संत, शिक्षाविद्, तांत्रिक, योग गुरु, दार्शनिक और संपादक भी हैं विवादित भाजपा नेता चिन्मयानंद

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 03 सितम्बर 2019, 10:14 AM (IST)

लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता स्वामी चिन्मयानंद पर लगे यौन उत्पीडऩ के आरोपों के बाद विवाद खड़ा हो गया है। चिन्मयानंद (72) एक राजनीतिज्ञ होने के अलावा संत, शिक्षाविद्, तांत्रिक, योग गुरु, दार्शनिक और संपादक भी हैं। गोंडा जिले में 1947 में अवध के शाही परिवार में जन्मे चिन्मयानंद का असली नाम अभी तक किसी को नहीं पता है। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की और फिर तपस्वी जीवन जीने के लिए राजसी पद त्याग दिया।

अयोध्या आंदोलन के दौरान चिन्मयानंद उन पहले संतों में से एक थे जिन्होंने राजनीति में कदम रखा। जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेताओं ने नौ नवंबर 1989 को अयोध्या में शिलान्यास करने की तैयारी कर वहां भव्य मंदिर की नींव रखी, तो इसमें चिन्मयानंद की भी भूमिका थी। उन्होंने जौनपुर से 1999 का लोकसभा चुनाव जीता और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री बने।

इसी बीच चिन्मयानंद ने शाहजहांपुर में कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना की। स्वामी शुकदेवानंद पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज (एसएस कॉलेज) उनमें से एक है। चिन्मयानंद इन कॉलेजों को ट्रस्टी व मैनेजर के तौर पर चलाते हैं। वह दो मासिक पत्रिकाओं प्रामार्थ और विवेक रश्मि के संपादक भी बने।


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चिन्मयानंद ने हरिद्वार और शाहजहांपुर में आश्रम स्थापित किए। शाहजहांपुर में चिन्मयानंद द्वारा संचालित मुमुक्ष आश्रम की प्रबंधक और उनकी शिष्या ने 2011 में पहली बार उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। इसमें शिष्या ने आरोप लगाया कि चिन्मयानंद द्वारा कई वर्षो से उसे बंदी बनाकर प्रताडि़त करते हुए दुष्कर्म किया गया। लेकिन चिन्मयानंद के प्रभाव के चलते उनके खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं हो पाई और पीडि़ता को आखिर शाहजहांपुर छोडऩा पड़ा।

चिन्मयानंद के साथ बेहतर संबंध रखने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फरवरी 2018 में मुमुक्ष आश्रम का दौरा किया था। इसके एक महीने बाद मार्च 2018 में शाहजहांपुर के तत्कालीन अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (प्रशासन) सर्वेश दीक्षित ने एक वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी को एक पत्र भेजा, जिसमें उन्हें मुकदमा वापस लेने के लिए अदालत में याचिका दायर करने का निर्देश दिया गया।

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा याचिका को खारिज कर दिया गया। उनके खिलाफ ताजा मामला एसएस कॉलेज की एक लॉ छात्रा द्वारा यौन उत्पीडऩ की शिकायत के बाद सामने आया है। इस मामले ने शाहजहांपुर में किसी को आश्चर्यचकित नहीं किया है। एक स्थानीय पत्रकार ने कहा, चिन्मयानंद को इस तरह के दुष्कर्मो के लिए जाना जाता है, चूंकि सत्ता के गलियारों में उनकी काफी पैठ है, इसलिए किसी ने भी उन्हें बेनकाब करने की हिम्मत नहीं की है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा हालांकि मामले में सख्ती बरतने के बाद अब चिन्मयानंद की मुश्किलें बढ़ गई है।

शीर्ष अदालत ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को चिन्मयानंद के खिलाफ छात्रा द्वारा लगाए गए यौन उत्पीडऩ के आरोपों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का निर्देश दिया है। इसी के साथ शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट से भी जांच की निगरानी करने को कहा। चिन्मयानंद पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 364 (अपहरण) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

अपहरण का आरोप हटाए जाने की संभावना है, क्योंकि लडक़ी ने स्वीकार किया है कि वह अपनी मर्जी से चली गई थी। चिन्मयानंद के समर्थकों का कहना है कि उनके खिलाफ चिकित्सा परीक्षण में दुष्कर्म का आरोप सिद्ध नहीं होगा, क्योंकि लडक़ी 24 अगस्त से अपने पुरुष मित्र के साथ रह रही थी। पुलिस एलएलएम कोर्स से संबंधित कक्षाओं में कई छात्राओं से पूछताछ कर सकती है। क्योंकि लडक़ी ने आरोप लगाया है कि अन्य लड़कियों को भी परेशान किया गया था।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, यह संभावना नहीं है कि अन्य लड़कियां आरोपी के खिलाफ बोलेंगी। अधिकारी ने कहा, हम मामले में किसी बड़ी सफलता की उम्मीद नहीं कर रहे हैं, क्योंकि दूसरी लड़कियां कॉलेज चलाने वाले चिन्मयानंद के खिलाफ बोलकर अपने करियर को खतरे में डालना पसंद नहीं करेगी। इसके अलावा लडक़ी के पुरुष मित्र के खिलाफ जबरन वसूली के आरोप की भी जांच की जानी है।

शाहजहांपुर के पुलिस अधीक्षक एस. चन्नप्पा ने कहा कि चिन्मयानंद की शिकायत के आधार पर पहले ही अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी और इस मामले की जांच की जा रही है। यह स्पष्ट है कि पुलिस अधिकारी चिन्मयानंद के खिलाफ जाने के मूड में नहीं हैं, जब तक कि लडक़ी आरोपियों के खिलाफ कुछ ठोस सबूत पेश नहीं करती है।

(IANS)