Eid Al Adha : बिहार में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कुबार्नी टालकर पेश की सद्भावना की मिसाल

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 12 अगस्त 2019, 1:56 PM (IST)

मुजफ्फरपुर। एक ओर जहां ईद-उल-अजहा (बकरीद) और सावन महीने के सोमवार को देखते हुए बिहार में सुरक्षा प्रबंध की मुकम्मल व्यवस्था की गई है, वहीं बिहार के मुजफ्फरपुर के छाता बाजार के मुस्लिम परिवारों ने सांप्रदायिक सद्भाव की अनूठी मिसाल पेश करते हुए समाज में शांति का संदेश दिया है। यहां के मुस्लिम परिवारों ने बकरीद और सावन का अंतिम सोमवार एक ही दिन पड़ने के कारण कुबार्नी को एक दिन के लिए टालने का फैसला लिया है। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने 13 अगस्त (मंगलवार) को कुबार्नी देने का सामूहिक फैसला लिया है।

छाता बाजार स्थित गरीबनाथ मंदिर में सावन के सोमवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ की पूजा करने पहुंचते हैं। यहीं पर एक मस्जिद भी है। मस्जिद से भी सार्वजनिक रूप से इस निर्णय की घोषणा की गई है।

छाता बाजार मस्जिद के इमाम मौलाना सईदुज्जमां ने कहा कि यहां आसपास करीब 25 से 30 मुस्लिम परिवारों के लोग रहते हैं। इनमें से अधिकांश परिवारों ने यहां कुबार्नी के लिए बकरा पहले से खरीद रखा है, लेकिन अब बकरीद की कुबार्नी सोमवार की जगह मंगलवार को की जाएगी।

उन्होंने कहा, "मुस्लिम परिवार वालों के कुबार्नी देने के बाद मंदिर में आने-जाने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ता, इस कारण यह फैसला लिया गया। यह फैसला भाईचारा और सामाजिक सौहार्द के लिए सबकी रजामंदी से लिया गया है।"

उन्होंने कहा कि बकरीद के मौके पर तीन दिनों तक कुबार्नी दी जा सकती है, इसलिए किसी को कहीं कोई परेशानी नहीं हुई।

मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष दिलशाद अहमद भी मानते हैं कि इस फैसले से समाज में अमन चैन का संदेश गया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सोमवार को बकरीद की नमाज अपने पूर्व निर्धारित समय पर अदा की गई।

उल्लेखनीय है कि सावन में प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु गरीबनाथ मंदिर पंहुचते हैं और भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं। सावन के सोमवार को मंदिर में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या एक लाख तक पहुंच जाती है। यहां बड़ी संख्या में कांवड़िये भी पहुंचते हैं और भगवान शंकर का जलाभिषेक करते हैं।

माना जा रहा है कि यह पहला मौका है कि बकरीद और सावन महीने का सोमवार एक ही दिन पड़ा हो।

बहरहाल, मुस्लिम परिवारों के इस निर्णय की हर तरफ प्रशंसा हो रही है।

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