढ़ें - 35 साल की मैरी कॉम ने अब तक हासिल की ये उपलब्धियाँ....