आज भी पहेली है ये मंदिर, हवा में झूलता है एक खंभा

www.khaskhabar.com | Published : रविवार, 07 जुलाई 2019, 3:36 PM (IST)

दुनिया में बहुत ही रोचक जगह हैं। ऐसी ही रोचक जगहों में से एक है आंध्रप्रदेश के अनंतपुर में स्थित 'लेपाक्षी मंदिर'। अनंतपुर एक छोटा गांव है। यह गांव विजयनगर शैली से निर्मित कलात्मक मंदिरों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। पौराणिक कहानियों की वजह से भी और मंदिर में दिखते चमत्कारों की वजह से भी दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इस मंदिर को विजयनगर के राजाओं ने बनवाया था। इस मंदिर में सबसे अद्भुत है इसका एक खंभा जो हवा में झूलता रहता है।

हैंगिंग पिलर टेम्पल...
लेपाक्षी मंदिर को 'हैंगिंग पिलर टेम्पल' के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर कुल 70 खम्भों पर खड़ा है जिसमे से एक खम्भा जमीन को छूता नहीं है बल्कि हवा में ही लटका हुआ है। इस एक झूलते हुए खम्भे के कारण इसे 'हैंगिंग टेम्पल' कहा जाता है। यह खंभा भी पहले जमीन से जुड़ा हुआ था। इस मंदिर के बीचों बीच एक नृत्य मंडप है।

इस मंडप पर कुल 70 पिलर यानी खंभे मौजूद हैं, जिसमें से 69 खंभे वैसे ही हैं, जैसे होने चाहिए। मगर एक खंभा दूसरों से एकदम अलग है, वो इसलिए क्योंकि ये खंभा हवा में है। यानी इमारत की छत से जुड़ा है, लेकिन जमीन के कुछ सेंटीमीटर पहले ही खत्म हो गया। बदलते वक्त के साथ ये अजूबा एक मान्यता बन चुका है। ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई इंसान खंबे के इस पार से उस पार तक कोई कपड़ा ले जाए, तो उसकी मुराद पूरी हो जाती है।

कुछ लोगों ने सोचा कि शायद मंदिर की इमारत का वजन बाकी के 69 खंभों पर होगा, इसलिए एक खंभे के हवा में झूलने से कोई फर्क न पड़ता हो, लेकिन कहा जाता है कि अंग्रेजी हुकूमत के दौर में कुछ यही थ्योरी एक ब्रिटिश इंजीनियर हैमिल्टन ने भी दी थी। कहा जाता है कि 1902 में उस ब्रिटिश इंजीनियर ने मंदिर के रहस्य को सुलझाने की तमाम कोशिशें कीं। इमारत का आधार किस खंभे पर है ये जांचने के लिए उस इंजीनियर ने हवा में झूलते खंभे पर हथौड़े से वार किए।

इस मंदिर के रहस्य के सामने ब्रिटिश इंजीनियर के वैज्ञानिक तर्क भी बेमानी साबित हुई, क्योंकि इस खंभे पर हुए वार से करीब 25 फीट दूर मौजूद कुछ खंभों पर दरारें आ गईं। यानी ये साफ हो गया कि इमारत का सारा वजन यानी इमारत का आधार इसी खंभे पर टिका है, जिसे छेड़ने से पूरी इमारत धराशाई हो सकती है। लिहाजा वो इंजीनियर भी इन्हीं सवालों के साथ लौट गया, कि आखिर हवा में झूलते खंभों के सहारे कोई इमारत कैसे खड़ी रह सकती है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मान्यता है की इसके नीचे से कपड़ा निकलने से सुख-समृद्धि में बृद्धि होती है।

यहीं गिरे थे घायल होकर जटायु...

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यहीं गिरे थे घायल होकर जटायु...
विशाल परिसर में बने यह मंदिर भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान वीरभद्र को समर्पित हैं। यहां तीन मंदिर हैं। हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार है त्रेतायुग में जब रावण, श्रीराम की पत्नी का हरण कर ले जा रहा था तब जटायु ने रावण से यहीं युद्ध किया था।

युद्ध के दौरान वह घायल होकर यहीं गिरे थे। इस मंदिर का निर्माण 1583 में दो भाइयों विरुपन्ना और वीरन्ना ने कराया था जो की विजयनगर राजा के यहां काम करते थे। हालांकि पौराणिक मत कुछ और ही है उसके अनुसार लेपाक्षी मंदिर परिसर में स्थित विभद्र मंदिर का निर्माण ऋषि अगस्त्य ने करवाया था।

नंदी की सबसे विशाल प्रतिमा....

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नंदी की सबसे विशाल प्रतिमा....
लेपाक्षी मंदिर कुछ ही दूरी पर एक ही पत्थर से बनी विशाल नंदी प्रतिमा है। यह प्रतिमा 27 फीट लंबी 15 फीट ऊंची है। यहां विभद्र मंदिर परिसर में एक ही पत्थर से बनी विशाल नागलिंग प्रतिमा भी स्थापित है, काले ग्रेनाइट से बनी प्रतिमा में एक शिवलिंग के ऊपर सात फन वाला नाग फन फैलाए बैठा है।

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