असम। बचपन से हम एक पौरोणिक कहानी सुनते आए है। जिसमें श्रवण कुमार अपने
अंधे मां-बाप को कंधे पर बैठाकर चार धाम की यात्रा कराता है। आज के समय में
यह नामुमकिन सा लगता है। लेकिन कर्नाटक के मैसूर में रहने वाले एक डॉक्टर
कृष्णा कुमार ने अपनी ढलती वर्ष की उम्र में एक नया इतिहास रच दिया है।
डॉक्टर कृष्णा कुमार ने अपने काम से यह साबित कर दिया कि आज के समय में भी
श्रवण कुमार बनना संभव है।
उनके इस कारनामे की सोशल मीडिया पर जमकर चर्चा
हो रही है। कृष्ण कुमार ने
70 साल की अपनी बूढ़ी मां को स्कूटर पर बैठाकर कई तीर्थ स्थलों के दर्शन
करवाए। उन्हें अगर 21वीं सदी का श्रवण कुमार कहा जाए तो बड़ी बात नहीं
होगी।
हाल ही में वे अपनी मां को स्कूटर पर लेकर इस यात्रा के दौरान
तिनसुकिया पहुंचे। उन्होंने बताया कि यह उनका मातृ सेवा संकल्प यात्रा है।
उन्होंने ये यात्रा 16 जनवरी 2018 को मैसूर से शुरू की थी।
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कृष्ण कुमार ने आगे बताया कि सबसे पहले वे कर्नाटक से केरल गए जिसके बाद वे तमिलनाडु फिर पुडुचेरी, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और बिहार तक की यात्रा की और इन राज्यों में बसे तीर्थ स्थलों और धार्मिक स्थलों के दर्शन करवाए।
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इतना ही नहां कृष्ण ने बताया कि वे स्कूटर से ही नेपाल और भूटान भी गए। अब वे अरुणाचल प्रदेश के परशुराम कुंड की तरफ यात्रा करने जा रहे हैं।
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