मिर्जापुर के शिउर विद्यालय में नहीं पहुंचे बच्चे

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 06 सितम्बर 2019, 8:39 PM (IST)

मिर्जापुर। उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर के रोटी-नमक प्रकरण में हर दिन एक नया मोड़ आ रहा है। गुरुवार को विद्यालय में एक भी बच्चा नहीं पहुंचा। अधिकारियों का कहना है कि बच्चों को धमकाने के कारण ऐसा हुआ है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक, इस मामले को उजागर करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने के विरोध में अभिभावक लामबंद हो गए, जिसके परिणामस्वरूप गुरुवार को शिउर स्थित विद्यालय में सिर्फ एक बच्चा ही पहुंचा।

मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) प्रियंका निरंजन ने आईएएनएस को बताया कि "कल अभिभावकों को कुछ लोगों ने धमका दिया था कि आपके बच्चे स्कूल जाएंगे तो दिक्कत हो जाएगी। इस कारण बच्चे स्कूल नहीं पहुंचे। आज वहां पर 32 बच्चे स्कूल आए हैं।"

हालांकि उन्होंने धमकाने वालों के नाम बताने से इंकार कर दिया, और कहा कि अगर किसी ने शिकायत दर्ज कराई तो प्रशासन उस पर सख्त कार्रवाई करेगा। फिलहाल अभी विद्यालय में सुचारु ढंग से पढ़ाई चल रही है। बच्चों को भी समझा दिया गया है।

निरंजन ने बताया, "इस दौरान बीईओ और शिक्षकों ने अभिभावकों को समझाने का प्रयास किया और आज (शुक्रवार) बच्चे स्कूल भी आए और उन्होंने शिक्षा ग्रहण की है। प्रशासन अब और तेजी से काम कर रहा है।"

स्थानीय लोगों के अनुसार, गुरुवार सुबह विद्यालय खुलने के समय शिक्षक पहुंच गए, लेकिन स्कूल में बच्चे नहीं आए। शिक्षकों ने विद्यालय से लगे घरों में जाकर अभिभावकों से बच्चों को स्कूल भेजने की अपील की, लेकिन नतीजा बेअसर रहा। इस दौरान विद्यालय में सिर्फ एक छात्र सुखराम पहुंचा, जिसे शिक्षकों ने पाठ्यक्रम के हिसाब से पढ़ाया।

गांव के एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "पत्रकार ने गांव की सही सच्चाई को दिखाया था, लेकिन प्रशासन ने उनके ऊपर जबरदस्ती मुकदमा कायम कर दिया है। अब जब से यह मामला हुआ है, बच्चों को खाना कुछ ठीक मिलने लगा है। कल कुछ अधिकारी आए थे और बच्चों को स्कूल भेजने के लिए गांव वालों से कह रहे थे। कुछ गांव वालों ने आज अपने बच्चे भेंजे हैं। कुछ अभी भी भेजने को तैयार नहीं हैं।"

उन्होंने कहा, "जब तक प्रधान प्रतिनिधि राजकुमार पाल और पत्रकार पवन जयसवाल के खिलाफ दर्ज किए गए मुकदमे वापस नहीं लिए जाएंगे, तब तक बच्चे स्कूल पढ़ने नहीं जाएंगे। अभिभावकों ने इस दौरान लामबंद होकर एबीएसए को घेर लिया और दो टूक शब्दों में कहा कि मुकदमा वापस लिए जाने के बाद ही बच्चे स्कूल में पढ़ेंगे।"

गौरतलब है कि पिछले दिनों मिर्जापुर जिले में प्राइमरी स्कूल के बच्चों को नमक के साथ रोटी खिलाई जा रही थी, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था। वीडियो वायरल होने की सूचना के बाद बीएसए (बेसिक शिक्षा अधिकारी) प्रवीण कुमार तिवारी ने जांच के बाद कार्रवाई करते हुए प्रभारी प्रधानाध्यापक को निलंबित कर दिया था। इसके साथ ही सहायक अध्यापिका का वेतन अग्रिम आदेश तक रोक दिए जाने का आदेश दिया गया था। बीएसए ने प्राथमिक विद्यालय सिउर की शिक्षामित्र को भी इस मामले में दोषी पाते हुए उसका मानदेय भी रोक दिया। खंड शिक्षाधिकारी जमालपुर को भी बराबर का दोषी मानते हुए उनसे तीन दिनों के अंदर स्पष्टीकरण मांगा गया था।

अब इस मामले की पोल खोलने वाले पत्रकार पर ही एफआईआर दर्ज कराई गई है। इस मामले में शिक्षा मंत्री ने कहा था कि वहां से कप्तान से पूरे मामले की जानकारी लेंगे, ताकि सच दिखाने वाले पर कोई अत्याचार न हो। इसके बाद यहां पर विरोध प्रदर्शन जारी है।

--आईएएनएस

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