नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने हाल ही जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 (Article 370) को अप्रभावी बनाने के साथ राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का फैसला किया था। इसके बाद घाटी में जारी हालात को लेकर कांग्रेस समर्थक तहसीन पूनावाला ने याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस पर सुनवाई करते हुए साफ कर दिया कि वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा।
कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार को इस मामले में पर्याप्त समय मिलना चाहिए और वह अब दो सप्ताह बाद ही मामले की सुनवाई करेगा। याचिका में आरोप लगाया गया था कि 5 अगस्त को इस फैसले की घोषणा से ठीक एक दिन पहले जम्मू-कश्मीर में अघोषित कफ्र्यू लगा कई नेताओं को नजरबंद कर दिया गया। तहसीन ने कश्मीर से पाबंदी हटाने और नजरबंद नेताओं की रिहा करने की मांग की थी।
जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का रुख जानने के लिए पूछा कि कश्मीर में आखिर यह सब कितने दिनों तक चलने वाला है? अटॉर्नी जनरल ने जवाब में कहा कि हम हर दिन हालात की समीक्षा कर रहे हैं। यह बेहद संवेदनशील मामला है और सभी के हित में है। इस दौरान कश्मीर में खून का एक कतरा भी नहीं बहा है और न ही किसी की जान गई है।
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इस पर उच्चतम न्यायालय ने मामले को स्थगित करते हुए कहा कि वह दो सप्ताह
बाद इस पर विचार करेगा कि इस दिशा में क्या प्रगति हुई? गौरतलब है कि घाटी
में अभी भी मोबाइल फोन, मोबाइल इंटरनेट और टीवी-केबिल पर रोक लगी हुई है।
हालांकि, जम्मू में धारा 144 को पूरी तरह से हटा दिया गया है और कुछ
क्षेत्रों में फोन की सुविधा चालू की गई है। अभी सिर्फ मोबाइल कॉलिंग की
सुविधा ही शुरू की गई है।