PICS: जेकेके में रविवार से शुरू होगा पांच दिवसीय थिएटर फेस्टिवल ‘नाट्योत्सव‘

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 24 अगस्त 2019, 7:07 PM (IST)

जयपुर। जवाहर कला केंद्र (जेकेके) जयपुर के थिएटर प्रेमियों के लिए पांच दिवसीय फेस्टिवल ‘नाट्योत्सव‘ की सौगात ले कर आया है। फेस्टिवल के तहत जेकेके के रंगायन में 25 से 29 अगस्त तक सायं 7 बजे विभिन्न नाटकों का मंचन होगा। नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर, पटियाला के सहयोग से आयोजित इस ‘नाट्योत्सव‘ में विजिटर्स का प्रवेश निःशुल्क रहेगा। जेकेके के अतिरिक्त महानिदेशक, फुरकान खान ने आज यह जानकारी दी।

रविवार, 25 अगस्त को भोपाल के मनोज मिश्रा द्वारा निर्देशित नाटक ‘सोलह संस्कार’ से ‘नाट्योत्सव‘ का आगाज होगा। डॉ. धर्मेंद्र कुमार सिंहदेव द्वारा लिखित इस नाटक में प्राचीन समय से विकसित, सामाजिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक परंपरा पर आधारित भारतीय सोलह संस्कारों को आसान एवं सरल तरीके से दर्शाया गया है।

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अगले दिन, सोमवार, 26 अगस्त को नाटक ‘द वाइट साड़ी‘ का मंचन होगा। इस नाटक का कथानक, डिजाइन एवं निर्देशन दिल्ली के अमित तिवाड़ी द्वारा किया है। ‘सफेद’ रंग सभी को दिव्यता का एहसास कराता है, लेकिन ‘सफेद’ की जगह ‘सफेद साड़ी’ हो तो? राधा-कृष्ण के मिलन की धरती वृन्दावन में स्थित विधवा आश्रम पर केन्द्रित इस नाटक में जीवन में रंगों एवं प्रेम के महत्व को दर्शाया जायेगा।

उत्सव के तीसरे दिन, मंगलवार, 27 अगस्त को देहरादून के बृजेश नारायण द्वारा निर्देशित नाटक ‘बाकी इतिहास‘ की प्रस्तुति होगी। बादल सरकार द्वारा लिखित यह प्रसिद्ध नाटक नेमीचंद जैन के हिन्दी अनुवाद पर आधारित है। नाटक के जरिए लड़कियों के शारीरिक शोषण को गंभीरता से रेखांकित किया गया है।

नाटक में बताया गया है कि कुछ लोग विकृत मानसिकता के कारण अपराध करते हैं और परिणामस्वरूप उन्हें सलाखों के पीछे रखा जाता है। लेकिन उन असंख्य दुष्ट लोगों के बारे में क्या है, जो घृणित अपराधों को मन में जन्म देते है और उन्हें इसका कोई पछतावा नहीं, वे पकड़े नहीं जाते और कभी दंडित नहीं होते।

इसी प्रकार चौथे दिन, 28 अगस्त को चंडीगढ़ के मुकेश शर्मा द्वारा निर्देशित नाटक ‘कोमल गांधार‘ का मंचन होगा। डॉक्टर शंकर शेष द्वारा लिखित इस नाटक में बताया जायेगा कि किस प्रकार महाभारत के भीषण महायुद्ध की नींव रखी गई। महिलाओं के सशक्तिकरण पर केन्द्रित यह नाटक सत्ता एवं राजनीति में उनके दुरुपयोग जैसे संवेदनशील मुद्दों पर आधारित है।

फेस्टिवल के अंतिम दिन 29 अगस्त को बुंदेलखंड के डॉ. हिमांशु द्विवेदी द्वारा निर्देशित नाटक ‘मैं बोझ नहीं भविष्य हूं’ का मंचन किया जाएगा। बुंदेली नाट्य स्वांग शैली पर आधारित यह नाटक हास्य व्यंग्य के माध्यम से समाज में व्याप्त लैंगिक भेदभाव की अत्यंत गहन समस्या को प्रदर्शित करता है। नाटक के द्वारा ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ‘ का संदेश देने का प्रयास भी किया गया है।