मप्र : नक्सलवाद बन रहा नया नासूर

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 13 जुलाई 2019, 12:15 PM (IST)

भोपाल। मध्य प्रदेश कभी डकैतों की समस्या के लिए पहचाना जाता था, मगर इस समस्या पर लगे अंकुश के बाद अब नक्सलवाद सिर उठाने लगा है। कभी एक जिले तक सिमटी नक्सल गतिविधियां अब तीन-चार जिलों तक विस्तार करने लगी हैं। यह स्थिति राज्य की शांति के लिए खतरनाक हो सकती है।

राज्य में नक्सली गतिविधियों की चर्चा पहली बार वर्ष 1995 के बाद सुनी गई थी। अब तो बालाघाट जिले के बड़े हिस्से में इनकी सक्रियता है। इतना ही नहीं नक्सली गतिविधियां मंडला, डिंडौरी से होते हुए अमरंकटक तक सुनाई देने लगी हैं। राजधानी भोपाल में तो एक ऐसा दंपति पकड़ा गया, जो पांच साल से यहां नाम बदलकर रह रहा था, जिसके नक्सली संगठनों से रिश्तों की बात सामने आई है। इसी बीच बालाघाट में दो नक्सलियों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया। इसके बाद जो बातें सामने आईं, वे चौकाने वाली हैं।

राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) वी. के. सिंह मानते हैं कि ‘‘नक्सली राज्य में अपना विस्तार कर रहे हैं। बालाघाट के साथ मंडला में सक्रिय हैं और वे अपना प्रभाव डिंडोरी के अलावा अमरकंटक में बढ़ाना चाहते हैं।’’

प्रदेश के डीजीपी सिंह का नक्सली गतिविधियां बढऩे की बात करना गंभीर होते हालात की ओर इशारा कर रहा है। उन्होंने राज्य में नक्सली संगठनों के तीन दलम टांडा, दर्रेकशा और मलाजखंड के सक्रिय होने की बात स्वीकारी है।

यहां महत्वपूर्ण यह है कि बालाघाट, मंडला, डिडौरी और अमरकंटक वे इलाके हैं, जो सघन वन क्षेत्र हैं और पुलिस की इन इलाकों तक पहुंच आसान नहीं है। वहीं नक्सली ग्रामीणों को डराते-धमकाते रहते हैं, जिसके चलते पुलिस को ग्रामीणों का सहयोग नहीं मिल पाता।

बालाघाट महाराष्ट्र के गोंदिया और छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव की सीमा से जुड़ा है। इन दोनों जिलों में नक्सली गतिविधियां चलती रहती हैं।

बालाघाट के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) के. पी. वेंकटेश्वर ने आईएएनएस को बताया, ‘‘दोनों राज्यों की पुलिस के साथ मिलकर मध्य प्रदेश का पुलिस बल लगातार नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई करता रहता है, सर्चिंग चलती रहती है। संयुक्त अभियान का यह सिलसिला बीते दो वर्षों से जारी है।’’

ज्ञात हो कि बालाघाट में बड़ी नक्सली वारदात 16 दिसंबर, 1999 को हुई थी, जब तत्कालीन परिवहन मंत्री लिखीराम कांवरे की हत्या की गई थी। इस हत्याकांड में शामिल जमुना को इसी साल मार्च में छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई में मार गिराया था। जमुना पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा पांच लाख रुपये इनाम, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा आठ लाख रुपये इनाम, जिला गोदिंया (महाराष्ट्र) द्वारा छह लाख रुपये इनाम एवं सीबीआई द्वारा भी 50 हजार रुपये का इनाम घोषित था।

नक्सलियों ने बीते माह बालाघाट जिले के लांजी थाना क्षेत्र के पित्तकोना ग्राम पंचायत के मुंडा गांव में पूर्व नक्सली ब्रजलाल की मुखबिरी के शक में हत्या कर दी थी। ब्रजलाल ने 2014 में समर्पण किया था। हत्या के समय वह जमानत पर था, उस पर नौ अपराध थे। नक्सलियों ने गोली मारकर उसकी हत्या कर दी थी। नक्सली मौके पर कुछ पर्चे भी देकर गए थे।

नक्सलियों की बढ़ती गतिविधियों को इसी से समझा जा सकता है कि इसी साल के प्रारंभ में विधानसभा उपाध्यक्ष हिना कांवरे को फिरौती के लिए नक्सलियों ने पत्र लिखा था। हिना के पिता लिखीराम कांवरे की नक्सलियों ने लगभग दो दशक पहले हत्या की थी।

सूत्रों का कहना है कि छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में पुलिस की सख्ती के कारण नक्सलियों ने मध्य प्रदेश की तरफ रुख किया है। वे छत्तीसगढ़ व महाराष्ट्र से निकलकर यहां नया ठिकाना तलाश रहे हैं। इसका प्रमाण बीते दिनों बालाघाट में 14-14 लाख रुपये के इनामी अशोक उर्फ मंगेल और महिला नक्सली नंदे का मारा जाना है। ये दोनों ही छत्तीसगढ़ के निवासी थे।

पुलिस सूत्रों का कहना है कि बालाघाट में नक्सलियों की बड़े हिस्से में पैठ बन चुकी है, यही कारण है कि कुछ दिनों के अंतराल से उनकी गतिविधियां बढऩे की जानकारी आती रहती है। पुलिस की सक्रियता के कारण वे वारदातों को अंजाम नहीं दे पाते। हां ग्रामीणों का डरा धमका कर अपना स्वार्थ पूरा कर लेते हैं।

राज्य में बढ़ती नक्सली गतिविधियों की खुफिया जानकारी सामने आने के बाद मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र पुलिस ने संयुक्त रूप से सर्चिंग अभियान तेज कर दिया है।
(आईएएनएस)

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