स्नातक स्तर पर छात्रों को मिलेगा रोजगारोन्मुखी कौशल

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 07 सितम्बर 2019, 6:14 PM (IST)

जयपुर। राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम तथा कालेज शिक्षा विभाग के संयुक्त प्रयासों से मुख्यमंत्री युवा कौशल योजना, लागू की गई है। इस योजना का उददेश्य राज्य के महाविद्यालयों में अध्ययनरत छात्र छात्राओं को नियमित शिक्षा के साथ साथ ही बाजार की मांग के अनुरुप वांछित क्षेत्रों में कौशल प्रशिक्षण प्रदान करते हुए उन्हें आजीविका अर्जित करने योग्य बनाना एवं उद्यमिता की ओर अग्रसर करना है, ताकि वे कौशल प्रशिक्षण से प्राप्त आत्मविश्वास से प्रेरित होकर स्वयं को लघु उद्यम स्थापित करनेरोजगार प्राप्त करने के काबिल बना सकें। इस योजनान्तर्गत कालेज विद्यार्थियों के स्तर एवं आवष्यक्ता को ध्यान में रखते हुए 39 विषयों का चयन किया गया है।

योजना अन्तर्गत नियमित कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन निगम द्वारा चयनित संस्थाओं के माध्यम से कालेज परिसरों में किया जायेगा। आरएसएलडीसी के अध्यक्ष एवं कौशल, रोजगार व लेबर सचिव नवीन जैन ने बताया कि स्नातक स्तर पर ही यदि युवाओं को बाजार की मांग के अनुरुप कौशल देकर तैयार किया जाए तो युवा सीधे पढाई पूरी करते ही रोजगार या स्वरोजगार की दिशा में कौशल व आत्मविश्वास के साथ मुख्यधारा से जुड सकेंगें।


इस अवसर पर काॅलेज शिक्षा सचिव वैभव गालरिया ने कहा है कि गवर्नमेंट कालेज में पढ रहे विद्यार्थियों के रोजगारोन्मुखी ओरिएण्टेशन के लिये यह श्रेष्ठ संयुक्त प्रयास है, डिग्री के साथ विद्यार्थी रोजगार योग्य अथवा उद्यमी भी बनेंगे। भारत में अधिक जन्म एवं मृत्युदर से कम जन्म एवं मृत्युदर के सकारात्मक बदलाव के साथ ही उत्पन्न हुई चुनौतियों ने बदलती अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक अवसर भी पैदा किया है, जिसे अभूतपूर्व रुप से जनसांख्यिकीय लाभांश कहा जाता है। वर्तमान में देश की बहुसंख्यक आबादी 15 से 59 वर्ष के आयुवर्ग की है जो कि देश की कुल जनसंख्या का 62 प्रतिशत है। अनुमानित तौर पर 2020 तक देश में औसत आयु 29 वर्ष होगी एवं देश की श्रम शक्ति कुल आबादी का 32 प्रतिशत।

हालांकि भारत में औपचारिक रुप से कुशल कर्मचारियों की संख्या 5 प्रतिशत से भी कम है। राज्य सरकार ने वृहद स्तर पर कौशल विकास कार्यक्रम संचालित कर इस ओर अपना ध्यान केन्द्रित किया है। देश व राज्य में स्नातक व स्नातकोत्तर के बीच बेरोजगारी का स्तर अन्य शैक्षणिक स्तरों पर व्याप्त बेरोजगारी के स्तर से तीन गुना है। औपचारिक शैक्षिक योग्यता मात्र बाजार में उपलब्ध रोजगार से जुडी आवश्यक्ताओं, व्यवहारिक ज्ञान और कौशल के बिना प्रभावी नहीं रह जाती है। कौशल विकास कार्यक्रम एक व्यवस्थित तरीके से, व्यवस्थित तैयारी/अभ्यास एवं पेशेवर दृष्टिकोण और समझ के माध्यम से युवाओं के कैरियर के लक्ष्यों को भी संरेखित करता है।

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