जयपुर। जवाहर कला केंद्र (जेकेके) की सांस्कृतिक गतिविधियों के तहत पांच दिवसीय फेस्टिवल ‘नृत्यम‘ का आज रंगायन में आगाज हुआ। राजस्थान सरकार के कला एवं संस्कृति विभाग के मंत्री, डॉ बी.डी. कल्ला द्वारा इस समारोह का उद्घाटन किया गया। उद्घाटन समारोह में विशिष्ठ अतिथि के रूप में राजीव अरोड़ा, चेयरमेन, जयपुर सिटीजन फोरम भी शामिल हुए। इस अवसर पर जेकेके के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी), फुरकान खान भी उपस्थित थे।
समारोह के प्रथम दिन लखनउ कथक घराने की विश्वप्रसिद्ध नृत्यांगना पद्मश्री डॉ. शोभना नारायण की संकल्पना पर आधारित ‘त्रय‘ नृत्य प्रस्तुति दी गई। इस अवसर पर बड़ी संख्या में कला प्रेमियों ने लखनउ कथक घराने के नृत्य सौन्दर्य और प्राकृतिक संतुलन का निहारा।
‘त्रय‘ प्रस्तुति के माध्यम से कलाकारों ने नृत्य के माध्यम से दर्शाया कि ‘तीन‘ की शक्ति सार्वभौमिक होती है। यह स्वर्ग, पृथ्वी और पानी के रूप में दुनिया की त्रिपक्षीय प्रकृति है। यह शरीर और आत्मा के स्वरूप में मानव में निहित है। इस प्रकार जन्म, जीवन, मृत्यु है और शुरुआत, मध्य एवं अंत भी है। अतः ‘तीन‘ अपने आप में एक पूर्ण चक्र है। यह भूत, वर्तमान और भविष्य भी दर्शाता है। इसमें कलाकारों द्वारा तीन नृत्य प्रस्तुति - ‘त्रिवेणी‘, ‘त्रयम‘ और ‘त्रिकाल‘ दी गई।
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‘त्रय‘ की प्रथम प्रस्तुति ‘त्रिवेणी‘ में कलाकरों ने नृत्य के
माध्यम से भारत के सबसे पवित्र स्थानों में से एक त्रिवेणी संगम को साकार
किया। ‘त्रिवेणी‘ तीन नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती का वह मिलन बिंदु है
जो भारतीय पौराणिक कथाओं में अत्यधिक पूजनीय हैं और इसका अत्यधिक धार्मिक
महत्व भी है। ‘त्रय‘ की दूसरी प्रस्तुति ‘त्रयम‘ मे कलाकारों ने दुनिया की
त्रिपक्षीय प्रकृति जन्म, जीवन और मृत्यु को दर्शाया। इस प्रस्तुति में
सर्वप्रथम नृत्य में मूवमेंट के जन्म को दर्शाया गया। जिस प्रकार क्रिएशन
की शुरुआत में, ब्रह्मांड के चारों ओर अंधेरे के माध्यम से प्रकाश की
लकीरें कणों की गति को रोशन करती हैं ... इसी प्रकार प्रस्तुति के माध्यम
से नृत्य का जन्म को दर्शाया गया। ‘त्रय‘ की तीसरी एवं अंतिम प्रस्तुति
‘त्रिकाल‘ द्वारा भारतीय दर्शनशास्त्र का प्रमुख तत्व ‘काल चक्र‘ जिसे ‘समय
का पहिया‘ अर्थात भूत, वर्तमान और भविष्य को समाहित किया गया।
कार्यक्रम
में शैलजा नलवडे और शोभना नारायण द्वारा कोरियोग्राफी की गई।
नर्तक-नर्तकियों में कोमल बिसवाल, सोनम चौहान, शिल्पा वर्मा, प्रवीण
परिहार, भवानी गंगानी, विशाल चौहान शामिल थे। प्रस्तुति में रोशनी व्यवस्था
हरीश जैन द्वारा की गई जबकि बैकस्टेज व्यवस्था मनोहर मण्डल का था।
उल्लेखनीय
है कि ‘नृत्यम‘ फेस्टिवल के तहत 20 अगस्त तक जेकेके के रंगायन में सायं 7
बजे देशभर के विविध कथक घरानों की प्रस्तुतियां देखने को मिलेगी। नॉर्थ
सेंट्रल जोन कल्चरल सेंटर, प्रयागराज के सहयोग से आयोजित किए जा रहे इस
फेस्टिवल में आगंतुकों का प्रवेश निःशुल्क रहेगा।
कल ‘नृत्यम‘ में प्रो. मांडवी सिंह के समूह द्वारा ‘नर्तन सर्वस्वम‘ की होगी प्रस्तुति
शनिवार,
17 अगस्त को जेकेके में प्रो. मांडवी सिंह के समूह द्वारा ‘नर्तन
सर्वस्वम‘ में रायगढ घराने पर आधारित प्रस्तुति दी जायेगी। इसी प्रकार, 18
अगस्त को पंडित सौरव मिश्रा एवं पंडित गौरव मिश्रा द्वारा ‘धरोहर‘ में
बनारस घराने की कथक प्रस्तुति होगी। सोमवार, 19 अगस्त को जयपुर कथक घराने
के पंडित हरीश गंगानी के समूह ‘परम्परा‘ प्रस्तुति देंगे। फेस्टिवल के
अंतिम दिन 20 अगस्त को जयपुर कथक केंद्र द्वारा ‘जल’ नृत्य संरचना पेश की
जायेगी।
कृष्णायन में युवा कथक कलाकारों के लिए वर्कशॉप हुई शुरूआत
जयपुर
एवं आस-पास के युवा कथक कलाकारों की नृत्य निपुणता को अपग्रेड करने के लिए
जवाहर कला केंद्र (जेकेके) में आज पांच दिवसीय वर्कशॉप आरम्भ हुई। वर्कशॉप
मे कुल 18 प्रतिभागी शामिल हुए। वर्कशॉप के आरम्भ में जेकेके के अतिरिक्त फुरकान खान द्वारा प्रशिक्षक, गुरु प्रेरणा
श्रीमाली को सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर प्रेरणा श्रीमाली ने बताया कि
सभी प्रतिभागी का कथक में अलग-अलग अनुभव है और सभी ने भिन्न-भिन्न गुरूजनों
से इस पारम्परिक नृत्य की शिक्षा ग्रहण की है। वर्कशॉप के दौरान
प्रतिभागियों को फुट वर्क करवाया गया। आगामी दिनों में प्रतिभागी को कथक और
कथक की भाषा को गहराई से समझाने पर उनका जोर रहेगा। आज वर्कशॉप में
रमेश मेवाल ने हामोनियम एवं गायन पर और परमेश्वर लाल कथक ने तबले पर
संगत दी।
जेकेके में थिएटर आर्टिस्ट्स के लिए कल से आरम्भ होगी ‘सीनिक डिजाइन वर्कशॉप‘
जवाहर
कला केंद्र (जेकेके) द्वारा आयोजित ‘सीनिक डिजाइन‘ वर्कशॉप कल से आरम्भ
होने जा रही है। 23 अगस्त तक चलने वाली इस वर्कशॉप का संचालन प्रसिद्ध
भारतीय लेखक, रंगमंच की प्रमुख शख़्सियत, निर्देशक एवं इतिहासकार, प्रोफेसर
सत्यब्रत राउत द्वारा किया जायेगा। एक सप्ताह की इस वर्कशॉप में प्रतिभागी
सीन डिजाइन की अवधारणा, विजुअल इमेज तथा नाटक के अनुरूप उपयुक्त माहौल
बनाना सीखेंगे जिससे दर्शकों को विषयवस्तु के अनुसार वास्तविक दुनिया का
अहसास हो। इस वर्कशॉप में 20 से 35 वर्ष की आयुवर्ग के व्यक्ति भाग ले
सकेंगे। यह वर्कशॉप प्रतिदिन प्रातः 10 से सायं 5 बजे तक आयोजित की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि प्रोफेसर राउत वर्तमान में यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद के
थिएटर आर्ट्स विभाग में सीनोग्राफी एवं डायरेक्शन सिखाते हैं।