जयपुर। राज्य में क्रियाशील बुनकरों और हथकरघा के संरक्षण, संवद्र्धन और प्रोत्साहन की उद्योग विभाग द्वारा कार्ययोजना तैयार कर क्रियान्वित किया जाएगा। उद्योग आयुक्त डॉ. कृृष्णा कांत पाठक ने यह जानकारी मंगलवार को यहां उद्योग भवन में बुनकर संघ, राजस्थान हैण्डलूम डवलपमेंट कारपोरेशन, केन्द्र सरकार के बुनकर सेवा केन्द्र व इनसे जुड़ी सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं की प्रतिनिधियों से चर्चा के दौरान दी।
डॉ. पाठक ने कहा कि बुनकरों को विभिन्न योजनाओं मेें वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के साथ ही प्रौद्योगिकी उन्नयन के क्षेत्र मे भी काम किया जाना जरुरी है। उन्होंने कहा कि तकनीकी संस्थानों खासतौर से इंजीनियरिंग कॉलेजों के विद्यार्थियों को प्रौद्योगिकी उन्नयन के क्षेत्र में काम करने को प्रेरित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसके लिए विद्यार्थियों के नवाचार को पुरस्कृृत भी किया जाएगा।
डॉ. पाठक ने बताया कि प्रौद्योगिकी उन्नयन में कपास के डोडे से कपास निकालना, रुई से पोनी बनाने, पोनी से धागा बनाने, धागे की रंगाई प्रक्रिया, बुनाई प्रक्रिया, वस्त्र बनने के बाद प्रोसेसिंग, रंगाई छपाई, परिधान तैयार करने, सिलाई के जुड़ी कढ़ाई, एपलिक, डिजाइनिंग आदि के साथ ही पैकेजिंग आदि के क्षेत्र में नवाचारों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
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उन्होेंने कहा कि राजस्थान के हस्तशिल्प व हथकरघा उत्पादों की
दुनियाभर में पहचान है। यहां का रंग संयोजन अनूठा है। ऎसे में परंपरागत व
आधुनिकता का समावेश करते हुए हथकरघा कार्य को लाभकारी व प्रौद्योगिकी सुधार
के माध्यम से आसान बनाने के समग्र प्रयास किए जाएंगे।
बुनकर संघ के
प्रबंध संचालक आर.के. आमेरिया ने बताया कि बुनकरों के प्रोत्साहन के लिए
डिजाइनिंग व मार्केटिंग सहयोग उपलब्ध कराया जाएगा।
उद्योग विभाग
द्वारा 8 से 19 जुलाई तक अभियान चलाकर बुनकर परिचय कार्ड बनाए जा रहे हैं,
ताकि बुनकरों को केन्द्र व राज्य सरकार की योजनाआें से जोड़ा जा सके। गौरतलब
है कि पहले प्रदेश में निरंतर कमी आते हुए आज करीब 15 से 20 हजार बुनकर ही
इस क्षेत्र में रह गए हैं। बैठक में केन्द्र सरकार के बुनकर सेवा केन्द्र
की उपनिदेशक रुची यादव, संयुक्त निदेशक योगेन्द्र गुरनानी, उपनिदेशक चिरंजी
लाल, आरएसडीसी के महाप्रबंधक नायाब खान, बुनकर संघ के अमित बोहरा व
विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।