विदेश में पंजाब के खिलाड़ियों के लापता हो जाने का गहराता रहस्य

www.khaskhabar.com | Published : रविवार, 07 जुलाई 2019, 6:36 PM (IST)

चंडीगढ़ । पंजाब में यह खेल बन गया है कि संदिग्ध खेल निकाय राज्य के खिलाड़ियों को अवैध तरीके से विदेश भेज रहे हैं जो आर्थिक वजहों से इसके लिए बेकरार रहते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे कई खेल संघ पंजाबियों को डॉलर के सपने बेच रहे हैं।

पुलिस अधिकारी स्वीकार कर रहे हैं कि लाखों-करोड़ों डॉलर का शातिर आव्रजन रैकेट काम कर रहा है। उनका कहना है कि ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जो खेल निकायों के उस तौर-तरीके पर निगाह रख सके जिसके जरिए लोग विदेश भेजे जा रहे हैं।

पंजाब पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस से कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि अपने एजेंटों के जरिए आव्रजन माफिया का कबूतरबाजी (लोगों को अवैध तरीके से विदेश भेजना) से निश्चित ही संबंध है।

उन्होंने कहा, "जब तक हमें ठोस शिकायत नहीं मिलेगी, हम जांच नहीं कर सकेंगे।"

यह स्पोर्ट्स प्रमोटर मुख्य रूप से राज्य के लुधियाना, अमृतसर, जालंधर, बठिंडा, पटियाला और चंडीगढ़ में सक्रिय हैं, इन जगहों पर विदेश के प्रति आकर्षित नवधनाढ्य युवा को इस रैकेट के जाल में फंसाया जा रहा है।

पंजाब का दोआबा क्षेत्र ऐसे संदिग्ध खेल क्लबों का गढ़ है जिनके अंतर्राष्ट्रीय क्लबों के साथ गठजोड़ हैं। कहा जाता है कि दोआबा में करीब-करीब हर घर का एक सदस्य विदेश में बसा हुआ है और यहां के लोग विदेश जाने के लिए आतुर रहते हैं।

ऐसे कई 'खिलाड़ी' उन खेलों से ताल्लुक रखते हैं जिन्हें कम ही लोग जानते हैं। जैसे टेबल सॉकर, कोर्फबाल और सॉफ्टबाल। क्रिकेट, हॉकी, कबड्डी, कुश्ती के खिलाड़ी भी होते हैं।

रैकेट में शामिल लोग मुख्य रूप से अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, हांगकांग, थाईलैंड, मलेशिया और कुछ खास यूरोपीय देश जाने के लिए व्यवस्था करते हैं।

खिलाड़ियों के लापता हो जाने का यह रहस्यमयी मामला पहली बार सोलह साल पहले सामने आया था जब जालंधर से ब्रिटेन गई एक संदिग्ध क्रिकेट टीम की पांच महिला खिलाड़ी लापता हो गईं थीं।

एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि आव्रजन के लिए धन का मामला तो इसका बहुत छोटा हिस्सा है। इसके बाद खेल से जुड़े कई लोग खिलाड़ी, कोच, यहां तक कि किसी संदिग्ध क्लब के मैनेजर के भेष में विदेश जाने के लिए यह सभी इस 'आसान' रास्ते को अपनाते हैं।

इसके साथ ही, यह लोग अपनी पसंद का वीजा आसानी से पाने के लिए यही रास्ता अपनाते हैं। यहां तक कि कई मशहूर पंजाबी पॉप सिंगर भी अपने साथ कलाकारों को विदेश में होने वाले शो में ले जाने के लिए भारी भरकम रकम (पचास लाख रुपये तक) वसूलते हैं।

पुलिस अधिकारी ने कहा कि वीजा हासिल करने के बाद यह 'कबूतर' वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद 'गायब' हो जाते हैं। वे प्रवासी भारतीयों की मदद से संबंधित देश में गैर कानूनी तरीके से काम करते रहते हैं, जब तक कि उन्हें स्थायी निवास का अधिकार नहीं मिल जाता।

मामले की जानकारी रखने वालों का कहना है कि यह अवैध आव्रजन व्यापार करीब पांच हजार करोड़ रुपये सालाना का है।

इनका कहना है कि अमेरिका, कनाडा जाने वाले युवाओं को टूरिस्ट वीजा पर पहले किसी अफ्रीकी या दक्षिण अमेरिकी देश ले जाया जाता है और वहां से उन्हें या तो गैरकानूनी रूप से समुद्र के रास्ते या फिर अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से घुसपैठ करा कर भेजा जाता है।

कनाडा सरकार की एक गोपनीय रिपोर्ट का खुलासा है कि कबड्डी टूर्नामेंट के नाम पर कनाडा जाने वाले पंजाब के युवाओं में से 47 फीसदी वापस पंजाब नहीं लौटते हैं।

यह भी कहा जाता है कि खेल के अलावा संस्कृति भी इन 'कबूतरों' के लिए एक और विकल्प है।

पटियाला की एक अदालत ने बीते साल मशहूर भांगड़ा-पॉप गायक दलेर मेहंदी को 15 साल पुराने मानव तस्करी मामले में दोषी करार दिया था। उन्हें दो साल कैद की सजा हुई थी। बाद में उन्हें जमानत मिल गई।

--आईएएनएस

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