वित्त आयोग ने राजस्थान में राजस्व घाटे में कमी को प्राथमिकता देने को कहा

www.khaskhabar.com | Published : रविवार, 08 सितम्बर 2019, 8:03 PM (IST)

जयपुर। 15वें वित्त आयोग ने अपने राजस्थान दौरे के दूसरे दिन जयपुर में अर्थशास्त्रियों, उपभोक्ता संगठनों, पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों के साथ बैठकें की। राजस्थान सरकार के समन्वय से आयोजित इन बैठकों में राज्य के आर्थिक विकास से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई। 15वें वित आयोग के अध्यक्ष एन के सिंह और आयोग के सदस्यों और वरिष्ठ अधिकारियों ने राज्य के अर्थ जगत से जुड़े विशेषज्ञों के साथ चर्चा के दौरान राजस्व घाटे में कमी करने को प्राथमिकता देने को कहा।

आयोग ने कहा कि आपात खर्चों को ध्यान में रखते हुए वित्तीय प्रबंधन को सावधानीपूर्वक व्यवस्थित करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही निवेश को बढ़ावा देने और भविष्य में निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया गया। चर्चा के दौरान बिजली वितरण क्षेत्र में उदय योजना के मद्देनजर राज्य सरकार को हो रहे घाटे के मुद्दे पर भी बैठक में चर्चा की गई और कहा गया कि इस क्षेत्र में राज्य को खर्च और राजस्व घाटे के आकलन पर ध्यान देना चाहिए।

वित्त आयोग को बताया गया कि राजस्थान पानी की उपलब्धता और उसका वितरण प्राथमिकता वाला क्षेत्र है और गांवों तक पानी की आपूर्ति काफी खर्चीली है। इससे जल प्रबंधन कार्यक्रम प्रभावित होते हैं। आयोग से राजस्थान की इन विशेष परिस्थितियों को भविष्य में राजस्व आवंटन के समय ध्यान में रखना चाहिए। आयोग को बताया गया कि राज्य के रेगिस्तानी क्षेत्र में विभिन्न योजनाओं को लागू करने में अधिक खर्च होता है लिहाजा जल प्रबंधन कार्यक्रमों के लिए धन के आवंटन में इस तथ्य को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

बैठक में वित्त आयोग से स्थानीय निकायों पर होने वाले खर्च को बढ़ाए जाने की मांग की गई। बैठक में कहा गया कि जिम्मेदार और उत्तरदायी स्थानीय प्रशासन के लिए आवश्यक है कि वह अपने स्तर पर संसाधनों का निर्माण करें और खर्च का उचित लेखा-जोखा रखे। बैठक में सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के प्रभावों का मूल्यांकन करने के लिए व्यवस्था विकसित करने की भी जरूरत बताई गई।

बैठक में अर्थशास्त्री अंबूज किशोर, डॉ. अरविन्द मायाराम, बसंत खेतान, प्रो. सी एस बारला, डॉ. ज्योति किरण, प्रो. कांता आहूजा, कृष्णा भटनागर, डॉ. गोविन्द शर्मा, एडवर्ड, डॉ. मंजीत सिंह, मुकेश गुप्ता, डॉ. एम एस राठौड़, प्रो. एन डी माथुर, प्रो. रमेश अरोड़ा, प्रो. राजेश कोठारी, डॉ. रश्मि डिकिन्सन, राजेन्द्र भानावत, राकेश वर्मा, सतीश सिंह मेहता, प्रो. एस एस सोमरा, एस एस भंडारी और डॉ. विनायक पांडे तथा जनप्रतिनिधी दिव्या मदेरणा और राव राजेन्द्र सिंह उपस्थित थे।

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15वें वित्त आयोग ने राज्य के 10 स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की। इस बैठक में जयपुर, बीकानेर नगर निगम, श्रीगंगानगर, प्रतापगढ़ और सीकर नगर परिषद तथा सुजानगढ़, निवाई, सांभर तथा केशोरायपाटन नगर पालिकाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे। आयोग को बताया गया कि राज्य में स्थानीय शहरी निकायों को संविधान की 12वीं अनुसूची के 18 में से 16 कार्य हस्तांतरित किए जा चुके हैं।

स्थानीय निकायों को जल आपूर्ति का कार्य सौंपने की प्रक्रिया जारी है। जबकि स्थानीय निकायों को नगर आयोजना का कार्य अभी सौंपा जाना शेष है। राज्य के मुख्य लेखा परीक्षक के अनुसार राजस्थान में शहरी स्थानीय निकायों के वित्तीय प्रबंधन और जवाबदेही में और सुधार की जरूरत है। पिछले वित वर्ष में 68 प्रतिशत निकायों के खातों को ही प्रमाणित किया जा सका है।

इन निकायों में एक से अधिक बैंक खाते होने जैसी समस्याओं के कारण जवाबदेही और पारदर्शिता प्रभावित हो रही है। इसके कारण स्थानीय निकायों के कोष में पिछले वर्ष जमा 1 हजार 652 करोड़ रुपए खर्च नहीं हो सके। बैठक में बताया गया कि राज्य में शहरी स्थानीय निकायों के आर्थिक निकायों के लिए लागू नेशलन म्यूनिसिपिल अकाउंट मैनुअल के तहत केवल 60 निकाय ही अपने खातों का संधारण कर रहे हैं।

वित आयोग ने इन सभी मुद्दों को ध्यान में रखने का आश्वासन दिया था। 15वें वित आयोग ने पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की। इस बैठक में बीकानेर, कोटा, दौसा और जयपुर जिला परिषदों, करौली, अलवर और अजमेर पंचायत समितियों तथा अजमेर, सीकर और टोंक के प्रतिनिधियों से मुलाकात की गई। आयोग ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान जिला परिषदों में 1872.01 करोड़ रुपए और पंचायत समितियों में 1449.78 करोड़ रुपए खर्च न होने पर चिंता जाहिर की।

बैठक में बताया गया कि 14वें वित आयोग ने पंचायती राज संस्थाओं को 13633 करोड़ रुपए हस्तांतरित करने की सिफारिश की थी। आयोग ने माना कि पंचायती राज संस्थाओं के आर्थिक प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता है। वर्ष 2017.18 में केवल 20 प्रतिशत पंचायती राज संस्थाएं ही खातों का पूरी तरह वार्षिक संधारण कर पाई थी।

आयोग ने इस बात को भी गंभीरता से लिया कि पंचायतों को हस्तांतरित किए जाने वाले 23 में से 15 विषय ही अब तक सौंपे गये है। आयोग ने पंचायती राज संस्थाओं के लिए मॉडल अकाउंटिंग सिस्टम लागू करने में सक्रियता दिखाने को भी कहा। 15वां वित आयोग 9 सितम्बर को राज्य के मुख्यमंत्री, मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भी चर्चा करेगा।