Raksha Bandhan 2019 : रक्षाबंधन स्पेशल : इन भाईयों ने ऐसे की बहनों की रक्षा

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 10 अगस्त 2019, 1:44 PM (IST)

हिंदू धर्म में रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का त्योहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है। रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस वर्ष रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2019) 15 अगस्त (Independence Day) को मनाया जाएगा।

रक्षा का अर्थ सुरक्षा और बंधन का मतलब बाध्य होता है। रक्षा बंधन के दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी या रक्षासूत्र बांधती है। बदले में वह अपने भाई से जीवनभर अपनी रक्षा करने का वादा लेती है। इस त्योहार के लिए बहने तैयारियों में जुट गयी हैं। रक्षाबंधन भाई बहन के अटूट प्रेम को समर्पित त्योहार है जो सदियों से मनाया जाता आ रहा है। रक्षाबंधन से जुड़ी कुछ धार्मिक और ऐतिहासिक कहानियों के बारे में आइए जानते हैं।

भविष्‍य पुराण की कथा...
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार धरती की रक्षा के लिए देवता और असुरों में 12 साल तक युद्ध चला लेकिन देवताओं को विजय नहीं मिली। तब देवगुरु बृहस्पति ने इंद्र की पत्नी शची को श्राणण शुक्ल की पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर रक्षासूत्र बनाने के लिए कहा। इंद्रणी ने वह रक्षा सूत्र इंद्र की दाहिनी कलाई में बांधा और फिर देवताओं ने असुरों को पराजित कर विजय हासिल की।

द्रौपदी और श्रीकृष्‍ण की कथा...

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द्रौपदी और श्रीकृष्‍ण की कथा...
महाभारत काल में कृष्ण और द्रोपदी को भाई बहन माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिशुपाल का वध करते समय भगवान कृष्ण की तर्जनी उंगली कट गयी थी। तब द्रोपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर उनकी उंगली पर पट्टी बांधा था। उस दिन श्रावण पूर्णिमा का दिन था। तभी से रक्षाबंधन श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है। कृष्ण ने एक भाई का फर्ज निभाते हुए चीर हरण के समय द्रोपदी की रक्षा की थी।

वामन अवतार कथा...

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वामन अवतार कथा...
एक बार भगवान विष्णु असुरों के राजा बलि के दान धर्म से बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने बलि से वरदान मांगने के लिए कहा। तब बलि ने उनसे पाताल लोक में बसने का वरदान मांगा। भगवान विष्णु के पाताल लोक चले जाने से माता लक्ष्मी और सभी देवता बहुत चिंतित हुए। तब मां ने लक्ष्मी गरीब स्त्री के वेश में पाताल लोक जाकर बलि को राखी बांधा और भगवान विष्णु को वहां से वापस ले जाने का वचन मांगा। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी। तभी से रक्षाबंधन मनया जाता है।

बादशाह हुमायूं और कमर्वती की कथा...
रक्षाबंधन पर हुमायूं और रानी कर्मवती की कथा सबसे अधिक याद की जाती है। कहा जाता है कि राणा सांगा की विधवा पत्नी कर्मवती ने हुमांयू को राखी भेजकर चित्तौड़ की रक्षा करने का वचन मांगा था। हुमांयू ने भाई का धर्म निभाते हुए चित्तौड़ पर कभी आक्रमण नहीं किया और चित्तौड़ की रक्षा के लिए उसने बहादुरशाह से भी युद्ध किया।

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