कारपोरेट कंपनियों से आह्वान, पर्यावरण संरक्षण में योगदान दें : राव नरबीर सिंह

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 29 जुलाई 2019, 6:29 PM (IST)

चंडीगढ़। हरियाणा के लोक निर्माण एवं वन मंत्री राव नरबीर सिंह ने कारपोरेट कंपनियों से आह्वान किया कि वे पर्यावरण संरक्षण में भी सीएसआर के तहत अपना योगदान दें और सडक़ों के साथ ग्रीन बैल्ट के स्ट्रैच पौधारोपण के लिए गोद लें। वहां पर पौधे लगवाकर तीन सालों तक उनकी देखभाल भी करें।

राव नरबीर सिंह आज गुरुग्राम जिला के मानेसर स्थित मिंडा कंपनी के अंदर व बाहर पौधारोपण करने के बाद वहां आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जहां हम रहते हैं उस क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करना हमारी जिम्मेदारी है। इस अनुसार सभी कंपनियां जो यहां मानेसर तथा गुरूग्राम में कार्यरत हैं, वे जनहित में सडक़ों के स्ट्रैच लेकर पौधारोपण करें तथा उन पौधों का पालन पोषण भी करें।

इससे आपका क्षेत्र हरा भरा और सुंदर होगा। उन्होंने कहा कि सडक़ों के साथ ग्रीन बैल्ट के स्ट्रैच पौधारोपण के लिए लेने के लिए जीएमडीए द्वारा एमओयू किया जा रहा है। पौधारोपण के साथ साथ उन्होंने जल संचयन पर भी जोर दिया और कहा कि कंपनियों की बड़ी-बड़ी बिल्डिंग है जिनका छत का क्षेत्रफल भी ज्यादा है। उन बिल्डिंगों की छत का बरसाती पानी जमीन में डालने का प्रबंध करें।

यह भी जल संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी है क्योंकि हम सभी जानते हैं कि पानी के बिना जीवन संभव नही है। राव नरबीर सिंह ने कहा कि जल संरक्षण के लिए अपने कंपनी परिसर में रेन वाटर हारवेस्टिंग स्ट्रक्चर लगवाएं और इसमें यदि कठिनाई हो तो नगर निगम गुरुग्राम में कुछ एजेंसियां सूचीबद्ध हंै, जिनकी मदद ली जा सकती है।

राव नरबीर सिंह ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में आज पॉलीथिन का प्रयोग भी एक बड़ी चुनौती बनकर उभर रहा है। एक अध्ययन के अनुसार पॉलीथिन को गलने में लगभग 450 साल का समय लगता है जोकि प्रकृति के लिए एक बड़ा खतरा है। उन्होंने आमजन से अपील करते हुए कहा कि वे बाजार से सामान लाने के लिए अपने घर से ही कपड़े या जूट के थैले लेकर जाएं और पॉलिथीन का पूर्णतया बहिष्कार करें।

उन्होंने यह भी कहा कि पर्यावरण संरक्षण हम सभी की सांझी जिम्मेदारी है जिसके लिए हम सभी को एकजुट होकर प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यदि आज हम पर्यावरण संरक्षण के लिए अपने उत्तरदायित्वों को नही समझेंगे तो इसका खामियाजा आने वाली पीढ़ी को भुगतना पड़ सकता है।

उन्होंने कहा कि शादी-ब्याह में महंगे कार्ड छपवाने के लिए लोग हजारों रूपये खर्च कर देते है जिसके लिए कागज का इस्तेमाल होता है। कागज बनाने के लिए पेड़ों की कटाई होती है जोकि प्रकृति में असंतुलन पैदा करती है। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वे शादी-ब्याह में कार्ड छपवाने की बजाय मैसेज करके अपने परिचितों को आमंत्रित करें।

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